दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति ने कहा है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल देश और विदेशों में प्रचार करते फिर रहे हैं कि उन्होंने दिल्ली की स्थिति में अभूतपूर्व बदलाव किए हैं लेकिन सच्चाई यह है कि हाल ही आबकारी नीति के चलते उन्होंने दिल्ली को शराब का गढ़ बना दिया है।
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चाैधरी अनिल कुमार ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा कि केजरीवाल ने दिल्ली में एक हजार मोहल्ला क्लीनिक खोलने और स्कूलों की हालत सुधारने का वादा किया था लेकिन शराब माफिया के दबाव में आकर उन्होंने दिल्ली में लगभग 850 ठेके खोलने की अनुमति दे दी है और यह काम निजी हाथों में सौंपा गया हैं। अनेक इलाकों में सरकारी दुकानों को बंद कराया जा चुका है और वहां काम कर रहे कर्मचारियों के भविष्य का कोई अता पता नहीं है।
उन्होंने कहा कि राजधानी में अचानक इतनी संख्या में शराब की दुकानें खोले जाने का यही मतलब है कि वह शराब माफिया के कब्जे में आ गए हैं और लोगों की सेहत की उन्हें कोई चिंता नहीं हैं। ये ठेके ऐसे अधिकतर स्थानों पर खोले जा रहे हैं जहां आसपास स्कूल भी हैं ।
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति के वरिष्ठ प्रवक्ता डा. नरेश कुमार ने राजधानी में डेंगू और लचर स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर कहा कि केजरीवाल का ध्यान इस तरफ बिल्कुल भी नहीं हैं और वह अन्य राज्यों में जाकर लोगों को हर चीज मुफ्त में देने का झांसा दे रहे हैं। राजधानी के अस्पतालों की हालत किसी से भी नहीं छिपी है और इनमें कांट्रेक्ट पर काम करने वालेे चिकित्सक तथा नर्सें आए दिन हड़ताल पर रहती हैं लेकिन मुख्यमंत्री के पास ऐसे गंभीर मसलों के लिए समय नहीं है , वह आजकल चुनावी पर्यटन कर रहे हैं।
डा. कुमार ने कहा कि केजरीवाल ने पहले हर घर में स्वच्छ पानी पहुंचाने का वादा किया था लेकिन यह पूरा नहीं किया गया है मगर हर मोहल्ले में शराब की दुकान जरूर खुलवा दी है और ये ठेके रिहायशी इलाकों में ऐसी इमारतों में खोले जा रहे हैं जो अवैध हैं और इनकी जांच कराई जाए तो इन इमारतों के मालिकों पर भी केस दर्ज हो जाएंगे।
उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने वर्ष 2017 में पजांब में चुनाव प्रचार में कहा था कि वह इस प्रदेश को नशामुक्त बनाएंगे लेकिन अब उन्होंने आबकारी नीति मेें फेरबदल कर दिल्ली को ही शराब का गढ़ बना दिया है और वह यह भी नहीं समझ पा रहे हैं कि इससे युवाओं तथा किशोरों को शराब की लत लग जाने से परिवार के परिवार तबाह हो जाएंगे।
उन्होंने कहा कि राजधानी में यमुना और वाहनों के प्रदूषण को रोकने में नाकाम रहने वाले केजरीवाल पंजाब के किसानों को पराली जलाने का जिम्मेदार ठहरा रहे हैं लेकिन हाल ही के सर्वे में पता चला है कि राजधानी में प्रदूषण पराली जलाए जाने का योगदान बहुत कम हैं और इसके लिए पुराने वाहन ही जिम्मेदार हैं । वह सार्वजनिक यातायात नीति लाने में असफल रहे हैं जिसकी वजह से लोगों को अपने वाहनों को लेकर सड़कों पर निकलना पड़ रहा है।