भारत विश्व में एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है. इस उभरती हुई अर्थव्यवस्था को विदेशी निवेशकों की जरुरत है. विदेशी निवेशक भारत में आकर अपना निवेश कर सकें इस लिए एक अंतर्राष्ट्रीय मानक के इंफ्रास्ट्रक्चर की जरुरत होती है.
एक अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर निवेशकों को ऐसा बिज़नेस माहौल देता है, जिसमे बड़ी कंपनियों के वर्कर अच्छी सुविधाओं में काम करते हैं, जिससे कि काम करने का वातावरण अनुकूल हो जाता है.
भारत में भी अंतर्राष्ट्रीय मानक के बिज़नेस हब बनने लगे हैं, जिसमे अत्याधुनिक सुविधाओं का उपयोग किया गया है. इसी दिशा में भारत की डीएलएफ (DLF) एक ऐसी कम्पनी है जिसने इस दिशा में अपना वर्चस्व कायम किया है.
डीएलएफ (DLF) ने रियल एस्टेट के बिज़नेस में भारत में अन्तराष्ट्रीय मानकों के इंफ्रास्ट्रक्चर को खड़ा किया है.
डीएलएफ (DLF) की स्थापना का श्रेय चौधरी राघवेन्द्र सिंह को जाता है, जिन्होंने 1946 में दिल्ली लैंड एंड फाइनेंस कम्पनी की नींव रखी. राघवेन्द्र सिंह ने पहले भारत में 1930 में ब्रिटिश भारतीय सिविल सेवा के क्षेत्र में कार्यरत होकर अपना योगदान दिया और बाद में 1940 में उन्होंने आर्मी ज्वाइन कर ली. आर्मी से दूर होने के बाद उन्होंने रियल एस्टेट के क्षेत्र में अपना बिज़नेस खड़ा करने का सपना देखा. आज़ादी के बाद जब देश का विभाजन हुआ तब बंटवारे में बेघर हुए लोगों को घर उपलब्ध करवाने की दिशा में चौधरी राघवेन्द्र सिंह जी ने दिल्ली में आवासीय कॉलोनी बनाने का फ़ैसला किया जिसके अंतर्गत दिल्ली में 21 आवासीय कॉलोनी बनाने का लक्ष्य रखा. डीएलएफ (DLF) के द्वारा कृष्णा नगर 1949 में दिल्ली का पहला आवासीय कॉलोनी बना. इसी समय दिल्ली में मॉडल टाउन, राजौरी गार्डन, ग्रेटर कैलाश, हौज़ ख़ास, साउथ एक्सटेंशन जैसे क्षेत्र भी डीएलएफ (DLF) की आवासीय परियोजना का हिस्सा बने.
दिल्ली में परियोजनाएं शुरू करने से पहले चौधरी राघवेन्द्र सिंह ने किसानों का विश्वास जीत कर उनसे ज़मीनें खरीदी और उस ज़मीन की अच्छी कीमतें भी किसानों को दिलवाई जिसके कारण किसानों का विश्वास उन पर बढ़ता गया और एक बहुत ही बड़ी मात्रा में उन्होंने परियोजनाओं के लिए ज़मीने खरीद ली.
चौधरी राघवेन्द्र सिंह जिस समय दिल्ली मे आवासीय परियोजनाओं को लेकर एक एक सपने की तरफ आगे बढ़ रहे थे तभी उनके सामने मुश्किलों से भरा हुआ दौर आया जब भारतीय सरकार द्वारा प्राइवेट रियल एस्टेट कंपनियों को दिल्ली से बाहर धकेल दिया गया और 1957 में दिल्ली में परियोजनाओं के लिए एक नई कम्पनी दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी को स्थापित किया गया. ऐसे समय में चौधरी राघवेन्द्र सिंह की डीएलएफ कंपनी पूरी तरह से दिल्ली में बिज़नेस से बाहर हो गई. चौधरी राघवेन्द्र सिंह के सामने कम्पनी को बचाए रखने की चुनौती थी जिसके बाद उन्होंने अमेरिका की एक कम्पनी के साथ टाई अप किया और अमेरिकन यूनिवर्सल इलेक्ट्रिक इंडिया नाम की एक कम्पनी बनाई जिसका ऑफिस हरियाणा और फरीदाबाद में खोला गया था.
चौधरी राघवेन्द्र सिंह पर कम्पनी को आगे बढाने की जिम्मेदारीयां थी इसलिए उनको कम्पनी के लिए नये उत्तराधिकारी को ढूँढना था. चौधरी राघवेन्द्र सिंह का कोई भी पुत्र ना होने के कारण उन्होंने अपनी कम्पनी का ज़िम्मा अपने दामाद कुशल पाल सिंह को सौंप दिया. कुशल पाल सिंह ने यूनाइटेड किंगडम से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की उसके बाद वे भारतीय घुड़सवार सेना में कार्यरत हो गये. चौधरी राघवेन्द्र सिंह (डीएलएफ के संस्थापक) ने उन्हें अपने बिज़नेस की कमान देने के लिए आर्मी छोड़ने के लिए कहा जिसके बाद उन्होंने 1960 में अमेरिकन यूनिवर्सल इलेक्ट्रिक इंडिया कम्पनी को ज्वाइन कर लिया और बाद में 1979 में इस कम्पनी में उन्होंने डीएलएफ का भी विलय कर लिया. कुशल पाल सिंह ने कम्पनी के लिए अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई जिसकी बदौलत उनके दृढ़ संकल्प ने डीएलएफ (DLF) को एक बार फिर से रियल इस्टेट बिज़नेस में कामयाब बना दिया.
