शिव भक्ति का मास श्रावण
सावन का महीना शुरू होने में १ ही दिन शेष हैं.
हिंदू धर्म में सावन के महीने का खास महत्व होता है. इस पूरे महीने में भगवान शिव
की पूजा की जाती है. इस महीने में आप भगवान शिव की पूजा करके मनचाहा फल पा सकते
हैं. पंचांग अनुसार चैत्र माह से प्रारंभ होने वाले हर वर्ष के, पांचवें महीने में ही श्रावण मास आता है जबकि अंग्रेजी कैलेंडर की मानें
तो, हर वर्ष सावन का महीना जुलाई या अगस्त में पड़ता है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन महीने में पड़ने वाले
पहले सोमवार को भगवान शिव की पूजा अर्चना करने पर सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती
हैं. इस महीने में शिव भक्त अपनी कांवड़ यात्रा भी शुरू करते हैं. इस बार सावन माह
में शुभ संयोग बन रहा है
हिंदू कैलेंडर के हिसाब से 5 तारीख को आशाढ़ पूर्णिमा है और उसके अगले दिन यानि 6 जुलाई से सावन मास का प्रारंभ है। सावन का महीना भगवान भोले नाथ को
प्रसन्न करने के लिए सबसे अच्छा समय है। यह शिव जी का प्रिय माह है। इस माह में
भगवान शिव को मनाने से वे अतिशीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी
मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।
शिवभक्ति का मास श्रावण में इस साल 2020 में कुल पांच सोमवार पड़ेंगे. पहला सोमवार जहां शुरुआत के दिन यानि कि 6 जुलाई को ही पड़ रहा है, वहीं दूसरा सोमवार 13 जुलाई को पड़ेगा. इसके बाद, 20 जुलाई, 27 जुलाई और 3 अगस्त के दिन सावन का सोमवार पड़ रहा है
जिस तरह से भगवान शिव को सावन का महीना अति प्रिय है उसी तरह सोमवार का दिन भी
शंकर जी का प्रिय दिन है और अगर ये दिन सावन का हो तो महत्व ही अलग होता है। इस
बार सावन बहुत ही अद्भुत संयोग लेकर आया है। इस बार सावन का आरंभ सोमवार के दिन से
हो रहा है, तो वहीं सावन माह का समापन भी सोमवार के दिन ही
होगा। इसलिए यह सावन बहुत ही शुभ है। सावन के महीने का हिंदू धर्म में काफी अधिक
महत्व होता है। इस माह में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है। धार्मिक
मान्यताओं के अनुसार सावन का पावन माह भोले शंकर का होता है। इस माह में भोले शंकर
की पूजा- अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सावन के महीने को
मनोकामनाओं को पूरा करने वाला माह भी कहा जाता है। यह माह काफी पवित्र होता है,
इस माह में भोले बाबा की विशेष पूजा करनी चाहिए। सावन को श्रावण मास भी कहा जाता है। इस महीने लोग कांवड़ यात्रा पर निकलते
हैं और शिव तीर्थीं पर जाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। काशी-विश्वनाथ और देवघर
में विशेष रूप से जलाभिषेक करने का विधान है। इस बार कोरोना वायरस की वजह से
मंदिरों और शिवलिंग पर सामूहिक रूप से जल चढ़ाने और जलाभिषेक करने पर रोक रहेगी। धार्मिक
मान्यता है की इस माह में भोले शंकर की
पूजा-अर्चना करने से विवाह संबंधित समस्याएं दूर हो जाती हैं। जिन लोगों के विवाह
में परेशानियां आ रही हैं, उन्हें सावन के महीने में भोले
बाबा की विशेष पूजा- अर्चना करनी चाहिए। धार्मिक कथाओं के अनुसार मां पार्वती ने
भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए सावन के महीने में कठोर तप किया था। महादेव
का पवित्र माह है श्रावण मास, इस दौरान भगवान भोलेनाथ के
नामों का जाप करने से अनेक प्रकार के दोषों का शमन होकर मनुष्य को अपने पाप कर्मों
से मुक्ति मिलती है। भोलेनाथ के विशेष 22 नाम, इन्हें सुनकर भोलेनाथ भगवान शंकर अत्यंत प्रसन्न होते हैं। इन्हें श्रावण
मास में पढ़ने से धन, धान्य, सुख,
संपदा, यश, समृद्धि,
वैभव, कीर्ति, पराक्रम,
तेज, ओज, बल, बुद्धि, विद्या, वाणी और सफलता
का शुभ आशीष मिलता है।
भोलेनाथ के 22 पवित्र नाम
1. शंकर 2. उमापति 3. महादेव 4. भोलेनाथ 5. जटाशंकरी
6. जलाधारी 7. पशुपति नाथ 8. आशुतोष 9. औघड़दानी 10. भूतभावन
11. भूतनाथ 12. महेश 13. गंगाधर 14. चंद्रमौलेश्वर 15. गोपेश्वर
16. नंदीश्वर 17. नागेश्वर 18. नीलकंठ 19. मृत्युंजय 20. महेश्वर
21. भोले भंडारी 22. सदाशिव।
जिस तरह चैत्रमाह के आते ही पृथ्वी अन्नमय और
प्राणी राममय हो जाता है, उसी तरह श्रावण माह के आते ही पृथ्वी हरे रंग की चादर
ओढ़ लेती है और साधक शिव की भक्ति में लीन हो जाता है। श्रावण ही ऐसा माह है,
जब कृष्ण गोपिकाओं के साथ और शिव सभी देवताओं के साथ पृथ्वी पर होते
हैं। इस पूरे माह देवराज इंद्र शिव पर निरंतर रिमझिम वर्षा
करके शीतलता प्रदान करते हैं। श्रावण में शिवपूजा करना, कांवड़
चढाना, रुद्राभिषेक करना, शिव नाम
कीर्तन करना, शिवपुराण का पाठ करना अथवा शिव कथा सुनना,
दान-पुण्य करना तथा ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करना अतिशुभ माना गया
शास्त्रों की मानें तो इस महीने में
भगवान शिव की आराधना करते समय कुछ विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए-
सावन के महीने में व्रत रखने वाले लोगों को दूध
का सेवन नहीं करना चाहिए. क्योंकि सावन में भगवान शिव को दूध चढ़ता है. इसलिए व्रत
रखने वाले के लिए दूध का सेवन वर्जित है. सावन में बैंगन का सेवन अशुद्ध माना जाता
है इसलिए शिव भक्तों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए. सावन के महीने में पूजा करते
समय कभी भी तुलसी और केतकी के फूलों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. भगवान शिव की
पूजा करते समय शिवलिंग पर हल्दी और कुमकुम नहीं लगाना चाहिए और ना ही नारियल के
पानी से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए. शिवलिंग का जलाभिषेक करते समय कांस्य और
पीतल के बर्तनों का इस्तेमाल करना चाहिए.
भगवान शिव की पूजा विधि-
इस महीने में सुबह जल्दी उठें और स्नान करके साफ
कपड़े पहने.
पूजा स्थान की अच्छी तरह साफ़-सफाई करें, और वहां गंगाजल का छिड़काव करें.
आसपास के मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल व दूध का
अभिषेक भी करें.
इसके बाद भगवान शिव और शिवलिंग को चंदन का तिलक
लगाएं.
इसके बाद भगवान शिव को सुपारी, पंच अमृत, नारियल, बेल पत्र,
धतूरा, फल, फूल आदि
अर्पित करें.
अब टीपक जलाएं और भगवान शिव का ध्यान लगाएं.
इसके बाद शिव कथा व शिव चालीसा का पाठ कर, महादेव की आरती करें.