अनूठा होगा नागर शैली में बना भव्य-दिव्य श्रीरामजन्मभूमि मंदिर
नागर शैली में बना भव्य श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर निर्माण पूरा होने के बाद न केवल दुनिया के आकर्षण का केंद्र ही बनेगा, बल्कि कई नए कीर्तिमान भी गढेगा। यह दुनिया के सबसे बड़े मंदिरों में शुमार होगा। 84 हजार 600 वर्गफुट का विशाल श्रीरामजन्मभूमि मंदिर अब तक बने नागर शैली के मंदिरों में सबसे अलौकिक होगा। एक शिखर और पांच विशाल मंडपों के स्तूप से सुशोभित तीन तल का यह दिव्य मंदिर विश्वभर में अनूठा होगा।
मंदिर के शिखर से लेकर अधिष्ठान तक 17 हिस्सों की डिजाइन के साथ हर एक हिस्से के आकार के पिंक स्टोन की माप और लागत तय हो गई है। इस पर करीब तीन सौ करोड़ की लागत आने का अनुमान है।श्री रामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास के अनुसार मंदिर निर्माण में लगभग साढ़े तीन साल का समय लगेगा।
राम मंदिर में होंगे 17 भाग
मंदिर की नई डिजाइन का डायग्राम, हर हिस्से का मैप, 3-डी मॉडल से लेकर लागत तक का ब्योरा तैयार हो चुका है। शिखर या विमान, गर्भगृह, कलश, गोपुरम, रथ, उरूशृंग, मंडप, अर्धमंडप, जगति, स्तंभ, परिक्रमा या प्रदक्षिणा, शुकनात, तोरण, अंतराल, गवाक्ष, अमलक और अधिष्ठान इस मंदिर के 17 हिस्से होंगे। नागर शैली के शिल्पशात्र के अनुसार मंदिर के आठ प्रमुख अंग मूल आधार (जिस पर संपूर्ण भवन खड़ा होगा), मसूरक (नींव और दीवारों के बीच का भाग), जंघा (दीवारें, विशेषकर गर्भगृह की दीवारें), कपोत (कार्निस), शिखर (मंदिर का शीर्षभाग या गर्भगृह का ऊपरी भाग), ग्रीवा (शिखर का ऊपरी भाग), वतुर्लाकार आमलक (शिखर के शीर्ष पर कलश के नीचे का भाग) और कलश (शिखर का शीर्ष भाग) होता है।
पूरब मुखी होगा राम मंदिर
पूरब मुखी मंदिर की लंबाई अब 268 से 360 फुट और चौड़ाई 140 से बढ़ाकर 235 फुट की गई है, जबकि ऊंचाई 128 से 161 फुट हो गई है। मंदिर में गर्भगृह पर सबसे ऊंचा 161 फुट का शिखर बनेगा, इसके अलावा गूढ़ मंडप, नृत्यमंडप, रंगमंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप पर कुल पांच शिखर होंगे। समूचा मंदिर पिंक स्टोन से बनेगा, इसके विभिन्न हिस्सों में लगने वाले तराशे गये पत्थरों की डिजाइन से लेकर माप और लागत आदि का ब्योरा तैयार हो गया है। राम मंदिर का निर्माण पहले 37 हजार 500 सौ वर्ग फिट मे प्रस्तावित था, लेकिन अब इसका निमार्ण 84 हजार 500 वर्ग फिट में किया जायेगा। पहले इसकी ऊंचाई 128 फिट थी जिसे बढा कर 161 फिट कर दिया गया है। मंदिर में पहले एक लाख 75 हजार घन फिट पत्थर लगने थे, लेकिन अब करीब चार लाख घन फिट पत्थर लगेगा।
राम मंदिर में होंगे पांच शिखर
