वीर बुन्देलों की शौर्यगाथाओं के प्रतीकों समेटे हुए है यह ऐतिहासिक नगरी
मध्य प्रदेश का एक छोटा-सा कस्बा है ओरछा जिसे किलों और महलों की धरती कहा जाता है। बुंदेलखंड के राजाओं के शौर्यगाथा का प्रतीक कहे जाने वाले ओरछा में सैलानियों को सभी आधुनिक सुविधाएं आसानी से मिल जाती हैं। पर्यटकों की खासी आमद के बावजूद यहां के लोगों ने न सिर्फ इस जगह की नैसर्गिक सुंदरता बरकरार रखी हुई है, बल्कि अपनी संस्कृति को भी वे नहीं भूले हैं। यहां स्थानीय निवासी राजा राम के मंदिर में पूजा करने के लिए आज भी नंगे पैर ही जाते हैं। ओरछा दुनिया का ऐसा शायद एक मात्र स्थान है, जहां श्रीराम को भगवान नहीं राजा कहा जाता है। यहां के निवासी श्रीराम को अपना राजा मानते हैं। कहा जाता है कि भगवान श्रीराम बेशक अयोध्या में जन्मे हों, लेकिन ओरछा से उनका गहरा नाता है। कहा जाता है कि भगवान श्रीराम और ओरछावासियों के बीच यह जुड़ाव ओरछा की रानी के कारण बना, जो भगवान राम की अनन्य भक्त थीं।
बेतवा के संगम और किलों- महलों की यह धरती मन को लुभा लेती है। ओरछा बीते समय में शक्तिशाली बुंदेला राजपूतों की राजधानी हुआ करता था। आज यह छोटा-सा कस्बा है, जो बहुत शांत-सुंदर है और इतिहास से भरा हुआ है। ओरछा की धरती पर मंदिरों, किलों और महलों के साथ कल-कल बहती वैतरणी नदी यानी बेतवा नदी है। आप यदि किसी शांत-सुंदर और ऐतिहासिक जगह पर कम बजट में सैर-सपाटे पर जाना चाहते हैं तो ओरछा आपको पसंद आ सकता है।
दर्शनीय स्थल यानी कहां जाएं - क्या देखें :
ओरछा में देखने के लिए बहुत कुछ है। ओरछा के मुख्य के किले के अतिरिक्त यहां राजा राम का मंदिर, चतुर्भुज मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर, हनुमान मंदिर, राजा महल स्टैंड, शीश महल, जहांगीर महल, परवीन महल, कंचन घाट पर स्थित छतरियां इत्यादि हैं।
राजा राम मंदिर
ओरछा दुनिया का ऐसा शायद एक मात्र स्थान है, जहां श्रीराम को भगवान नहीं राजा कहा जाता है। यहां के निवासी श्रीराम को अपना राजा मानते हैं। जी हां, अयोध्या में जन्मे भगवान श्रीराम का ओरछा से गहरा नाता है। कहा जाता है कि भगवान श्रीराम और ओरछावासियों के बीच यह जुड़ाव ओरछा की रानी के कारण बना, जो भगवान राम की अनन्य भक्त थीं। उनकी भक्ति को देख वहां के राजा ने ओरछा में श्रीराम का मंदिर बनवाने का निर्णय लिया। राजा ने अयोध्या से श्रीराम की मूर्ति मंगवाई और इसे मंदिर का निर्माण होने तक महल में स्थापित करवा दिया, लेकिन मंदिर का निर्माण पूरा होने पर जब मूर्ति स्थापना का समय आया तो भगवान श्रीराम की मूर्ति महल से हिलाई ही नहीं जा सकी। लाख जतन के बाद भी जब कोई मूर्ति नहीं उठा सका तो राजा ने इसे भगवान श्रीराम की इच्छा मानते हुए अपने महल को ही मंदिर बना दिया।
ओरछा किला
