लोकसभा में बजट सत्र के दूसरे दिन भी किसानों के मुद्दे पर विपक्ष का हंगामा जारी रहा जिससे सदन की कार्यवाही तीन बार स्थगित करनी पड़ी।
दो बार के स्थगन के बाद पांच बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही आरंभ हुई, विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते हुए सदन के बीचोंबीच आ गये। अध्यक्ष ओम बिरला ने सदस्यों से अपने स्थान पर बैठने का आग्रह करते हुएकहा कि वह शून्यकाल में सबको अपनी बात कहने का अवसर देंगे। लेकिन इसका किसी पर कोई असर नहीं हुआ।
शोर शराबे के बीच अध्यक्ष ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाये और नारेबाजी कर रहे सदस्यों ने पुन: शांत होने एवं अपने स्थान पर बैठने की अपील की।
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि संसद के उच्च सदन में भी इसी प्रकार का गतिरोध था लेकिन सरकार एवं विपक्ष के नेताओं के बीच बातचीत में सहमति बनी कि राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में ही किसानों के मुद्दे पर बात हो और इसके लिए दस घंटे की चर्चा का समय बढ़ाने का फैसला किया गया। यहां लोकसभा में भी विपक्षी नेताओं के साथ भी बातचीत में ऐसी ही सहमति बन गयी थी लेकिन अब इनको पता नहीं क्या हो गया है और अचानक ये कहने लगे कि सदन नहीं चलने देंगे। जोशी ने कहा कि यह राष्ट्रपति का भी अपमान है क्योंकि परंपरा के मुताबिक राष्ट्रपति अभिभाषण पर चर्चा के दौरान ऐसा व्यवधान नहीं होता है। उन्होंने विपक्षी सदस्यों से अपील की कि वे कम से कम अपने नेताओं के वचनों का तो सम्मान करें।
सदन में शोरशराबा जारी रहने पर अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही सात बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
इससे पहले प्रश्नकाल में हंगामे के कारण बिरला को सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी। चार बजे सदन के समवेत शुरू होते ही भारी शोरशराबे के कारण कार्यवाही पहले आधा घंटे के लिए स्थगित करनी पड़ी। अध्यक्ष ने जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू की, विपक्षी सदस्य हाथों में तख्ती लिए नारे लगाते हुए सदन के बीचोबीच आ गये और शोर शराबा करने लगे।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि किसान आंदोलन के मुद्दे से दुनिया भर में भारत की छवि और प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है। ऐसे में सरकार कृषि कानूनों को वापस ले। कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के सदस्य सरकार से कृषि संबंधी कानून वापस लेने और किसानों के साथ न्याय करने की मांग करते हुए नारेबाजी करने लगे।
बिरला ने सदस्यों से आग्रह किया कि इस तरह का आचरण सदन में ठीक नहीं है और सदस्यों को अपनी सीट पर बैठना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की सर्वोच्च संस्था की मर्यादा को बनाए रखना सभी सदस्यों का दायित्व है। बिरला ने नारे बाजी करने वाले सदस्यों से कहा कि अगर वे अपनी सीट पर बैठें तो वह सरकार से किसानों के मुद्दे पर चर्चा करवाने का आग्रह कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर सदस्य अपने आचरण को ठीक नहीं रखेंगे तो उन्हें उनके खिलाफ कार्रवाई करने को बाध्य होना पड़ेगा। इसके बाद उन्होंने आधा घंटे के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी।
एक बार स्थगन के बाद सदन की कार्यवाही जैसे ही दोबारा शुरू हुई तो अध्यक्ष ने प्रश्नकाल शुरू कर दिया। कांग्रेस सहित विपक्ष के सदस्य अपनी सीटों पर बैठे रहे लेकिन इसी बीच आम आदमी पार्टी के भगवंत मान जोर जोर से किसानों की समस्या का जिक्र करते हुए सदन के बीचोंबीच आ गये। उनके साथ ही कई सदस्यों ने अपनी सीटों से ही नारे लगाने शुरू कर दिए।
अध्यक्ष ने मान को अपनी सीट पर जाने की सलाह दी और कहा कि यदि वह नहीं माने तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके बावजूद मान लगातार बोलते रहे। इसी बीच शिरोमणि अकाली दल बादल की हरसिमरत कौर बादल भी हाथ में तख्ती लेकर सदन के बीचोंबीच आ गयी और किसानों की मांग को वाजिब ठहराने लगी। बिरला ने कहा कि उनकी सभी दलों के नेताओं से बात हो गयी है और अब हंगामा नहीं होना चाहिए लेकिन मान और बादल के साथ ही कई अन्य सदस्य हंगामा करते रहे तो शोर शराबा बढता देख अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही पांच बजे तक स्थगित कर दी।