जब भारतीय सरकार द्वारा प्राइवेट कंपनियों को दिल्ली से बाहर धकेल दिया गया था, ऐसे में कुशल पाल सिंह के सामने डीएलएफ (DLF) को एक बार फिर से खड़ा करने की चुनौती थी. इस चुनौती को देखते हुए कुशल पाल सिंह ने दिल्ली के ही नज़दीक एक क्षेत्र को चुना जिसमे उन्होंने भविष्य का व्यावसायिक नगर बनने की संभावनाए देखी. आज वर्तमान में उस क्षेत्र को गुरुग्राम के नाम से जाना जाता है जो कि भारत का पहला अत्याधुनिक शहर है.
कुशल पाल सिंह ने इस क्षेत्र में अपनी परियोजनाएं शुरू करने के लिए ज़मीन अधिग्रहण का वही तरीका अपनाया जो कि चौधरी राघवेन्द्र सिंह (डीएलएफ के संस्थापक) अपनाते थे. उन्होंने ज़मीन की खरीद में किसानों के साथ मानवीय दृष्टिकोण का ख़ास ध्यान रखा जिसके कारण वह धीरे-धीरे गुडगाँव के किसानो से ज़मीन खरीदते गये और उन्हें बदले में अच्छी कीमते देने का रास्ता अपनाया. इसके बाद डीएलएफ (DLF) द्वारा गुडगाँव में बड़ी परियोजनाओं पर काम शुरू किया गया जिसके तहत यहाँ पर बड़े इकनोमिक ज़ोन, बिज़नेस हब और इलेक्ट्रोनिक सिटी बनाने की परियोजनाएं शामिल थी. कुछ ही समय बाद डीएलएफ (DLF) ने देश की राजधानी दिल्ली के नज़दीक पहला आधुनिक शहर गुडगाँव विकसित कर लिया और अपनी इस कामयाबी से डीएलएफ (DLF) ने रियल एस्टेट बिज़नेस में अपना बड़ा नाम कमाया.
डीएलएफ (DLF) द्वारा विकसित गुडगाँव का साइबर सिटी अत्याधुनिक सुविधाओं से भरपूर एक बिज़नेस हब है, जहां पर विश्व की बड़ी-बड़ी मल्टीनेशनल कम्पनियों के ऑफिस मौजूद है. इन बड़ी कंपनियों में गूगल, अमेज़न, माइक्रोसॉफ्ट, कोका-कोला, आईबीएम जैसी कंपनियां शामिल है. डीएलएफ( DLF) द्वारा इन कंपनियों के लिए तैयार यह बिज़नेस हब लाखों लोगों को रोजगार देता है. साइबर सिटी एक ऐसा शहर है जो कभी रुकता नही है बस चौबीसों घंटे यहाँ जगमगाती इमारतों में कर्मचारियों की चहल-पहल रहती है.
डीएलएफ (DLF) ने अपनी इमारतों का निर्माण करने में पर्यावरण का ध्यान रखते हुए ग्रीन इमारतों का निर्माण किया है जिसमे अन्तराष्ट्रीय मानको के अनुसार वातावरण का ख़ास ध्यान रखा गया है.
इसके अलावा डीएलएफ (DLF) की कुछ अन्य विशेषताएं निम्नलिखित है:-
साइबर सिटी इंडिया का एक सम्पूर्ण बिज़नेस डिस्ट्रिक्ट है.
साइबर सिटी में 16 लेन की ड्राइव रोड का निर्माण किया गया है.
साइबर सिटी के पास इंडिया की खुद की पहली प्राइवेट रैपिड मेट्रो सर्विस है.
साइबर सिटी में पॉवर प्लांट और डिस्ट्रिक्ट कुलिंग की व्यवस्था मौजूद है जो इसकी इमारतों में काम कर रहे कर्मचारियों को ठंडा माहौल देती है.
यहाँ पर देश का पहला प्राइवेट फायर स्टेशन है.
साइबर सिटी में फ़ूड और एनवायरनमेंट हब मौजूद है.
साइबर सिटी की सभी इमारतों में CISF की तैनाती की गई है.
डीएलएफ (DLF) की दूरी दिल्ली एयरपोर्ट से काफी नज़दीक है.
डीएलएफ(DLF) अपनी ऊर्जा की पूर्ती के लिए बायोगैस प्लांट, सोलर पॉवर, विंड पॉवर का भी
उपयोग करता है.
डीएलएफ (DLF) आज भारत की बहुत बड़ी व्यवसायिक कम्पनी बन गयी है जो अपनी अच्छी सुविधाओं के कारण विश्व भर में अपना नाम कमा रही है. अब तो डीएलएफ (DLF) भारत के चर्चित क्रिकेट टूर्नामेंट आईपीएल को भी स्पोंसर कर चुकी है. कम्पनी ने जिस तरह अपना स्लोगन “बिल्डिंग इंडिया” अपनाया है ठीक उसी तरह कम्पनी ने देश में वैसा काम भी करके दिखाया है. अब यह कम्पनी देश के विभिन्न राज्यों में अपनी कई परियोजनाओं पर काम कर रही है इसी तरह डीएलएफ (DLF) भारत के रियल एस्टेट बिज़नेस में निरंतर प्रगति के रस्ते पर आगे बढ़ रही है.
Web Title: Success story of DLF