निजी स्कूलों के संगठनों ने शिक्षा विभाग की ओर से आंशिक रूप से स्कूल खोले जाने संबंधी निर्देशों के पालन को लेकर असमर्थता जाहिर करते हुए आज कहा कि अध्यापकों और कर्मचारियों के कोविड-19 टेस्ट करवाने का तब तक कोई औचित्य नहीं है जब तक स्कूल में आने वाले सभी बच्चों का भी टेस्ट नहीं करवाया जाता।
सर्व हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ, हरियाणा प्राइवेट स्कूल एवं चिल्ड्रन वेलफेयर ट्रस्ट तथा हरियाणा प्रोग्रेसिव स्कूल कांफ्रेंस ने जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र सौंपकर स्कूल प्रतिनिधियों से विचार विमर्श कर आगामी निर्णय लेने की मांग की है।
इन संगठनों ने कहा कि शिक्षा निदेशालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार नौंवी से 12वीं तक के विद्यार्थियों को विचार विमर्श के लिए बुलाया जाना है और इसके लिए सभी अध्यापकों व अन्य कर्मचारियों को कोविड टेस्ट कराने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि जब तक स्कूल में प्रवेश करने वाले सभी बच्चों का टेस्ट नहीं होता, तब तक अध्यापकों का टेस्ट करवाने का कोई औचित्य नहीं है।
स्कूल संचालकों ने कहा कि यह शिक्षा विभाग व स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त जिम्मेदारी है कि सभी स्कूलों में जाकर निश्चित समय पर सभी के टेस्ट किए जाएं। उन्होंने कहा कि जब तक अध्यापकों व बच्चों के टेस्ट नहीं हो जाते, तब तक स्कूल खोले जाने की स्थिति नहीं है, लेकिन विद्यार्थियों को ऑनलाइन कार्य पहले की भांति दिया जाता रहेगा। इसके साथ ही उन्होंने विद्यार्थियों के बीच छह फुट की दूरी रखने के नियम पर भी असमर्थता जताई। उन्होंने कहा कि इस संबंध में अन्य विकल्पों के साथ स्कूल खोले जा सकते हैं, लेकिन इसके लिए निजी स्कूल संगठनों के पदाधिकारियों के साथ जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) की बैठक आयोजित की जाए और इस समसया का समाधान करने पर विस्तार से चर्चा हो। स्कूल प्रतिनिधियों ने परिवार पहचान पत्र बनाने के निर्देशों को भी अव्यवहारिक करार दिया। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण सभी निजी स्कूल अभी अव्यवस्थित हैं। कोरोना महामारी की स्थिति में सामान्य होने पर ही यह कार्य कराया जाए। इसके साथ ही उन्होंने अभिभावकों को बच्चों की 12 महीने की ट्यूशन फीस जमा कराने के निर्देश दिए जाने की गुहार लगाई।