राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने जन्मदिन की बधाई देने वालों को धन्यवाद ज्ञापित करने के बहाने प्रवासी श्रमिकों को लेकर एक बार फिर बिहार की नीतीश सरकार पर हमला बोला और कहा, “मुझे अफसोस होता है उनपर, जो आजाद हैं, सत्ता में बैठकर भी लाचार हैं।”
बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता श्री यादव के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर शुक्रवार को उनका एक पत्र जारी किया गया, जिसमें उन्होंने कहा, “आज मेरे बिहारवासी सदमे में हैं, दुख में हैं, सुविधाओं के अभाव में जी रहे हैं, सड़कों पर पैदल चल रहे हैं, भूख से मर रहे हैं तो मेरा मन अथाह पीड़ा का अनुभव कर रहा है। जब सुनता हूं रोते हुए मजदूरों की व्यथा, महसूस करता हूं उनके आंखों के आंसू तो लगता है कि अपने अंदाज में कहूं ‘काहे फिक्र करता है, हम हैं न साथ में’ लेकिन हालात से मजबूर हूं, साजिशों की बेड़ियों में जकड़ा हूं। मुझे अफसोस होता है उनपर जो आजाद हैं, सत्ता में बैठकर भी लाचार हैं। उन्हें कैसे नींद आ रही होगी, कैसे खाना खाया जाता होगा।”
श्री यादव ने उनके मजाकिया अंदाज पर विरोधियों के कटाक्ष पर कहा कि जीवन भर विरोधी यह कहते रहे कि लालू हंसी-मजाक करता है, संजीदा नहीं होता। लेकिन बिहारवासियों से आज कहना चाहते हैं कि वह जीवन भर अपने दिमाग से हर वो प्रयत्न संजीदा होकर करते रहे, जो गरीब, दलित, शोषित, वंचित और पिछड़े भाइयों का हक दिलाएं, उनके जीवन को ऊपर उठाएं। उनकी हमेशा यही कोशिश रही कि बिहारवासी हमेशा हंसते और मुस्कुराते रहें। उनकी एक बात सुनकर जब सामने खड़े लाखों लोग हंस देते हैं तो विरोधियों के सारे आरोप और तमगे उन्हें बेमानी लगने लगते हैं।
राजद अध्यक्ष ने 73वें जन्मदिन के मौके पर उनसे झारखंड की राजधानी रांची के राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में मिलने गए उनके छोटे पुत्र और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को लेकर होने वाले विधानसभा चुनाव में राजद के नेतृत्व की भूमिका तय करते हुए कहा, “छोटी उम्र में तुमने जो किया उसपर मुझे गर्व है। तुम्हे रुकना नहीं है। तुम्हें अपनी ऊर्जा के साथ-साथ लालू की ऊर्जा से भी काम करना है। हर काम को पहले के मुकाबले दोगुना करना है। जनसेवा का वचन ऐसे ही निभाते रहना है। दुखी चेहरों पर मुस्कुराहट सजाते रहना है। यही मेरे जन्मदिन का सबसे बड़ा उपहार है।”