दिल्ली में निजी-सरकारी बसों की तरह ही अब मेट्रो सेवा में वैश्विक आपदा कोविड-19 से जुड़े तमाम दिशानिर्देशों की खुलेआम धज्जियां उड़ती दिख रही हैं।
ट्रेनों में सफर करने वाले अब उस सीट पर बैठने से परहेज नहीं कर रहे हैं जहां एक स्टीकर पर लिखा है--“कृपया यहां न बैठें, कोविड-19 को रोकने के लिए मदद करें!”
वैशाली से राजीव चौक आने के क्रम में रविवार को वैशाली-द्वारका मेट्रो ट्रेन में एक यात्री ने कम से कम तीन लोगों को कहा कि वो गलत सीट पर बैठ गये हैं। तीनों इतने भद्र पुरूष थे कि उस व्यक्ति का कहना मानते हुये सीट से उठ गये। इस बीच एक अन्य व्यक्ति ने उन यात्रियों को फिर से उसी स्थान पर बैठने की पेशकश कर दी जिस पर उक्त स्टीकर चिपका हुआ था। समझदार यात्रियों ने दोबारा जोखिम मोल लेना उचित नहीं समझा। उन्होंने बुजुर्ग यात्री की गलत पेशकश को ठुकराना ही उचित समझा।
कुछ यात्री ऐसे भी होते हैं जो पूरे रास्ते का भोजन साथ लेकर चलते हैं और घर की ही तरह मेट्रो में भी पूरे रास्ते तरह-तरह के भोजन का आनंद लेते जाते हैं जबकि मेट्रो में खाने-पीने की चीजों पर सख्त पाबंदी है।
चूंकि प्रवेश या निकासी के दौरान केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जवान मौजूद रहते हैं इसलिए अभी तक मास्क लगाने, तापमान जांचने और अपने हाथों को सेनेटाइज करने के दिशानिर्देशों का उल्लंघन नहीं हो पाया है।