देश मे कोरोना के संकट को देखते हुए लॉकडाउन में महान सूफी शायरों और संत कवियों के प्रेम और भाई-चारे का सन्देश फैलाने के लिए एक डिजिटल अभियान शुरू किया गया है।
दिल्ली विश्वद्यालय में हिंदी की प्राध्यापिका डॉ मेधा ने ‘मैं सिजदे में हूँ’ नामक यह अभियान शुरू किया है जिसमें पहली सूफी महिला शायर से लेकर भक्ति काल के संत कवियों से संबंधित कार्यक्रम वीडियो के सहारे दिखाए जा रहे हैं। अब तक 25 डिजिटल कार्यक्रम हो चुके है और 25 हज़ार से अधिक लोगों ने उसे पसंद किया है।
डॉ मेधा ने बताया कि 13वीं सदी के महान सूफी विद्वान, फकीर और शायर रूमी को हम सब जानते हैं और उनके ज्ञान और साहित्य से वाकिफ हैं। लेकिन उनसे चार सदी पहले इराक़ के बसरा शहर में जन्मी दुनिया की पहली महिला सूफी फकीर और शायर को हममें से बहुत कम लोग जानते हैं। राबिया अल बसरी नामक इस शायरा ने संसार को सूफी मत और इश्क़ हकीकी ( ईश्वरीय प्रेम) यानी ‘प्रेम के पथ’ का उपहार दिया अर्थात ईश्वर को केवल प्रेम के जरिये भी पाया जा सकता है।
सत्यवती कालेज में कार्यरत एवं भक्तिवर्सिटी की संस्थापक डॉ. मेधा ने बताया कि उन्होंने भक्ति आंदोलन और सूफी परम्परा के स्त्री तथा अन्य संतों की कहानियों की एक वीडियो श्रृंखला ‘मैं सिजदे में हूं’ फेसबुक पर चलाई। इस श्रृंखला में इराक़ की राबिया , कर्नाटक की 12 वीं सदी की संत अक्का महादेवी, आठवीं सदी की तमिल संत आंडाल, कश्मीर की 14 वीं सदी की संत ललदेद , 13 वीं सदी की मराठी संत जनाबाई, बंगाल की 14 वीं सदी की संत एवं चंडीदास की प्रेरणा रामी आदि स्त्री संतों के जीवन और साहित्य पर वीडियो जारी किया।
उनका कहना है कि प्रेम और भाई-चारे से इस दुनिया को बचाया जा सकता है। नफरत और ईर्ष्या या द्वेष से नहीं। घोर संकट के इस समय में भय, निराशा और अवसाद से बचने की ताबीज़ इन स्त्री संतों के पास है। प्रेम और एकत्व की गहरी अनुभूति से लबरेज इनकी कविताएं इस संकटकाल में हमारा हाथ पकड़ कर हमें मनुष्यता के रास्ते पर ले जाती है।"
उन्होंने कहा कि अपने देश मे कोरोना काल मे सोशल मीडिया पर और समाज मे कितने फसाद देखने को मिले।नफरत की आग भड़काई जा रही है। कुर्सी और सत्ता की दौड़ भी चल रही। मजदूरों और स्त्रियों के प्रति असंवेदनशीलता देखी है। अगर हमारे नेताओं, नीति निर्धारकों और प्रशासन में जनता को लेकर प्यार होता तो ये दर्दनाक तस्वीर नहीं देखने को मिलती।
उन्होंने स्त्री संतों के अलावा कबीर, रैदास, बुल्ले शाह, अमीर खुसरो, रूमी, गुलाम फरीद आदि सूफी फकीरों और भक्त संतों पर भी वीडियो जारी किया, जिसे लगभग 25 हज़ार लोगों ने देखा। इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए ‘सुनता है गुरु ज्ञानी’ श्रृंखला में इन संत कवियों और सूफी शायरों की रचनाओं को देश के विभिन्न लोक कलाकारों ने गाया। इस वीडियो श्रृंखला को भी खूब सराहना मिली और लोगों ने बेहद पसंद किया । इसके जरिये देश भर के लोक गायकों को एक मंच भी प्रदान किया गया। खासतौर से मालवा क्षेत्र के गायकों ने इस आभासी आयोजन में बढ़ - चढ़ कर हिस्सा लिया। इस श्रृंखला की विशेषता ये रही कि गीता पराग, अंजना सक्सेना जैसी लोक गायिकाओं से भी परिचय हो सका।
इन दिनों मेधा ‘अपने - अपने कबीर’ श्रृंखला चला रही हैं। इसके अन्तर्गत जीवन के विभिन्न क्षेत्र में सक्रिय लोग कबीर से अपने रिश्ते की बात कर रहे हैं। साथ ही कालू राम जी, दयाराम जी, विपुल रिकी जैसे लोक गायक कबीर को गा भी रहे हैं।