राममंदिर के नीचे 'टाइम कैप्सूल'!

05-09-2020 18:16:41
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राममंदिर के नीचे 'टाइम कैप्सूल' और 'ताम्रपत्र'!

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के नीचे एक 'टाइम कैप्सूल' भी रखा कहें कि दबाया जाएगा। कहा जा रहा है कि मंदिर में 200 फीट नीचे रखे जाने वाले इस 'टाइम कैप्सूल' में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर से संबंधित समस्त विस्तृत जानकारी अंकित होगी। भविष्य में जरूरत पड़ने पर रामजन्मभूमि मंदिर संबंधी संघर्ष के इतिहास के साथ ही तथ्य भी निकल कर सामने आएंगे, ताकि किसी तरह के कोई भी विवाद यहां फिर से उत्पन्न न हो सके। टाइम कैप्सूल रखने की जानकारी मीडिया को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने दी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 'टाइम कैप्सूल' के ताम्र लेख तैयार करने का कार्य दिल्ली की एक कंपनी ने किया है।

अंकित होगा राममंदिर का यह विवरण

श्रीराम मंदिर की स्थापना से संबंधित तथ्य हजारों साल तक कायम रखने को मंदिर के गर्भगृह की 200 फीट गहराई में 'टाइम कैप्सूल' रखा जाएगा। इस टाइम कैप्सूल में मंदिर का पूरा विवरण और इतिहास लिखा रहेगा, ताकि भविष्य में जन्मभूमि और राम मंदिर का इतिहास देखा जा सके और कोई विवाद न हो। टाइम कैप्सूल में एक ताम्रपत्र पर भगवान श्री राम के जन्म और जीवन संबंधी जानकारी, मंदिर का इतिहास, शिलान्यास की तारीख, भूमिपूजन करने वाले मुख्य अतिथि का विवरण, उपस्थित विशिष्टजनों के नाम, मंदिर निर्माण की शैली और वास्तुविद का नाम समेत विभिन्न विवरण अंकित रहेगा। मंदिर का निर्माण करने वाली कंपनी एलएनटी ने इसके लिए 200 फीट की गहराई से मिट्टी के नमूने लेकर जांच कराई है।

टाइम कैप्सूल रखे जाने को लेकर विरोधाभाष

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण स्थल के नीचे टाइम कैप्सूल रखे जाने को लेकर विरोधाभाष भी चल रहा है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने टाइम कैप्सूल रखे जाने की घोषणा की थी। उन्होंने मीडिया को बताया था कि मंदिर स्थल पर करीब 200 फीट नीचे टाइम कैप्सूल रखा जाएगा। इसके उलट श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास के महासचिव चंपत राय ने टाइम कैप्सूल रखे जाने से इनकार करते हुए ऐसी खबर को भ्रामक करार दिया। जिसके बाद इसे लेकर तमाम तरह की चर्चाओं का दौर जारी है।

मंदिर की आधारशिलाओं के नीचे रखे जाएंगे ताम्रपत्र

हालांकि यह तय है कि राम जन्म भूमि मंदिर की आधारशिलाओं के नीचे ताम्रपत्र रखे जाएंगे, जिन पर श्रीराम जन्म भूमि का संक्षिप्त इतिहास, शिलान्यास का ब्यौरा और मंदिर निर्माण आदि से संबंधित विभिन्न महत्वपूर्ण जानकारियां अंकित की जाएंगी। अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि इन ताम्रपत्रों की संख्या कितनी होगी। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास के  महासचिव चंपत राय और सदस्य कामेश्वर चौपाल के परस्पर विरोधाभाषी बयानों के चलते चर्चा है कि आधारशिलाओं के नीचे रखे जाने वाले इन ताम्रपत्रों को ही टाइम कैप्सूल कहा जा रहा है।

'टाइम कैप्सूल' होता क्या है?

भूमि में दबाए-रखे गए ताम्रपत्र और शिलालेख मिलना कोई नई और आश्चर्यजनक बात नहीं है। भारत में यह परम्परा पुरातन काल से चली आ रही है। हां अन्तर सिर्फ इतना है कि बदलते वक्त के साथ ही ताम्रपत्र और शिलालेख ने अब 'टाइम कैप्सूल' नाम ले लिया है। 'टाइम कैप्सूल' को एक ऐसे ऐतिहासिक महत्व के दस्तावेज के रूप में जाना जाता है, जिसमें किसी काल की सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक स्थिति का उल्लेख हो। अयोध्या में राम मंदिर के नीचे रखा जाने वाला 'टाइम कैप्सूल' भी ऐसा ही एक ऐतिहासिक दस्तावेज है। 'टाइम कैप्सूल' एक कंटेनर की तरह होता है और इसमें हर तरह के मौसम को सहन करने की क्षमता होती है। 'टाइम कैप्सूल' आमतौर पर तांबे से बनाया जाता है। क्योंकि तांबा धातु में जंग नहीं लगने के कारण यह ताम्र लेख मिट्टी में भी हजारों साल तक सुरक्षित रहता है।

इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी रखवा चुके हैं 'टाइम कैप्सूल'

'टाइम कैप्सूल' रखे-दबाए जाने का भारत में यह कोई पहला मामला नहीं है। भारत में पहले भी ऐसे 'टाइम कैप्सूल' ऐतिहासिक महत्व की इमारतों की नींव में रखवाए जा चुके हैं। दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बतौर मुख्यमंत्री पहले भी यह कार्य करवा चुके हैं। वर्ष 1973 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लालकिले की नींव में ऐसा ही एक 'टाइम कैप्सूल' रखवाया था, जबकि वर्ष 2011 में गुजरात के मुख्यमंत्री रहते नरेंद्र मोदी ने महात्मा मंदिर के नीचे और 'टाइम कैप्सूल' रखवाने का कार्य किया था।

1989 में भी रखा गया था एक ताम्र लेख

वर्ष 1989 में जब गर्भगृह के सामने राममंदिर का शिलान्यास हुआ था, उस वक्त भी एक ताम्र लेख भूमि के नीचे दबाया गया था। 9 नवंबर 1989 को बिहार निवासी कामेश्वर चौपाल ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए आधारशिला रखी थी। वर्ष 1989 में श्रीराममंदिर की आधारशिला रखे जाने के दौरान भी एक ताम्र लेख संबंधित भूमि क्षेत्र में दबाया गया था। यह ताम्र लेख विश्व हिन्दू परिषद के तत्कालीन महासचिव अशोक सिंहल ने तैयार कराया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर निर्माण को गठित श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में कामेश्वर चौपाल बतौर सदस्य शामिल हैं।

 इंदिरा सरकार में रखे गए 'टाइम कैप्सूल' को काल-पत्र दिया था नाम

वर्ष 1973 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लालकिले में ऐसा ही एक 'टाइम कैप्सूल' रखवाया था, तब इसे काल-पत्र नाम दिया गया था। इंदिरा गांधी की सरकार ने भूतकाल की प्रमुख घटनाओं को दर्ज करने का जिम्मा इंडियन काउंसिल आॅफ हिस्टोरिकल रिसर्च यानी आईसीएचआर को सौंपा था। इसकी पूरी पाण्डुलिपि तैयार करने का कार्य मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज के इतिहास के प्रोफेसर एस कृष्णासामी ने किया था।

उस दौरान विपक्षी दलों ने काल-पत्र में इंदिरा गांधी द्वारा अपने परिवार का महिमामंडन करने का आरोप लगाते हुए इस फैसले की खासी आलोचना की थी। वर्ष 1977 में कांग्रेस के सत्ता से बेदखल होने के बाद मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनने पर उस 'टाइम कैप्सूल' को निकाल लिया गया था, लेकिन इंदिरा सरकार के इस काल-पत्र में क्या लिखा था, यह राज आज तक नहीं खुल सका। क्योंकि जनता पार्टी की सरकार ने इस बात का रहस्योद्घाटन नहीं किया कि उस टाइम कैप्सूल में क्या था? बाद में प्रधानमंत्री कार्यालय ने मांगी गई एक जानकारी में बताया गया था कि इसके बारे में पीएमओ को कुछ भी पता नहीं है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले भी रखवा चुके हैं 'टाइम कैप्सूल'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले भी 'टाइम कैप्सूल' रखवा चुके हैं, लेकिन तब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे। उनके 'टाइम कैप्सूल' रखवाए जाने पर भी विवाद उठ खड़ा हुआ था। वर्ष 2011 में नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो विपक्ष ने उन पर भी टाइम कैप्सूल रखवाने का आरोप लगाया था। विपक्ष का कहना था कि नरेंद्र मोदी ने गांधीनगर में निर्मित महात्मा मंदिर के नीचे टाइम कैप्सूल रखवाया है, जिसमें उन्होंने अपनी उपलब्धियों का बखान किया है।

स्पेन में निकला था ईसा मसीह की मूर्ति रूपी 400 साल पुराना 'टाइम कैप्सूल'

वर्ष 2017 में स्पेन में खुदाई के दौरान 400 साल पुराना 'टाइम कैप्सूल' निकला था। 30 नवंबर 2017 को स्पेन के बर्गोस में करीब 400 वर्ष पुराना 'टाइम कैप्सूल' निकला था, यह ईसा मसीह की मूर्ति के रूप में था। ईसा मसीह की मूर्ति रूपी इस 'टाइम कैप्सूल' के भीतर वर्ष 1777 के आसपास के समय काल का आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक विवरण अंकित था।


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