भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर किसान आंदोलन को बदनाम करने का आरोप लगाते हुये राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा कि पूरे देश में हो रही किसान पंचायतें केन्द्र सरकार को संदेश दे रहीं हैं, जिसको अनसुना करना उसके लिए ठीक नही रहेगा।
चौधरी ने मंगलवार को रूधौली में किसान पंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि 1907 में शुरू हुआ ‘पगड़ी सम्भाल जट्टा’ आंदोलन भी अंग्रेजो द्वारा लाए गए तीन क़ानूनों के विरूद्ध ही था जैसा आज आंदोलन लड़ा जा रहा हैं और वह क़ानून भी किसानों से उनके ज़मीन पर अधिकार को ख़त्म करने और 25 प्रतिशत टैक्स लगाने के विरोध में था। उन क़ानूनों को नो महीने लम्बे चले आंदोलन के बाद अंग्रेज़ी हुकूमत को वापिस लेना पड़ा,ठीक ऐसे ही ये सरकार भी झुकेगी।
देश में हो रही किसान पंचायतों के बारे में उन्होने कहा कि ये पंचायतें सरकार को संदेश दे रहीं हैं, जिसको अनसुना करना सरकार के लिए ठीक नही रहेगा। सरकार इस आंदोलन को शुरू से बदनाम करने पर लगे हैं वे कभी इसको खालिस्तानियों का बताते हैं कभी सिर्फ़ पंजाबियों का और अब सिर्फ़ जाटों का बताने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन ये आंदोलन किसी जाति का नही बल्कि समूचे देश के किसानों का आंदोलन हैं।
चौधरी ने कहा कि हरियाणा सरकार में मंत्री जेपी दलाल किसानों की शहादतों का उपहास उड़ाते हैं। इसलिए चाहे किसान का खून बह जाए इनको कोई फ़र्क़ नही पड़ता इन्हें बस कुर्सी प्यारी हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री किसानों को आंदोलनजीवी कह रहे हैं। फिर तो कबीरदास, डॉक्टर अम्बेडकर, महात्मा गांधी, चौधरी चरण सिंह भी आंदोलनजीवी थे। इसलिए हम सब आंदोलनजीवी हैं। प्रधानमंत्री किसानों को परजीवी भी कहते है पर क्या वो किसान परजीवी हो सकता हैं जिसने हमेशा से दुनिया का पेट भरा हो।