द्रविड़-लक्ष्मण के खिलाफ गेंदबाजी का कभी सोचा नहीं था

06-06-2020 17:06:52
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भारतीय टीम के तेज गेंदबाज उमेश यादव ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण से पहले दिलीप ट्राफी के दिनों को याद करते हुए कहा है कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण जैसे दिग्गज बल्लेबाजों के खिलाफ बेहतरीन गेंदबाजी कर पाएंगे।


उमेश ने भारतीय टीम में पदार्पण करने से पहले दिलीप ट्राफी में दक्षिण क्षेत्र के लिए खेलते हुए द्रविड़ और लक्ष्मण के खिलाफ गेंदबाजी की थी और उन्होंने इस मैच में इन दो दिग्गज बल्लेबाजों के विकेट सहित कुल पांच विकेट चटकाए थे। यह मैच उनके करियर का अहम मोड़ साबित हुआ था।


उमेश ने कहा, “जब मैं दिलीप ट्राफी मैच खेलने गया तो मुझे मालूम चला कि हमारा मैच उस टीम के साथ है जिसमें हमें द्रविड़ और लक्ष्मण जैसे दिग्गज बल्लेबाजों के खिलाफ खेलना है और यह जानकर मैं भयभीत हो गया।”


उन्होंने कहा, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इतने दबाव में बेहतरीन गेंदबाजी कर सकता हूं। मैंने दक्षिण क्षेत्र के लिए खेलते हुए द्रविड़ और लक्ष्मण के विकेट सहित कुल पांच विकेट झटके थे। इससे मेरा आत्मविश्वास काफी बढ़ा।”


उमेश ने कहा, “लोग कहते हैं कि उनकी स्थिति काफी कठिन थी और उन्होंने जिंदगी में काफी मेहनत की है और संघर्ष किया है। लेकिन मैं कहता हूं कि सभी का जीवन कठिन है, किसी का जीवन आसान नहीं है। सबसे जरुरी है भरोसा रखना और अगर आपको अपने ऊपर विश्वास है तो आप सफलता हासिल करेंगे।”


तेज गेंदबाज ने कहा, “क्रिकेट मेरे जीवन का हिस्सा है, इसके बिना मेरा जीवन अधूरा है। तेज गेंदबाजी ने मुझे पहचान दिलाई और तेज गेंदबाज के रुप में ही मेरी पहचान बनी है। जब मैं गेंदबाजी करता हूं तो उस वक्त एक अलग ही दुनिया में रहता हूं।”


उन्होंने कहा, “मैं बचपन में काफी शरारती था और रातभर नहीं सोता था। मुझे खेतों में जाकर आम तोड़ने की आदत थी। हां, मैं शरारती था लेकिन अन्य बच्चों की तरह मेरे भी कुछ सपने थे। मुझे अपने ऊपर भरोसा था कि मैं जीवन में कुछ कर सकता हूं।”


उमेश ने कहा, “मुझे घर से पैसे नहीं मिलते थे लेकिन मुझे बल्ला, पैड और अन्य खेल का सामान खरीदना था। इसके लिए मेरे पास पैसे कैसे आते। इसलिए मैं तपती धूप में भी प्रतिदिन तीन मैच खेला करता था। मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था कि नागपुर में कितनी गर्मी है जहां मैं खेलता था। लेकिन वो दौर मेरे लिए संघर्ष का समय था।”



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