दुनिया के 7 अजूबों में से
एक माचू पिच्चू
माचू
पिच्चू दक्षिण अमेरिकी देश पेरू मे में स्थित इंका सभ्यता से जुड़ा हुआ एक ऐतिहासिक
स्थल है जो समुद्र तल से 2,430 मीटर की ऊँचाई पर उरुबाम्बा घाटी के ऊपर एक पहाड़ी पर
स्थित है। माचू पिच्चू को “इंकाओं का खोया शहर “ के नाम से भी जाना जाता है। माचू पिच्चू
इंका शासन के सबसे खास प्रतीकों में से एक है, जिसको 7 जुलाई 2007 दुनिया के 7 अजूबों
में से एक घोषित किया था। आपको बता दें कि माचू पिच्चू को 1983 में इसे यूनेस्को द्वारा
विश्व धरोहर स्थल की सूचि में भी शामिल किया गया है। दुनिया के इस अजूबे की खोज
1911 में अमेरिकी इतिहासकार श्रेय हीरम बिंघम ने की थी, जिसके बाद से आज तक यह एक महत्वपूर्ण
पर्यटन आकर्षण बना हुआ है। अगर आप दुनिया के सात अजूबों में से एक माचू पिच्चू के बारे
में जानना चाहते हैं तो इस लेख को जरुर पढ़ें, इसमें हम आपको माचू पिच्चू के इतिहास,
रहस्य और इससे जुड़ी खास बातें बताने जा रहें हैं। 1430 ई. के आसपास इंकाओं ने इसका
निर्माण अपने शासकों के आधिकारिक स्थल के रूप में शुरू किया था, लेकिन इसके लगभग सौ
साल बाद, जब इंकाओं पर स्पेनियों ने विजय प्राप्त कर ली तो इसे यूँ ही छोड़ दिया गया।
हालांकि स्थानीय लोग इसे शुरु से जानते थे पर सारे विश्व को इससे परिचित कराने का श्रेय
हीरम बिंघम को जाता है जो एक अमेरिकी इतिहासकार थे और उन्होने इसकी खोज 1911 में की
थी, तब से माचू पिच्चू एक महत्वपूर्ण पर्यटन आकर्षण बन गया है। माचू पिच्चू को
1981 में पेरू का एक ऐतिहासिक देवालय घोषित किया गया और 1983 में इसे यूनेस्को द्वारा
विश्व धरोहर स्थल की दर्जा दिया गया। 1430 ई के दौरान इंकाओं ने अपने शासकों के आधिकारिक
स्थल के रूप में माचू पिच्चू का निर्माण किया था, लेकिन करीब सौ साल बाद स्पेनियों
ने इंकाओं पर जीत हासिल करके तो इसे बिना लूटे ही छोड़ दिया था। माचू पिच्चू एक प्रसिद्ध
पर्यटक स्थल होने के साथ ही एक पवित्र स्थान भी है। स्थल का एक सांस्कृतिक स्थल के
रूप में भी खास महत्व है, क्योंकि इंकाओं पर विजय प्राप्त करने के बाद भी स्पेनियों
ने इसको नहीं लूटा था और इसको ऐसे ही छोड़ दिया था। माचू पिच्चू का निर्माण इंकाओ की
पुरातन शैली में हुआ है इसमें पोलिश किये गए पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। यहाँ
पर शूरू में इंतीहुआताना (सूर्य का मंदिर) और तीन खिड़कियों वाला कक्ष है। माचू पिच्चू
को इंकाओं की पुरातन शैली में बनाया था जिसमें पॉलिश किये हुए पत्थरों का प्रयोग हुआ
था। इसके प्राथमिक भवनों में इंतीहुआताना (सूर्य का मंदिर) और तीन खिड़कियों वाला कक्ष
प्रमुख हैं। पुरातत्वविदों के अनुसार यह भवन माचू पिच्चू के पवित्र जिले में स्थित
हैं। सितम्बर 2007, पेरू और येल विश्वविद्यालय के बीच एक सहमति बनी की वो सभी शिल्प
जो हीरम बिंघम माचू पिच्चू की खोज के बाद अपने साथ ले गये थे वो पेरू को लौटा दिये
जायेंगे।