देवबंदी विचारधारा के इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारुल ऊलम देवबंद के तीसरे सदर मुदर्रिस (प्रधानाध्यापक 1851-1920) के पौत्र अशरफ उस्मानी ने प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर अलीगढ़ में राजकीय विश्वविद्यालय की स्थापना करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रति आभार जताया है।
उस्मानी ने कहा कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह यह सम्मान बहुत ही पहले मिल जाना चाहिए था। अशरफ उस्मानी दारूल उलूम देवबंद के प्रवक्ता भी हैं। उनके पिता मौलाना राशिद हसन उस्मानी भी स्वतंत्रता सेनानी थे और उनके बाबा शेख उल हिंद, मौलाना महमूद उल हसन उस्मानी थे जिन्होंने भारत को आजाद कराने के लिए रेशमी रूमाल की तहरीफ चलाई थी। इन्हीं मौलाना महमूद हसन उस्मानी ने 1 दिसंबर 1915 को काबुल अफगानिस्तान में भारत की अंतरिम सरकार का गठन किया था।
उन्होंने ने ही राजा महेंद्र प्रताप सिंह को भारत की अंतरिम सरकार का राष्ट्रपति बनाकर अफगानिस्तान काबुल भेजा था। देवबंद दारूल उलूम के ही मौलाना बरकतुल्ला को प्रधानमंत्री बनाया गया था और देवबंद दारूल उलूम के ही मौलाना उबेदुल्ल सिंधी गृहमंत्री और देवबंद दारूल उलूम के ही मौलवी बसीर युद्ध मंत्री बनाए गए थे। जिन्होंने भारत को आजाद कराने के लिए सशस्त्र क्रांति योजना तैयार की थी और रेशमी रूमाल के जरिए भी संदेशों का आदान-प्रदान करते थे।
वर्ष 2013 में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने महम्मूद उल हसन की स्मृति में डाक टिकट जारी किया था। अब राजा महेंद्र प्रताप सिंह को मौजूदा सरकार द्वारा भरपूर सम्मान दिए जाने से महमूद हसन के अनुयायियों और परिवार के सदस्यों को संतोष की प्राप्ति हुई है।