राजस्थान के अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में अंजुमन मोईनिया फखरिया चिश्तिया सैयद जादगान की ओर से गुरुवार चांद की ग्यारह तारीख को ताजिये बनाने का काम परंपरागत तरीके से शुरू हो गया।
अंजुमन की ओर से ईद के बाद चांद की ग्यारह तारीख को बड़े ताजिये का निर्माण शुरू करने की परंपरा है। इसी के तहत हजरत इमाम हुसैन की शान में कलाम पेश करते हुए दरगाह शरीफ के बुलंद दरवाजे पर ताजिये का काम शुरू करा दिया गया।
मोहर्रम यानि यौम-ए-अशूरा 30 अगस्त को पड़ेगा और इस दिन इमाम हुसैन की याद में ताजिये निकालने की परंपरा है। ऐसी स्थिति में अंजुमन की ओर से ताजिये का निर्माण और उसकी जियारत का सिलसिला मोहर्रम के दिन तक बना रहता है। दरगाह शरीफ के आठ जून सोमवार से खुलने की संभावना है। इसके बाद दरगाह में अकीदतमंदों की हाजिरी भी सुनिश्चित रहेगी। इसके मद्देनजर पुलिस प्रशासन ने अभी से दरगाह क्षेत्र में सुरक्षा के दृष्टिगत अवरोधक लगाने का काम शुरू कर दिया है।
उधर तीर्थराज पुष्कर स्थित ब्रह्मा मंदिर में भी आने वाले श्रद्धालुओं के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्थाएं की जा रही है। प्रशासन और पुलिस कोरोना के चलते नियमों की पालना कराने के लिए अभी से सतर्कता बरत रही है।