उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि हिजाब विवाद पर उसकी नजर है तथा वह संबंधित याचिकाओं पर उचित समय पर सुनवाई कर सभी के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करेगा।
मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत द्वारा इस मामले पर शीघ्र सुनवाई की गुहार को ठुकराते हुए कहा कि वह उचित समय पर इस मामले में सुनवाई करेगी। कामत ने इस मामले को सोमवार के लिए सूचीबद्ध करने की गुहार लगाई थी। कामत ने 'विशेष उल्लेख' के दौरान कर्नाटक उच्च न्यायालय के गुरुवार के अंतरिम आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर शीघ्र सुनवाई की गुहार लगायी। उन्होंने विद्यार्थियों की परीक्षाएं 15 फरवरी से शुरू होने के अलावा कई अन्य संवैधानिक पहलुओं का जिक्र करते हुए दलीलें दीं और 'विशेष अनुमति' याचिका पर शीघ्र सुनवाई की गुहार लगाई थी। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम फैसले में विद्यार्थियों को धार्मिक पोशाक पहनने पर जोर नहीं देने का आदेश दिया था।
न्यायमूर्ति रमन ने वरिष्ठ वकील कामत से कहा, "संवैधानिक अधिकार सभी के लिए हैं और यह अदालत इसकी रक्षा करेगी। हम उचित समय पर सूचीबद्ध करेंगे।" वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली इस खंडपीठ के समक्ष हिजाब विवाद से संबंधित याचिकाओं को कर्नाटक उच्च न्यायालय से शीर्ष अदालत में स्थानांतरित कर संबंधित याचिका पर शीघ्र सुनवाई करने की अपील की थी।
मुख्य न्यायाधीश ने दलीलें सुनने के बाद कहा था, "यह मामला कर्नाटक उच्च न्यायालय में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। पहले वहां सुनवाई होने दें। इसके बाद हम इस पर विचार करेंगे।" सिब्बल ने 'विशेष उल्लेख' के दौरान शीघ्र सुनवाई की आवश्यकता बताते हुए कहा था, “परीक्षा होने वाले हैं। स्कूल-कॉलेज बंद हैं। लड़कियों पर पथराव किए जा रहे हैं। यह विवाद देश भर में फैल रहा है। इस मुद्दे पर तत्काल विचार किया जाना चाहिए।"
मुख्य न्यायाधीश ने मद्रास उच्च न्यायालय में इस मामले के विचाराधीन होने और सुनवाई का जिक्र करते कहा था, "पहले उन्हें इस मामले पर विचार करने दें।" यह विवाद कर्नाटक में पिछले दिनों तब शुरू हुआ था जब एक शिक्षण संस्थान में छात्राओं को हिजाब उतार कर कक्षाओं में आने के लिए कहा गया था, जिससे उन्होंने इनकार कर दिया था। छात्राओं की ओर से इस मामले में उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि हिजाब पहनना उनका संवैधानिक अधिकार है तथा इससे उन्हें नहीं रोका जा सकता।
गौरतलब है कि इस विवाद को लेकर पिछले दिनों कर्नाटक के उडुपी में हिंसक घटनाएं हुई थीं। हिंदू संगठनों से जुड़े कुछ छात्र समूहों की ओर से इससे संबंधित प्रतीकात्मक झंडे लेकर प्रदर्शन किए गए थे। कई राजनीतिक दल और धार्मिक संगठन इस मामले के समर्थन में जबकि कई अन्य विरोध में हैं।