सबसे घातक फाइटर एयर क्राफ्ट
राफेल का होगा भव्य स्वागत
सबसे घातक फाइटर एयर क्राफ्ट राफेल का होगा भव्य स्वागत
लड़ाकू
विमान राफेल के आने से पाक और चीन के मुकाबले कैसे बदल जाएगी वायुसेना की ताकत, जानें
क्या कहते हैं एक्सपर्ट लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर तनाव के बीच फ्रांस से अत्याधुनिक
मिसाइलों और घातक बमों से लैस भारतीय वायुसेना के सबसे घातक फाइटर जेट राफेल भारत के
लिए रवाना हो चुका है | पहले जत्थे में पांच राफेल लड़ाकू विमान भारत आ रहे हैं | भारतीय
वायुसेना के फाइटर पायलट 7000 किलोमीटर की हवाई दूरी तय करके राफेल विमान को लेकर बुधवार
को अम्बाला एयरबेस पर पहुंचेंगे। इनमें से तीन राफेल विमान श्रीनगर एयरबेस में तैनात
होंगे। फॉर्मल इंडक्शन सेरेमनी 15 अगस्त के आसपास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे।
राफेल के पहले बेड़े को 17 गोल्डन एरो स्क्वाड्रन के पायलट उड़ाएंगे। जिनकी ट्रेनिंग
पहले भी पूरी हो चुकी है। भारत के राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप के रूप में पांच
विमान सोमवार को फ्रांस से रवाना हुए और अब वो संयुक्त अरब अमीरात के अल दफ्रा एयरबेस
पर पहुंच गए हैं। विमानों को फ्रांस से यूएई पहुंचने में सात घंटों का वक्त लगा। ये
विमान अल दफ्रा एयरबेस से उड़ान भरेंगे, तो सीधे भारत के अंबाला में लैंड करेंगे। पूर्वी
लद्दाख में चीन से तनातनी के बीच दुनिया का सबसे ताकतवार लड़ाकू विमान राफेल 29 जुलाई
को भारत पहुंच जाएगा। भारतीय वायुसेना के फाइटर पायलट 7000 किलोमीटर की हवाई दूरी तय
करके बुधवार को अंबाला एयरबेस पहुंचेंगे। राफेल से भारतीय वायुसेना की मौजूदा ताकत
में जबर्दस्त इजाफा होगा क्योंकि पांचवी जेनरेशन के इस लड़ाकू जेट की मारक क्षमता जैसा
लड़ाकू विमान चीन और पाकिस्तान के पास नहीं हैं। इन विमानों में संयुक्त अरब अमीरात
के एयरबेस पर फ्रांस के टैंकरों से ईंधन भरा जाएगा। इसके बाद विमान अंबाला एयरबेस के
लिए आगे का सफर तय करेंगे। फ्रांस से राफेल विमानों को 17 गोल्डेन एरोज कमांडिंग आफीसर
के पायलट लेकर आ रहे हैं। सभी पायलटों को फ्रांसीसी दसॉल्ट एविएशन कंपनी द्वारा प्रशिक्षित
किया गया है। इन्हें अंबाला के एयरफोर्स स्टेशन पर 29 जुलाई को वायुसेना में शामिल
किया जाएगा।
8
साल पहले आज की ही तरह इंतजार था जब सुखोई विमान भारतीय वायुसेना के हिस्सा बने थे।
अब एक बार फिर उस पल का इंतजार है जब राफेल विमान औपचारिक तौर पर एयरफोर्स के हिस्सा
बन जाएंगे। सुखोई 30 एमकेआई को साल 2002 में भारतीय सेना में शामिल किया गया18 साल
पहले उन्नत लड़ाकू विमानों में से एक राफेल और सुखोई की साझा ताकत से भारतीय वायुसेना
की क्षमता में इजाफा देश को उस पल का इंतजार है जब राफेल लड़ाकू भारतीय सरजमीं पर उतरेंगे।
राफेल सिर्फ एक लड़ाकू विमान नहीं है बल्कि वो भारत के शौर्य में चार चांद लगाने वाला
एक अत्याधुनिक हथियार है। जब हम बात करते हैं कि राफेल की तो आज से 18 साल पहले यानि
साल 2002 में सुखोई एमकेआई का भी इसी तरह इंतजार किया जा रहा था तो उसके पीछे वजह थी।
2002 में चीन के साथ भारत के रिश्ते में इतनी कड़वाहट नहीं थी। लेकिन भारतीय वायुसेना
को मजबूती देने के लिए सुखोई की जरूरत शिद्दत से महसूस हो रही थी।
2002
में सुखोई 30 एमकेआई की खरीद रूस से की गई थी। सुखोई के बारे में कहा जाता है कि पलक
झपकते ही वो दुश्मन के ठिकाने को ध्वस्त कर आंखों से ओझल हो सकती है। अब उससे उन्नत
किस्म का लड़ाकू विमान राफेल भारतीय वायुसेना का हिस्सा बनेगा। यहां पर हम आपको सुखोई
विमान की खासियत बता रहे हैं। ताकतवर लड़ाकू विमानों में से एक सुखोई-30 MKI 2000 में
भारत और रूस के बीच समझौते में पहला सुखोई-30 2002 में भारत को मिला सैटेलाइट नेविगेशन
सिस्टम की मदद से रात और दिन में ऑपरेशन को दिया जा सकता है अंजाम सुखोई विमान में
हवा में ही ईंधन भरा जा सकता है
3,000
किलोमीटर की दूरी तक जाकर दुश्मन के ठिकाने को तबाह कर सकता है।
राफेल लड़ाकू विमान इसलिए हैं
खास
पांच
राफेल विमानों को सात भारतीय पायलट भारत ला रहे हैं जिनकी लैंडिंग अंबाला एयरबेस पर
कराई जाएगी। इसके लिए अंबाला एयरबेस के तीन किमी दायरे को ड्रोन मुक्त जोन घोषित किया
गया है। राफेल के बारे में रिटायर्ड एयर मार्शल रघुनाथ नांबियार बताते हैं कि इसका
भारतीय वायुसेना में शामिल होना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले 18 साल में किसी
लड़ाकू विमान को शामिल नहीं किया गया था। इससे पहले सुखोई को शामिल किया गया था। वो
कहते हैं कि राफेल के सामने एफ-16 और जेएफ-17 कहीं नहीं टिकते हैं, इसके साथ ही अगर
चेंग्दू जे-20 से तुलना करें तो राफेल उससे ऊपर है।