उत्तरी कमान के सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाई. के. जोशी ने शनिवार को पंजाब में पठानकोट जिले के मामून सैन्य स्टेशन पर पूर्व सैनिकों की रैली में युद्ध नायकों सहित सेना के लगभग 300 दिग्गजों के साथ बातचीत की।
रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल देवेंद्र आनंद ने यहां बताया कि लंबे समय से चली आ रही इस प्रथा को जारी रखते हुए जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और पंजाब के रहने वाले जम्मू-कश्मीर राइफल्स के वयोवृद्ध सैनिकों के लिए पठानकोट के मामून सैन्य स्टेशन पर एक पूर्व सैनिक रैली का आयोजन किया गया। उत्तरी कमान के सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जोशी ने रैली की अध्यक्षता की जिसमें 13वीं जम्मू-कश्मीर राइफल्स के युद्ध नायकों सहित 300 से अधिक दिग्गजों ने भाग लिया। इनमें से अधिकतर युद्ध नायकों ने आर्मी कमांडर के नेतृत्व में काम किया था, जो कारगिल युद्ध के दौरान जम्मू-कश्मीर राइफल्स की 13वीं बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर थे।
कारगिल युद्ध के दौरान, बटालियन ने उनके नेतृत्व में चार हमले किये, जिनमें से सबसे सफल प्वाइंट 4875 का अभियान रहा। प्वाइंट 4875 को अब परमवीर चक्र से सम्मानित कैप्टन विक्रम बत्रा के नाम पर बत्रा टॉप कहा जाता है, जिन्होंने इस अभियान के दौरान सर्वोच्च बलिदान दिया।
बटालियन को ‘ब्रेवेस्ट ऑफ द ब्रे’ सम्मान से भी नवाजा गया था और कारगिल युद्ध के दौरान कई वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। प्रमुख पुरस्कार दो परम वीर चक्र (कप्तान विक्रम बत्रा और राइफलमैन संजय कुमार), आठ वीर चक्र (सेना कमांडर सहित) और चौदह सेना पदक हैं। प्रवक्ता ने बताया कि उन गौरवशाली दिनों के कई पलों को फिर से ताजा किया गया और उन्हें फिर से कहानियां सुनाई गयी।
सैन्य कमांडर ने सभी दिग्गजों के साथ बातचीत की और राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में उनके निरंतर योगदान की सराहना की। उन्होंने आभार व्यक्त किया और राष्ट्र के लिए उनकी शानदार सेवा की सराहना की। उन्होंने उनके धैर्य की भी सराहना की जिसके साथ उन्होंने भारतीय ध्वज को ऊंचा रखने के लिए हर बाधा को पार किया।
उन्होंने उन सभी को आश्वासन दिया कि वे भारतीय सेना के विस्तारित परिवार के सदस्य हैं और हमेशा रहेंगे। जनरल जोशी ने उनसे देश को आंतरिक और बाहरी खतरों से बचाने की अपनी प्राथमिक जिम्मेदारी को पूरा करने में भारतीय सेना को सक्षम बनाने के लिए प्रयास जारी रखने का आग्रह किया।