ओरछा के किले का निर्माण महाराजा रुद्र प्रताप ने कराया था, लेकिन इस किले के परिसर में अन्य कई इमारतें स्थित हैं, जिनका निर्माण अलग-अलग समय पर दूसरे राजाओं ने कराया है। ओरछा का मुख्य किला बुंदेलखंड के राजाओं के शौर्य का प्रतीक है। सदियों बाद भी सीना ताने खड़ा यह विशाल निर्माण राजा छत्रसाल और उनकी बेटी मस्तानी की याद दिलाता है। जी हां, यहां उन्हीं वीरांगना मस्तानी की बात हो रही है, जिनका किरदार निऽााते हुए आपने दीपिका पादुकोण को बाजीराव मस्तानी में देखा था। यहां होनेवाले लाइट ऐंड साउंड शो में भी बुंदेलों की वीरता की गाथा सुनी जा सकती है।
जहांगीर महल
जहांगीर महल बुंदेलखंडी वास्तुकला का नायाब नमूना है। इसके खुले गलियारे, पत्थरों वाली जालियां, वास्तुशिल्प और दीवारों पर की गई कलाकृति, जानवरों की मूर्तियां जैसे कई हुनर देखे जा सकते हैं। यह महल आयतकार और ऊंचे चबूतरे पर बना है। यहां कई ऐतिहासिक घटनाएं घटीं, जिन्होंने उस काल के हिंदूस्तान को कई रूपों में प्रभावित किया। कई टीवी सीरियल और फिल्मों की शूटिंग इस किले में होती रहती है।
शीश महल
ओरछा में स्थित शीश महल पुराने समय की कलाकारी की उत्कृष्ठता का नमूना है। इस महल का आर्किटेक्चर देखने लायक है। महल के आस-पास परसी शांति यहां आनेवाले लोगों का मन मोह लेती है।
कंचन घाट पर सूर्योदय का नजारा
कंचन घाट पर सूर्योदय का नजारा देखते ही बनता है। प्रात:काल में बेतवा नदी के इस घाट पर स्नान कर सूर्य को अर्ध्य देने का अवसर यहां आनेवाले लोगों को नहीं खोना चाहिए।
लुभाती हैं घाट पर बनी छतरियां
बेतवा नदी के किनारे कंचन घाट पर कई छतरियां बनी हुई हैं, जो यहां आने वालों को खूब लुभाती हैं। ये छतरियां बुंदेलखंड के शासकों के वैभव की निशानी हैं और यहां के इतिहास की कहानियां सुनाती हैं। ओरछा में कुछ स्थानों पर बेतवा नदी का पानी इतना निर्मल और साफ है कि नदी की तलहटी में पड़े छोटे कंकड़ भी साफ दिखाई देते हैं।
झांसी की रानी का किला
ओरछा आएं और अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति का बिगुल फूंकने वाली महारानी लक्ष्मीबाई की नगरी न जाएं, यह कैसे संभव है। क्योंकि ओरछा से झांसी की रानी का ऐतिहासिक किला मात्र 16 किलोमीटर दूर है। वहां जाने के लिए ओरछा से स्थानीय स्तर पर परिवहन के साधन उपलब्ध हैं।
ओरछा तक कैसे पहुंचे?
ऐतिहासिक और धार्मिक नगरी ओरछा सड़क, रेल और वायु मार्ग से देश के विभिन्न प्रमुख शहरों से जुड़ी हुई है।
सड़क मार्ग : झांसी-खजुराहो मार्ग पर स्थित ओरछा सिंधियाओं की नगरी ग्वालियर से 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। उत्तर प्रदेश के झांसी नगर से ओरछा की दूरी करीब 16 किलोमीटर है। ओरछा और झांसी के बीच नियमित बस सेवा संचालित होती है। दिल्ली, ग्वालियर और वाराणसी से ओरछा के लिए नियमित बस सेवा है।
वायु मार्ग : ओरछा का नजदीकी एयर पोर्ट खजुराहो है। जो करीब 163 किमी. की दूरी पर स्थित है। खजुराहो एयरपोर्ट राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत देश के विभिन्न बड़े शहरों से नियमित फ्लाइट के जरिए जुड़ा हुआ है।
रेल मार्ग : ओरछा का नजदीकी रेलवे स्टेशन है झांसी। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत मुख्य शहरों से झांसी रेल मार्ग द्वारा जुड़ा है।