कौन थे तपन दा, जिनकी मृत्यु से बंगाल के राष्ट्रवादी खेमे को इतना गहरा नुकसान पहुंचा
पश्चिम बंगाल में हिन्दू एकता और संगठन के लिए
लड़ने वाले सबसे सशक्त सिपाहियों थे।अपने निजी उदाहरण से उन्होंने हजारों को
प्रेरित किया। उनका सदैव स्मरण किया जाएगा और वे सदा हमें प्रेरणा देते रहेंगे।
हाल ही में बंगाल के राष्ट्रवादी खेमे को तपन घोष के चले जाने से बहुत बड़ा झटका
लगा,। हिन्दू समहति के नेता और प्रखर राष्ट्रवादी तपन घोष
कोरोना वायरस से पीड़ित थे, और कोलकाता के एक अस्पताल में
भर्ती थे। वे बंगाल के हिंदूवादी संगठन सहामति के नेता थे। 47 साल तक हिंदूओं के लिए लड़े । 30 साल वामपंथियों से
फिर ममता बनर्जी से। वे दुर्गा पूजा पर लगाई गई रोक पर अकेले सरकार से भिड़ गए।
रामनवमी की जुलूस में उन्हें पीटा गया रोहिंग्या और बांग्लादेशियों के खिलाफ वे जब
मुखर हुए तब उन्हें जेल में बंद कर दिया गया RSS के
कार्यकर्ता की हत्या हुई तो तपन दा वहां पहुंच गए मुर्शिदाबाद में बंधु पाल की
हत्या पर उन्होंने अकेले बंद कराया वह रामनामी दुपट्टा ओढ़े हुए बेखौफ मस्जिद के
सामने खड़े हो जाते थे कि आप नमाज पढ़िए लेकिन भारत के बारे में प्रोपगंडा मत करिए
विपरीत परिस्थितियों में रहकर भी विचारधारा के लिए, अपने
लोगों के लिए समर्पित भाव से निडर होकर काम करने वाले, लड़ने
वाले का बीच सँघर्ष में यूँ चले जाना, वाकई दुःख होता है
मानो किसी अपने को खो दिय। एम पी, एम एल ए, सरपंच, क्रिकेटर , फिल्म
कलाकार रहे तपन घोष को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए भाजपा के राज्यसभा सांसद
स्वपन दासगुप्ता ने ट्वीट किया था, “श्री घोष रविवार शाम को
परलोक सिधार गए। ॐ शांति” पश्चिम बंगाल के हिंदूवादी,
बंगाल में हिंदुत्व को लेकर हर संभव एकाकी लड़ाई लड़ने वाले #हिन्दूसमाहिती की स्थापना करने वाले....
रिटायर्ड वैज्ञानिक श्री #तपनघोष जी का कोरोना से
निधन हो गया... ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे....पूज्य चरणों में विनम्र
श्रद्धांजलि.. हिंदूओं के लिए भी वे गुमनाम रहे। तपन घोष जैसे लोग ऐसे ही आते हैं
ऐसे ही चले जाते हैं महाप्रस्थान से पहले किसी और को अपना धनुष सौंप जाते,
67 वर्षीय कट्टरपंथी समूह हिंदू समहती के संस्थापक, नेता और प्रखर राष्ट्रवादी तपन घोष पश्चिम बंगाल में हिंदू एकता और संगठन
के लिए लड़ने वाले वैसे ही एक सर्वाधिक समर्पित सैनिक थे। जिस प्रकार से लोकमान्य
बाल गंगाधर तिलक और विनायक दामोदर सावरकर ने महाराष्ट्र में सनातन धर्म की महिमा
को पुनः जागृत किया था, उसी प्रकार से तपन घोष ने पश्चिम
बंगाल में विलुप्तप्राय हो रही सनातन संस्कृति को पुनः जागृत करने के लिए एक विशाल
अभियान चलाया था। जिस तरह बाल गंगाधर तिलक और वीर सावरकर ने शिवाजी जयन्ती,
रामलीला और गणपति विसर्जन के जरिये सनातन संस्कृति के पुनरुत्थान की
नींव रखी, वैसे ही तपन घोष ने रामनवमी के जरिये बंगाल में
सनातन संस्कृति के पुनरुत्थान का अभियान प्रारम्भ किया। इस अभियान को रोकने के लिए
कई प्रयत्न किए, स्वयं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के
लिए मानो जय श्री राम का नारा लगाना अपराध समान
हो गया। परंतु मजाल थी कि तपन दा टस से मस हुए हों। तपन दा की मृत्यु से
सनातन संस्कृति के पुनरुत्थान के अभियान को बंगाल में काफी गहरा नुकसान हुआ है,
जिसकी भरपाई करना बहुत ही कठिन होगा।