दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने आला अधिकारियों तथा शिक्षकों के साथ दिल्ली में शुरू किए जाने वाले देश के पहले दिल्ली मॉडल वर्चुअल स्कूल के रूपरेखा पर गुरुवार को यहां चर्चा और कहा कि इससे वर्चुअल स्कूल लर्निंग फ़ॉर ऑल के नारे के साथ शिक्षा में क्रांति आएगी।
बैठक के दौरान अमरीका और न्यूज़ीलैंड में चल रहे वर्चुअल स्कूल के मॉडल पर चर्चा की गई। इस दौरान उपमुख्यमंत्री ने स्कूल प्रिंसिपल, टीचर्स और आई.टी अधिकारियों की एक छह सदस्यीय कमेटी गठन करने का निर्देश दिया। कमेटी अपने रिसर्च में अन्य वैश्विक मॉडलों का अध्ययन करेगी और एक सप्ताह के भीतर वर्चुअल स्कूल का ब्लूप्रिंट सौंपेगी।
सिसोदिया ने कहा कि, दिल्ली का वर्चुअल स्कूल किसी भी अन्य नियमित स्कूल के जैसा ही होगा। नौवीं से बारहवीं तक संचालित होने वाले इस स्कूल की एक आईडी होगी, विद्यार्थी इसमें दाखिला लेंगे और उन्हें नामांकन आईडी दिया जाएगा। ये स्कूल छात्र, शिक्षक, नियमित रूप से चलने वाली टीचिंग-लर्निंग गतिविधियां, आंकलन जैसे शिक्षण के सभी मूलभूत तत्वों से लैस होगा। इनमें घर से पढ़ने के इच्छुक विद्यार्थियों के अलावा आर्टिस्ट, खिलाड़ी, स्कूल ड्रॉपआउट, युवा आदि शामिल होंगे।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले एक साल के दौरान दिल्ली के शिक्षकों ने टीचिंग-लर्निंग के लिए जिस प्रकार से तकनीकी का बेहतरीन प्रयोग किया वो उल्लेखनीय है। हमारे शिक्षक तकनीकी के बेहतर उपयोग करना सीख गए है। उन्होंने कहा कि कोरोना के दौरान हुए ऑनलाइन टीचिंग-लर्निंग ने दिल्ली में देश के पहले वर्चुअल स्कूल की नींव रखने का काम किया है।
बैठक में दिल्ली के शिक्षा निदेशक और शिक्षा सलाहकार के साथ आईटी सचिव, वित्त विभाग के अधिकारी एवं शिक्षा विभाग के अन्य अधिकारी, टीचर्स और प्रधानाचार्य भी शामिल थे।