कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने डीएपी उर्वरक पर प्रति बोरी 700 रुपए की सब्सिडी दिए जाने के सरकार के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि इससे इस खाद का मूल्य नहीं बढ़ेगा और किसानों को पहले के मूल्य पर मिलता रहेगा।
तोमर ने गुरुवार को राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन के अंतर्गत मधु एवं मधुमक्खी पालन के अन्य उत्पादों के गुणवत्ता परीक्षण के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा में क्षेत्रीय मधु गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित करने की परियोजना का शुभारंभ करते हुए कहा कि किसानों को जब डीएपी का एक बैग 1200 रुपए में मिलता था, तब इसकी वास्तविक कीमत 1700 रुपए होती थी, 500 रुपए की सब्सिडी सरकार देती थी। एकाएक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फॉस्फोरिक एसिड, अमोनिया आदि के भाव बढ़ने के कारण डीएपी की कीमत बढ़ी, जिससे एक बैग 2400 रुपए का हो गया। ऐसे में यदि सरकार की ओर से 500 रुपए प्रति बैग की ही सहायता मिलती होती तो किसानों को बैग 1900 रुपए में पड़ता। इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि किसानों पर एक रुपए का भी बोझ नहीं आना चाहिए, इसलिए अब केंद्र सरकार द्वारा 140 प्रतिशत अधिक सब्सिडी के रूप में 700 रुपए सहायता देते हुए कीमत 1200 रुपए ही रहने दी गई है। उन्होंने इस ऐतिहासिक फैसले के लिए प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त किया है ।
तोमर ने कहा कि देश में शहद का उत्पादन एवं निर्यात बढ़ रहा है तथा अच्छी गुणवत्ता के शहद के लिए भी पूरे प्रयत्न हो रहे हैं। छोटे-मझौले किसान इस काम से जुड़े ताकि उनकी आमदनी बढ़े, इसके लिए इस काम को सरकार ने तेज गति दी है।
राष्ट्रीय मधुमक्खीपालन और शहद मिशन में समग्र संवर्धन तथा वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन के विकास एवं “मीठी क्रांति” का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए 300 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई है। साथ ही आत्मनिर्भर भारत अभियान में केंद्र सरकार द्वारा 500 करोड़ रुपए आवंटित किए गए है। इसमें राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड आणंद में पांच करोड़ की सहायता से विश्वस्तरीय स्टेट आफ द आर्ट हनी टेस्टिंग लैब स्थापित की जा चुकी है। इसके अलावा, दो अन्य क्षेत्रीय/ बड़ी शहद एवं मधुमक्खी पालन के अन्य उत्पादों की परीक्षण प्रयोगशालाएं आठ-आठ करोड़ रुपए की राशि मंजूर की गई है। इस क्षेत्र के विकास की दृष्टि से, 13 मिनी/ सैटेलाइट जिला स्तरीय शहद व मधुमक्खीपालन के अन्य उत्पादों की प्रयोगशालाएं तथा ऑनलाइन पंजीकरण एवं शहद व अन्य उत्पादों के ट्रेसिबिलिटी स्रोत के विकास से संबंधित तथा अन्य महत्वपूर्ण परियोजनाएं भी स्वीकृत की गई है। शहद और अन्य मधुमक्खी उत्पादों के स्रोत का पता लगाने संबंधी ऑनलाइन पंजीकरण एवं ट्रेसिबिलिटी सिस्टम के लिए मधु क्रांति पोर्टल का शुभारंभ भी दो महीने पूर्व किया जा चुका है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए अन्य प्रयासों के साथ-साथ मधुमक्खी पालकों के किसान उत्पादक संगठन बनाने की भी शुरूआत हो चुकी है।
कार्यक्रम में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री परषोत्तम रूपाला, सचिव संजय अग्रवाल, आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र ने भी विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर अपर सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी, कृषि आयुक्त डॉ. एस.के. मल्होत्रा, आईएआरआई के निदेशक डॉ. अशोक कुमार सिंह तथा शहद मिशन के अन्य अधिकारी और शहद उत्पादन से जुड़े किसान शामिल हुए।