हरियाली तीज क्यू है खास क्यों मनाई जाती है

23-07-2020 11:50:30
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हरियाली तीज क्यू है खास क्‍यों मनाई जाती है

 

हिंदू धर्म में हरियाली तीज का विशेष महत्व। है। यह महिलाओं के सजने संवरने और खुशियां मनाने का त्योमहार है। सावन मास के शुक्ली पक्ष की तृतीया को हर साल हरियाली तीज के रूप में मनाया जाता है। यह मुख्य। रूप से पश्चिमी उत्तार प्रदेश, राजस्था न और दिल्लीज में मनाया जाता है। तीज पर महिलाएं पति की दीर्घायु और अच्छे‍ स्वा्स्य्र्  की कामना के लिए व्रत करती हैं। भगवान शिव और माता पार्वती जैसा वैवाहिक जीवन प्राप्तु करने के लिए यह व्रत रखा जाता है। आइए जानते हैं इस व्रत का महत्वत और अन्य‍ खास बातें सबसे पहले गिरिराज हिमालय की पुत्री पार्वती ने किया था हरियाली तीज का व्रत त्योहार जिसके फलस्वरूप भगवान शंकर उन्हें पति के रूप में प्राप्त हुए। हरियाली तीज का त्योहार सुहागन महिलाओं के लिए तो शुभ माना ही जाता है। इसे कुंवारी लड़कियां भी मनोवांछित वर की प्राप्ति के लिए इस दिन व्रत रखकर माता पार्वती की पूजा करती हैं। हरियाली तीज के दिन भगवान शिव ने देवी पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार करने का वरदान दिया। पार्वती के कहने पर शिव जी ने आशीर्वाद दिया कि जो भी कुंवारी कन्या इस व्रत को रखेगी उसके विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होंगी। मनुष्य स्वभाव से ही प्रकृति प्रेमी है। आसमान में बादल, पपीहे की पुकार और बारिश की फुहार से खुश होकर लोग सावन मास की शुक्ल तृतीया (तीज) को हरियाली तीज का लोकपर्व मनाते हैं। इस बार यह पर्व 23 जुलाई दिन गुरुवार को है इस पर्व में सुहागन महिलाएं पूरा श्रृंगार करती हैं और देवी पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं।

हरियाली तीज पूजा विधि

निर्जला व्रत और भगवान शिव और माता पार्वती जी की विधि पूर्वक पूजा करने का विधान है। इस दिन व्रत के साथ-साथ शाम को व्रत की कथा सुनी जाती है। माता पार्वती जी का व्रत पूजन करने से धन, विवाह संतानादि भौतिक सुखों में वृद्धि होती है। सावन मास के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को महिलाएं शिव-पार्वती का विशेष पूजन करती हैं, वही हरियाली तीज कहा जाता है। देश के बड़े भाग में यही पूजन आषाढ़ तृतीया को मनाया जाता है उसे हरितालिका तीज कहते हैं। दोनों में पूजन एक जैसा होता है अत: कथा भी एक जैसी है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को श्रावणी तीज कहते हैं। परन्तु ज्यादातर लोग इसे हरियाली तीज के नाम से जानते हैं। यह त्योहार मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। इस दिन स्त्रियां माता पार्वती जी और भगवान शिव जी की पूजा करती हैं। निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत को करवा चौथ से भी कठिन व्रत बताया जाता है। इस दिन महिलाएं पूरा दिन बिना भोजन-जल के दिन व्यतीत करती हैं तथा दूसरे दिन सुबह स्नान और पूजा के बाद व्रत पूरा करके भोजन ग्रहण करती हैं। विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन स्त्रियों के मायके से श्रृंगार का सामान और मिठाइयां उनके ससुराल भेजी जाती है। हरियाली तीज के दिन महिलाएं सुबह घर के काम और स्नान करने के बाद सोलह श्रृंगार करके निर्जला व्रत रखती हैं। इसके बाद मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा होती है। पूजा के अंत में तीज की कथा सुनी जाती है। कथा के समापन पर महिलाएं मां गौरी से पति की लंबी उम्र की कामना करती है। इसके बाद घर में उत्सव मनाया जाता है और भजन व लोक नृत्य किए जाते है। इस दिन हरे वस्त्र, हरी चुनरी, हरा लहरिया, हरा श्रृंगार, मेहंदी, झूला-झूलने का भी रिवाज है। जगह-जगह झूले पड़ते हैं। इस त्योहार में स्त्रियां हरी लहरिया न हो तो लाल, गुलाबी चुनरी में भी सजती हैं, गीत गाती हैं, मेंहदी लगाती हैं,श्रृंगार करती हैं, नाचती हैं। हरियाली तीज के दिन अनेक स्थानों पर मेले लगते हैं और माता पार्वती की सवारी बड़े धूमधाम से निकाली जाती है।

 
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