उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आवासीय भवनों की वास्तुकला पर पुनर्विचार की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा है कि स्वस्थ जीवन के लिए इनमें वायु आवागमन और धूप की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए।
नायडू ने शनिवार को ‘इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी’ पर दूसरे वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का ऑनलाइन उद्घाटन करते हुए कहा कि घरों की योजना और निर्माण के दृष्टिकोण पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए ताकि मकानों के भीतरी हिस्सों में उचित वायु आवागमन और धूप सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी से यह फिर सिद्ध हो चुका है कि हम जिस हवा में सांस लेते हैं वह हमारे स्वास्थ्य को निर्धारित करती है।
उप राष्ट्रपति ने उन शोध अध्ययनों का उल्लेख किया जो दिखाते हैं कि सामान्य सांस लेने या बात करने से भी वायरस हवा में फैल सकता है। उन्होंने कहा कि भीड़-भाड़ वाले स्थान पर स्थिर हवा के संपर्क में आने वाले व्यक्तियों के लिए उच्च संक्रमण का खतरा अधिक हो सकता है। उन्होंने कहा कि मकानों में ताजी हवा के साथ-साथ धूप की भी उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
नायडू ने कहा कि लोग महामारी के बाद श्वसन स्वास्थ्य के महत्व के बारे में अधिक जागरूक हैं।
उप राष्ट्रपति ने बड़े शहरों में, विशेषकर सर्दियों के महीनों में, बिगड़ती वायु गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त की। जलवायु परिवर्तन और वाहनों के प्रदूषण को प्रमुख कारकों के रूप में इंगित करते हुए उन्होंने लोगों से अपनी जीवन शैली का मूल्यांकन करने और अपने कार्बन उत्सर्जन को यथासंभव कम करने काे प्रयास करने का भी आह्वान किया।