श्रीरामजन्मभूमि पर महाराज कुश ने बनवाया था पहला मंदिर
मान्यता है कि अयोध्या नगरी में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की आधारशिला प्रभु राम के पुत्र महाराज कुश ने रखी थी। श्रीराम के बंधु-बांधवों व प्रमुख प्रजाजनों समेत दिव्यधाम को प्रस्थान करने से अयोध्या उजाड़ हो गई थी। इसके बाद कुशावती (कौशांबी) के राजा कुश ने आकर अयोध्या को बसाया था और श्रीराम जन्मभूमि मंदिर बनाने का कार्य किया था।
जन्मभूमि पर बने मंदिर में लगाए गए थे 84 स्तंभ
लोमश रामायण के अनुसार महाराज कुश ने कसौटी के 84 स्तंभों (खंभों) से युक्त मंदिर जन्मभूमि पर बनवाया था। मंदिर में कसौटी के जिन 84 स्तंभों को लगाया गया था, उसकी भी पौराणिक कथाएं हैं। कहा जाता है कि इन स्तंभों को प्रभु राम के पूर्वज इक्ष्वाकु वंश के महाराज अनरण्यक के आदेश पर विश्वकर्मा ने तैयार किया था, लेकिन बाद में रावण ने अनरण्यक को परास्त कर समूची अयोध्या में लूटपाट की और महल में लगे इन दिव्य स्तंभों को लंका ले गया।
प्रभुराम के बालरूप की प्रतिमा की गई थी स्थापित
राम-रावण युद्ध के बाद हनुमान जी इन दिव्य स्तंभों को अयोध्या लाए थे। इन्हीं स्तंभों से महाराज कुश ने श्रीरामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर बनवाया था, जहां चैत्र शुक्ल रामनवमी के शुभ अवसर पर प्रभुराम के बालरूप की प्रतिमा स्थापित हुई थी। कहते हैं कि हनुमानगढ़ी में प्रतीक स्वरूप एक स्तंभ आज भी है, जिसकी भक्त परिक्रमा करते हैं। कहा जाता है कि इस स्तंभ को हनुमानजी लंका से लाए थे।
कलयुग में प्रधानमंत्री मोदी ने रखी श्रीराम जन्मभूमि मंदिर और अयोध्या पुनर्निर्माण की आधारशिला
धर्म मर्मज्ञों का कहना है कि कि अयोध्यावासियों के मन में त्रेतायुग की वह घटना बीती पांच अगस्त को एक बार फिर सजीव होती दिखी। अबकी बार आधार शिला रखने का कार्य महाराज कुश के बजाए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। त्रेतायुग में महाराज कुश ने जैसे अयोध्या का पुनर्निर्माण कराया था, ठीक उसी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अब श्रीराम जन्मभूमि मंदिर और नव्य अयोध्या बनाने का संकल्प पूरा करते हुए अब ऐसा ही कर रहे हैं। मंदिर निर्माण और विकास कार्यों का शुभारंभ होने के बाद अब अयोध्यावासी ही नहीं बल्कि, समूचा विश्व प्रधानमंत्री मोदी के जरिए सदियों से बहुप्रतीक्षित रामायण कालीन दृश्य और नव्य अयोध्या का आकांक्षी है।
जनसहयोग से होगा रामजन्मभूमि मन्दिर का निर्माण
रामजन्मभूमि मन्दिर का निर्माण सनातन धर्म की पुरातन परम्परा जनसहयोग यानी क्राउड फंडिंग से किया जाएगा। इसके लिए दस करोड़ श्रद्धालुओं से सहयोग राशि दान में लेने का लक्ष्य रखा गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए हर परिवार से 11 रुपए और एक पत्थर का योगदान देने का आह्वान कर चुके हैं। श्रीरामजन्मभूमि में विराजमान रामलला के भव्य और दिव्य मंदिर में तीन से साढ़े तीन साल का अधिकतम समय लगेगा। यह मंदिर देश के दस करोड़ श्रद्धालुओं के सहयोग से बनाया जायेगा। मंदिर के निर्माण में लगभग 300 करोड़ रूपए खर्च होने का अनुमान है, लेकिन जिस तरह से दानदाता उत्साहित होकर सामने आ रहे हैं, उससे लगता है कि निर्माण मे होने वाले व्यय से बहुत अधिक राशि दान मे आ जाएगी। बता दें कि राम मंदिर निर्माण का बैंक खाता खुलते ही इसमें दानराशि जमा होने लगी थी। श्री रामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास के महासचिव चम्पत राय ने कहा कि राम मंदिर के निर्माण में धन की कमी नहीं है फिर भी कितना धन व्यय होगा इसका अनुमान लगाना ठीक नहीं है, क्योंकि किसी धार्मिक कार्य में धन का अनुमान लगाना अनुचित है।