मौजूदा वक्त में देश के सबसे लोकप्रिय नेता माने जाने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कहानी को कहीं से भी शुरू करें, चाहे वह बचपन में स्कूल छोड़कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में जाने की बात हो या वडनगर रेलवे स्टेशन पर चाय बेचना, या 1995 में गुजरात भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से बाहर हो जाना, या 2001 में मुख्यमंत्री बनना या मई 2013 की वह ‘ड्रामा और सस्पेंस’ से भरी गोवा में भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक, या 2014 और 2019 में लगातार दो बार पूरे बहुमत के साथ केन्द्र में सरकार बनाना, ये सब घटनायें असंभव से संभावनाओं के दरवाज़े खोलने की कहानी लगती हैं।
वरिष्ठ पत्रकार के.जी.सुरेश, मोदी को नये तरीके से परिभाषित करते हैं, उनके मुताबिक मोदी ने उन सब मान्यताओं को तोड़ दिया, जिसके लिए कहा है कि दिल्ली में “गॉडफादर” के बिना किसी बाहर से आये नेता का काम नहीं चल सकता। मोदी दिल्ली से राजनेता नहीं थे और न ही ‘दिल्ली क्लब’ के राजनेता रहे न ही उन्होंने यह कोशिश की कि वह दिल्ली क्लब के राजनेता बनें, उनमें उनकी स्वीकार्यता बने। मोदी ने उनके सामने अपनी स्वीकार्यता की जरूरत ही नहीं समझी और न ही कोशिश की।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सहयोगी रहे शक्ति सिन्हा कहते हैं कि मोदी की ताक़त है, उनकी सोच, वह ट्रांसफॉर्म करने में भरोसा रखते हैं। मोदी में मैनेजमेंट स्किल बहुत ज़बर्दस्त है, इसलिए वह संसाधनों को बेहतर तरीके से मैनेज करते हैं, जिससे ज़्यादा फायदा मिल पाता है। सिन्हा का मानना है कि मोदी को हिन्दुस्तान की न केवल ज़मीनी हक़ीक़त पता है, बल्कि उसकी परेशानियों से निपटने का प्रशासनिक और राजनीतिक अनुभव भी है।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव रहे गोविन्दाचार्य कहते हैं, “ मोदी काम भी पूरी ताक़त के साथ करते हैं और उसकी मार्केटिंग भी। वह रणनीति बनाकर और लक्ष्य साध कर काम करते हैं। मोदी पालिटिक्स का मतलब सिर्फ़ पावर समझते हैं और पावर के लिए जरूरी है, चुनावों में जीत और चुनावों में जीत बेहतर इमेज से होती है। यानी मोदी समझते हैं कि चुनाव में आपकी इमेज, आपका संदेश जनता के दिल तक उतरना चाहिए और अगर एक बार जनता को आपकी बात गले उतर गई, फिर वह आपको नेता बना देती है, फिर चुनाव जीतना मुश्किल काम नहीं।”
मोदी को लंबे समय से करीब से जानने वाले एक वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं कि मोदी टेक्नॉलॉजी का बेहतर इस्तेमाल करना जानते हैं। जैसे, उन्होंने जन-धन योजना शुरू करके किया, इसका फ़ायदा यह है कि आज सरकार की करीब पांच सौ योजनाएं ऐसी हैं, जिनका फ़ायदा सीधे आम आदमी को होता है। उन योजनाओं का पैसा उसके खाते में सीधा जाता है, कोई बिचौलिया नहीं होता और उसके पैसे के साथ गड़बड़ी नहीं होती और यह तबका सीधा मोदी से जुड़ गया है जिसका अंदाज़ा दिल्ली में बैठे बड़े-बड़े लोगों को नहीं हो रहा। सरकार के कामकाज को लेकर वरिष्ठ पत्रकार अच्युतानंद मिश्र मानते हैं, मोदी ने देश को विकास का नक्शा दिया है, लेकिन ये दीर्घकालीन योजना है। अगले दस-बीस सालों में इसका फ़र्क दिखाई देगा।
मोदी का जन्म वडनगर की तंग गलियों में 17 सितम्बर 1950 हुआ था। दामोदर दास मोदी, श्रीमती हीराबेन की तीसरी संतान हैं। उनके पिता परम्परागत तरीके से वनस्पति तेलों का निकालने का काम करते थे। उनके परिवार के आठ लोग एक मंज़िल के तीन कमरों के मकान में रहते थे और उनका बचपन तंगहाली में बीता था।