उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया की हत्या के मामले में राज्य के बहुजन समाज पार्टी विधायक के पति को दी गई जमानत गुरुवार को खारिज करते हुए कहा कि देश में दो समानान्तर कानूनी प्रणालियां नहीं हो सकती।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की खंडपीठ ने कहा कि भारत में अमीर, संसाधनों से युक्त और राजनीतिक रूप से ताकतवर लोगों तथा संसाधनों से वंचित छोटे लोगों के लिए दो समानांतर कानूनी प्रणालियां नहीं हो सकती।
पीठ ने न्यायपालिका के राजनीतिक दबावों और विचारों से मुक्त होने की आवश्यकता जताते हुए कहा, “न्यायाधीशों के व्यक्तिगत निर्णय लेने और संबंधित कानूनों के तहत अदालती कार्यवाही के संचालन से न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच टकराव की स्थिति नहीं आनी चाहिए। पीठ ने कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया की हत्या के मामले में बसपा विधायक के पति को दी गई जमानत खारिज कर दी। खंडपीठ ने कहा कि एक स्वतंत्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका लोकतंत्र का आधार है और इस पर किसी प्रकार का राजनीतिक दबाव नहीं होना चाहिए। खंडपीठ ने कहा कि दोहरी व्यवस्था कानून की वैधता को ही खत्म कर देगी। कानून के शासन की प्रतिबद्धता सरकारी तंत्र की भी जिम्मेदारी है।”