'स्वदेशी' के बूते हम जीत जाएंगे हर एक जंग
स्वदेशी के बूते देश न केवल 'आत्मनिर्भर' ही बनेगा, बल्कि चीनजन्य महामारी कोरोना संक्रमण से उत्पन्न आर्थिक संकट पर भी पार पाने में कामयाबी मिलेगी, ऐसा अधिकांश आर्थिक विश्लेषकों का मानना-समझना है। दूसरे शब्दों में कहें तो जीत जाएंगे हम 'स्वदेशी' के बूते हर एक जंग। जरूरत है तो सिर्फ हम में से अधिकांश को अपनी सोच और प्राथमिकता बदलने की। हमें अपनी जरूरत के हिसाब से 'स्वदेशी' उत्पादों को वरियता देने का संकल्प लेना होगा।
दरअसल कोरोना के कारण न केवल भारत में ही, बल्कि वैश्विक स्तर पर आर्थिक स्थिति पस्त हो चुकी है। देश की अर्थव्यवस्था को उबारने के क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत, वोकल फॉक लोकल, और 'मेक इन इंडिया' के साथ अब 'मेक फॉर वर्ल्ड' का मंत्र दिया है। मोदी सरकार अपने इस एजेंडे पर अब बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है। देश की अर्थव्यवस्था को कोरोना महामारी के इस संक्रमणकाल से उबारने और 'आत्मनिभर्र भारत' बनाने में कृषि क्षेत्र की भूमिका अहम होगी।
प्रधानमंत्री ने दिया 'आत्मनिर्भर' भारत के साथ 'मेक फॉर वर्ल्ड' का मंत्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 74वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को 'आत्मनिर्भर भारत के साथ 'मेक फॉर वर्ल्ड' का मंत्र दिया। प्रधानमंत्री ने 'आत्मनिर्भर भारत' के महत्व को दोहराया और आवश्यकता पड़ने पर पूर्ण समर्थन देने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि 130 करोड़ से अधिक भारतीयों ने कोरोना वायरस महामारी के बीच 'आत्मनिर्भर' बनने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि 'आत्मनिर्भर' बनना अनिवार्य है और मुझे पूरा विश्वास है कि भारत इस सपने को साकार करेगा, मुझे भारतीयों की क्षमताओं, आत्मविश्वास और क्षमता पर भरोसा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोर देकर कहा कि अब 'मेक इन इंडिया' के साथ-साथ हमें 'मेक फॉर वर्ल्ड' के मंत्र के साथ भी आगे बढ़ना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि पूरी दुनिया भारत में किए जा रहे सुधारों को देख रही है, परिणामस्वरूप एफडीआई प्रवाह ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं, भारत में कोविड महामारी के दौरान भी एफडीआई में 18 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।
संकट के बाद अब रिकवरी के रास्ते पर है भारत
आंकड़ों पर गौर करें तो अर्थव्यवस्था में सुधार के कुछ संकेतों का उल्लेख करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) की गतिविधियों तथा 8 बुनियादी उद्योगों यानी कोर सेक्टर के उत्पादन में गिरावट अप्रैल की तुलना में मई में कम हुई है। आर्थिक मामलों के विभाग की ओर से जारी जुलाई की मैक्रोइकोनॉमिक रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल के संकट के बाद भारत अब रिकवरी के रास्ते पर है। इसमें सरकार और रिजर्व बैंक की नीतियों से समर्थन मिला है।
कृषि क्षेत्र निभा सकता है अर्थव्यवस्था को उबारने में अहम रोल
कृषि क्षेत्र कोरोना वायरस से प्रभावित अर्थव्यवस्था को उबारने में अहम रोल निभा सकता है। सितंबर, 2019 से व्यापार का रुख कृषि क्षेत्र की ओर हुआ है जिससे ग्रामीण मांग बढ़ाने में मदद मिली है। इससे मार्च से जून, 2020 से ग्रामीण क्षेत्रों की मुख्य महंगाई दर बढ़ी है। कृषि क्षेत्र की बेहतरी व किसानों के समग्र विकास की दृष्टि से भारत सरकार दो अध्यादेश "कृषक उपज व्यापार व वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अध्यादेश" तथा "मूल्य आश्वासन व कृषि सेवाओं के करारों के लिए किसानों का सशक्तिकरण व संरक्षण अध्यादेश" लाई है। अत्यावश्यक वस्तु अधिनियम में भी महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। एक लाख करोड़ रुपए के कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड का शुभारंभ करने के साथ ही सरकार ने 10 हजार नए एफपीओ बनाने की बड़ी योजना भी शुरू की है। सकारात्मक बदलाव सहित अन्य उपायों से खेती के क्षेत्र में निजी निवेश के साथ ही नई पीढ़ी का आकर्षण भी बढ़ेगा। किसान आनलाइन प्लेटफार्म पर देश में कहीं भी, किसी को भी उपज बेच सकेंगे, जिससे उन्हें काफी अच्छे दाम मिल सकेंगे और आय बढ़ेगी। कृषि व ग्रामीण अर्थव्यवस्था भारत की बहुत बड़ी ताकत है, जो किसी भी प्रतिकूल परिस्थिति में खड़ी रहने में सक्षम है।
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने को उठाया एक बड़ा कदम
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई 2020 को राष्ट्र के नाम संबोधन में अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचा, व्यवस्था, जनसांख्यिकी और मांग के आधार पर आत्मनिर्भर भारत के लिए आह्वान किया था और खुद पर आश्रित रहते हुए भारत के निर्माण के लिए आत्मनिर्भर भारत नाम से एक विशेष आर्थिक पैकेज की भी घोषणा की थी। प्रधानमंत्री के इस आह्वान पर आगे बढ़ते हुए रक्षा मंत्रालय ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। रक्षा मंत्रालय ने 101 रक्षा वस्तुओं की एक सूची तैयार की है, जिनके आयात के लिए निर्धारित समय-सीमा के बाद आगे उनके आयात पर प्रतिबंध होगा। बहरहाल सरकार की मंशा रक्षा क्षेत्र समेत तमाम सेक्टर्स में आत्मनिर्भर बनने की है। इसी लक्ष्य के साथ 101 रक्षा उत्पादों को देश में ही बनाने का फैसला किया गया है। गलवान घाटी में समेत सीमा पर हुए तनाव के बाद डैगन के विस्तारवादी रवैए के विरोध के क्रम में चाइनीज माल और कंपनियों पर शिकंजा कसने को लिए गए तमाम फैसले भी आत्मनिर्भर भारत बनाने में सहायक सिद्ध होंगे, यह सर्वविदित तथ्य है।
योजनाओं के क्रियान्वयन और निगरानी को प्रभावी तंत्र बनाने की है जरूरत
ऐसे में देश को आत्मनिर्भर बनाने में कृषि और ग्रामीण क्षेत्र की अहम् भूमिका रहेगी। जरूरत है तो बस हरेक क्षेत्र में संबंधित सरकारी योजनाओं को समुचित रूप से प्रभावी बनाने की। इसके लिए योजनाओं को लागू करने के साथ ही उनके क्रियान्वयन तंत्र पर सघन और सतत् निगरानी रखने की भी आवश्यकता है। कुलमिलाकर सरकारी स्तर पर किए जा रहे सभी प्रयास यदि समय रहते और सही प्रकार से सिरे चढ़े तो आत्मनिर्भर भारत बनना तय है।