रक्षाबंधन पर्व 2020
27-07-2020 12:43:19
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रक्षाबंधन
पर्व 2020
अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने के लिये हर बहन
रक्षा बंधन के दिन का इंतजार करती है। श्रावण मास की पूर्णिमा को यह पर्व मनाया
जाता है। इस पर्व को मनाने के पिछे कहानियां हैं। यदि इसकी शुरुआत के बारे में
देखें तो यह भाई-बहन का त्यौहार नहीं बल्कि विजय प्राप्ति के लिए किया गया रक्षा
बंधन है। भविष्य पुराण के अनुसार जो कथा मिलती है वह इस प्रकार है। बहुत समय पहले
की बाद है देवताओं और असुरों में युद्ध छिड़ा हुआ था लगातार 12 साल तक युद्ध चलता रहा और अंतत: असुरों ने देवताओं पर विजय प्राप्त कर
देवराज इंद्र के सिंहासन सहित तीनों लोकों को जीत लिया। इसके बाद इंद्र देवताओं के
गुरु, ग्रह बृहस्पति के पास के गये और सलाह मांगी। बृहस्पति
ने इन्हें मंत्रोच्चारण के साथ रक्षा विधान करने को कहा। श्रावण मास की पूर्णिमा
के दिन गुरू बृहस्पति ने रक्षा विधान संस्कार आरंभ किया। इस रक्षा विधान के दौरान
मंत्रोच्चारण से रक्षा पोटली को मजबूत किया गया। पूजा के बाद इस पोटली को देवराज
इंद्र की पत्नी शचि जिन्हें इंद्राणी भी कहा जाता है ने इस रक्षा पोटली को देवराज
इंद्र के दाहिने हाथ पर बांधा। इसकी ताकत से ही देवराज इंद्र असुरों को हराने और
अपना खोया राज्य वापस पाने में कामयाब हुए। रक्षाबन्धन एक हिन्दू व जैन त्योहार है
जो प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। श्रावण (सावन) में
मनाये जाने के कारण इसे श्रावणी (सावनी) या सलूनो भी कहते हैं।[1] रक्षाबन्धन में राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्त्व है। राखी कच्चे
सूत जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे,
तथा सोने या चाँदी जैसी मँहगी वस्तु तक की हो सकती है। रक्षाबंधन
भाई बहन के रिश्ते का प्रसिद्ध त्योहार है, रक्षा का मतलब
सुरक्षा और बंधन का मतलब बाध्य है।रक्षाबंधन के दिन बहने भगवान से अपने भाईयों की
तरक्की के लिए भगवान से प्रार्थना करती है। राखी सामान्यतः बहनें भाई को ही बाँधती
हैं परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों
द्वारा सम्मानित सम्बंधियों (जैसे पुत्री द्वारा पिता को) भी बाँधी जाती है।
कभी-कभी सार्वजनिक रूप से किसी नेता या प्रतिष्ठित व्यक्ति को भी राखी बाँधी जाती
है। रक्षाबंधन के दिन बाजार मे कई सारे उपहार बिकते है, उपहार
और नए कपड़े खरीदने के लिए बाज़ार मे लोगों की सुबह से शाम तक भीड होती है। घर मे
मेहमानों का आना जाना रहता है। रक्षाबंधन के दिन भाई अपने बहन को राखी के बदले कुछ
उपहार देते है। रक्षाबंधन एक ऐसा त्योहार है जो भाई बहन के प्यार को और मजबूत
बनाता है, इस त्योहार के दिन सभी परिवार एक हो जाते है और
राखी, उपहार और मिठाई देकर अपना प्यार साझा करते है।अब तो प्रकृति संरक्षण हेतु वृक्षों को राखी
बाँधने की परम्परा भी प्रारम्भ हो गयी है।[2] हिन्दुस्तान में
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पुरुष सदस्य परस्पर भाईचारे के लिये एक दूसरे को भगवा
रंग की राखी बाँधते हैं।[3] हिन्दू धर्म के सभी धार्मिक
अनुष्ठानों में रक्षासूत्र बाँधते समय कर्मकाण्डी पण्डित या आचार्य संस्कृत में एक
श्लोक का उच्चारण करते हैं, जिसमें रक्षाबन्धन का सम्बन्ध
राजा बलि से स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होता है। भविष्यपुराण के अनुसार इन्द्राणी
द्वारा निर्मित रक्षासूत्र को देवगुरु बृहस्पति ने इन्द्र के हाथों बांधते हुए
निम्नलिखित स्वस्तिवाचन किया
(यह श्लोक रक्षाबन्धन का अभीष्ट
मन्त्र है)-
येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो
महाबल:।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा
चल ॥
इस श्लोक का हिन्दी भावार्थ है- "जिस
रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बाँधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुझे बाँधता हूँ। हे रक्षे (राखी)! तुम अडिग रहना (तू
अपने संकल्प से कभी भी विचलित न हो।)"
वर्तमान में यह त्यौहार बहन-भाई के प्यार का
पर्याय बन चुका है, कहा जा सकता है कि यह भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को और
गहरा करने वाला पर्व है। एक ओर जहां भाई-बहन के प्रति अपने दायित्व निभाने का वचन
बहन को देता है, तो दूसरी ओर बहन भी भाई की लंबी उम्र के
लिये उपवास रखती है। इस दिन भाई की कलाई पर जो राखी बहन बांधती है वह सिर्फ रेशम
की डोर या धागा मात्र नहीं होती बल्कि वह बहन-भाई के अटूट और पवित्र प्रेम का बंधन
और रक्षा पोटली जैसी शक्ति भी उस साधारण से नजर आने वाले धागे में निहित होती है। 3 अगस्त 2020 को यानि सावन के समापन के साथ पूर्णिमा
के दिन रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा। इसी दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर
रक्षा सूत्र बांधेंगी।
जानिए राखी बांधने का शुभ मुहूर्त...
रक्षा बंधन 2020
3 अगस्त रक्षाबंधन अनुष्ठान का समय- 09:28 से 21:14
अपराह्न मुहूर्त- 13:46 से 16:26
प्रदोष काल मुहूर्त- 19:06 से 21:14
पूर्णिमा तिथि आरंभ – 21:28 (2 अगस्त)
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 21:27 (3 अगस्त)