राम मंदिर के नए मॉडल में पांच शिखर हैं जबकि पहले इनकी संख्या तीन थी। मुख्य शिखर को इसलिए ऊंचा रखा गया है, ताकि यह दूर से भी दिखाई दे। राम मंदिर का पुराना मॉडल दो मंजिला था, लेकिन अब इसे तीन मंजिला कर दिया गया है। दो मंजिला मंदिर में हरेक तल मे 106 स्तंभ के हिसाब से पहले कुल 212 स्तंभ लगने थे, लेकिन अब कुल 318 स्तंभ होंगे। प्रत्येक स्तंभ पर 16 यक्ष-यक्षणियों की मूर्तियां उकेरी जाएंगी।
रामलला मंदिर के साथ ही होगा भगवती सीता मंदिर का भी निर्माण
राम जन्मभूमि अयोध्या में रामलला मंदिर के साथ ही भगवती सीता के मंदिर निर्माण का भी निर्णय लिया गया है। मां सीता मंदिर के लिए परिसर में पहले से स्थित सीता रसोई का चयन किया गया है। सीता रसोई को मां सीता के मंदिर का स्वरूप दिया जाएगा और वहीं से प्रसाद वितरित करने की भी योजना है।
निर्माण कार्य लॉसर्न एण्ड टुब्रो कम्पनी के जिम्मे
श्री रामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास के महासचिव चम्पत राय ने बताया कि मंदिर निर्माण का कार्य लॉसर्न एण्ड टुब्रो कम्पनी के जिम्मे सौंपा गया है। इसके साथ ही पत्थरों का कार्य मंदिर निर्माण मॉडल तैयार करने वाले गुजरात के प्रतिष्ठित आर्किटेक्ट चन्द्रकान्त सोमपुरा की कम्पनी ही करेगी।
एक हजार साल तक रह सकेगा सुरक्षित
राम लला के मंदिर निर्माण में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल होगा जिससे कि मंदिर एक हजार साल तक सुरक्षित रहेगा। तकनीक से मंदिर को आंधी, तूफान आदि से एक हजार साल तक कोई नुकसान नहीं पहुंच सकेगा। विशेषज्ञ बतातें हैं कि किसी भी भवन का सारा दारोमदार उसकी नींव पर होता है। राम मंदिर की नींव भी जमीन के नीचे वैसी ही जाएगी, जैसे नदियों के पुल के पिलर बनते हैं, लेकिन इसमें लोहे का प्रयोग नहीं होगा। फिलहाल राममंदिर के साथ 70 एकड़ परिसर को ध्यान में रखकर अयोध्या विकास प्राधिकरण से नक्शे की स्वीकृति संबंधी प्रक्रिया चल रही है।
सोमपुरा हैं मंदिर के मुख्य वास्तुकार
श्रीराजन्मभूमि मंदिर का नया डिजाइन वास्तु शिल्पी चंद्रकात सोमपुरा ने अपने दोनों पुत्रों निखिल और आशीष के साथ मिलकर तैयार किया है। 30 साल पहले विश्व हिंदू परिषद द्वारा तैयार कराए गए राम मंदिर के पुराने मॉडल का डिजाइन भी चंद्रकात सोमपुरा ने ही बनाया था। वास्तुविद् चन्द्रकान्त सोमपुरा और उनकी कम्पनी ने न केवल दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर के निर्माण में ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, बल्कि वह देश में 160 फिट ऊंचे मंदिरों के निर्माण का अनुभव रखने वाले इकलौते वास्तुकार हैं।
देश में यह हैं नागर शैली के प्रमुख मंदिर
सोमनाथ मंदिर, गुजरात)
दिलवाड़ा मंदिर, राजस्थान
कंदरिया महादेव मंदिर, मध्य प्रदेश
खजुराहो मंदिर, मध्यप्रदेश
लिंगराज मंदिर, उड़ीसा
जगन्नाथ मंदिर, उड़ीसा
कोणार्क का सूर्य मंदिर, उड़ीसा
मुक्तेश्वर मंदिर, उड़ीसा