दिल्ली पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने शनिवार को कहा कि रोहिणी की घटना से सबक लेते हुए सभी संबंधित पक्षों से विचार-विमर्श के आधार पर अदालतों की सुरक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव किये जाएंगे।
अस्थाना ने दिल्ली बार काउंसिल के अध्यक्ष राकेश सहरावत से मुलाकात के दौरान सभी अदालत परिसरों में एक सप्ताह में बड़े बदलाव के साथ सुरक्षा के चाकचौबंद इंतजाम करने के आश्वासन दिये।
पुलिस आयुक्त से मुलाकात के बाद सहरावत ने ‘यूनीवार्ता’ को बताया कि रोहिणी में भरी अदालत में न्यायाधीश के सामने गोलीबारी और तीन बदमाशों के मारे जाने की शुक्रवार की घटना के मद्देनजर दिल्ली बार काउंसिल का एक प्रतिनिधिमंडल आज अस्थाना से मिला। उन्हें सुरक्षा संबंधी चिंताओं से अवगत कराया गया तथा समुचित सुरक्षा देने की मांग की गयी। प्रतिनिधिमंडल ने न्यायाधीशों, वकीलों, न्यायिक कार्यों से जुड़े कर्मचारियों एवं अधिकारियों, सुनवायी के दौरान आने वाले विचाराधीन कैदियों एवं अन्य आरोपियों की सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की गई। प्रतिनिधिमंडल में काउंसिल के उपाध्यक्ष हिमाल अख्तर और सेक्रेटरी अजयेन्द्र सांगवान भी शामिल थे।
अस्थाना से मुलाकात के दौरान वकीलों ने घटना को शर्मनाक बताया और कहा कि इससे विदेशों में भी भारत की छवि खराब हुई है। विदेशों में यह संदेश गया है कि राजधानी की अदालत में न्यायाधीश तक बदमाश आसानी से खतरनाक हथियार लेकर जा सकते हैं। इस बात का ध्यान रखते सुरक्षा इंतजाम करने में किसी प्रकार की देरी या कोताही न की जाये।
सहरावत ने बताया कि नयी दिल्ली के जयसिंह मार्ग के पुलिस मुख्यालय पर करीब 45 मिनट तक चली वार्ता के दौरान पुलिस आयुक्त ने रोहिणी की घटना में पुलिस की सुरक्षा चूक को स्वीकार किया। अस्थाना ने एक सप्ताह के भीतर सुरक्षा संबंधी सभी इंतजाम करने का आश्वासन देते हुए बार काउंसिल से इसके लिए सुझाव देने को कहा।
पुलिस आयुक्त के साथ वकीलों के प्रतिनिधिमंडल की बातचीत के दौरान दिल्ली पुलिस के विशेष पुलिस आयुक्त (इंटेलिजेंस) दीपेंद्र पाठक, विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध) देवेश चंद्र श्रीवास्तव, विशेष पुलिस आयुक्त (सुरक्षा) इंद्र देव शुक्ला आदि पुलिस के आला अधिकारी मौजूद थे। सहरावत ने बताया कि एक सप्ताह के भीतर दिल्ली की सभी जिला अदालतों के एसोसिएशनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर उनके सुझाव लिये जाएंगे। उनके सुझावों के बाद एक बार फिर पुलिस आयुक्त से मिलकर सुरक्षा संबंधी उपायों को अंतिम रूप दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि रोहिणी अदालत परिसर में सुरक्षा के मामले में लापरवाही का आलम यह था कि मेटल डिटेक्टर और सीसीटीवी कैमरे तक काम नहीं कर रहे थे। यहां तैनात पुलिसकर्मी अपने निर्धारित स्थान पर कई बार नजर भी नहीं आते थे। ऐसे में किसी के लिए भी अदालत तक पहुंचना आसान था। पुलिस आयुक्त को इन कमियों के बारे में अवगत कराया गया।
सहरावत ने बताया कि दिल्ली बार काउंसिल में करीब एक लाख 30 हजार वकील पंजीकृत हैं। तीस हजारी अदालत में करीब 12000, कड़कड़डूमा में करीब 9000 और रोहिणी में करीब 7000 वकील पंजीकृत हैं। न्यायिक कार्यों के सिलसिले में रोजाना हजारों लोग आते हैं, लेकिन उनकी समुचित सुरक्षा जांच नहीं की जाती है।
गौरतलब है कि शुक्रवार को रोहिणी में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश गगनदीप सिंह की अदालत (कमरा संख्या 207) में पेशी के लिए लाया गया कुख्यात बदमाश जितेंद्र मान उर्फ गोगी की वकील की वेश में आये दो बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में गोगी पर हमला करने वाले दोनों बदमाश भी मौके पर ही मारे गये। घटना को लेकर वकीलों में काफी रोष है। वे घटना के लिए पुलिस की लचर सुरक्षा व्यवस्था को काफी हद तक जिम्मेवार ठहरा रहे हैं।