भारतीय अर्थव्यवस्था जल्द पटरी पर आएगी

15-05-2020 15:27:41
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भारत की अर्थव्यवस्था पटरी पर लाने के ...

भारतीय अर्थव्यवस्था जल्द पटरी पर आएगी

 

देश और विदेश को कोरोना वायरस ने अपनी चपेट में ले रखा है. इसका प्रकोप लोगों की सेहत पर बुरा प्रभाव डाल रहा है. इसके साथ ही देशों की अर्थव्यवस्था पर भी असर कर रहा है. एक तरफ लोगों की जान खतरे में है, तो वहीं दूसरी तरफ देशों की बिगड़ती अर्थव्यवस्था सरकार को चिंता में डाली हुई है.कोरोना के असर को देखते हुए मंदी की आशंका जताई जा रही है, लेकिन एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका गंभीर असर नहीं होगा। रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव काफी मजबूत है, ऐसे में अगले वित्त वर्ष के दौरान भारत की विकास दर में तेजी रहेगी। वहीं बैंको का कहना है कि भारत में कोरोना का प्रभाव व्यापक नहीं है। सरकार ने इसे रोकने के लिए व्यापक कदम उठाए हैं और कॉर्पोरेट और इनकम टैक्स में कई वित्तीय सुधार किए हैं। सकारात्मक असर अगले वित्त वर्ष में देखने को मिलेगा। प्रधानमंत्री ने एक आधिकारिक बयान में कहा था कि देश को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का विचार अचानक से नहीं आया है. यह देश की ताकत की गहरी समझ पर आधारित है भारतीय अर्थव्यवस्था के उतार चढ़ाव झेलने की ताकत, अर्थव्यवस्था के बुनियादी कारकों की मजबूती फिर से पटरी पर लौटने की क्षमता को दर्शाती है.बयान के मुताबिक पर्यटन, शहरी विकास, बुनियादी ढांचा और कृषि आधारित उद्द्योग जैसे क्षेत्रों में अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने और रोजगार सृजित करने की क्षमता है  कोरोना वायरस महामारी से बिगड़ी अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए केंद्र सरकार का थिंकटैंक प्लान पर भी काम चल रहा है। यह थिंकटैंक प्लान इकॉनमी को जल्द से जल्द  पटरी पर लाने के लिए किस टेक्नॉलजी का इस्तेमाल किया जाए, इसपर सरकार को सुझाव देगा। यह पॉलिसी पेपर साइंस ऐंड टेक्नॉलजी डिपार्टमेंट के अधीन एक स्वायत्तशासी संस्थान टेक्नॉलजी, इन्फॉर्मेशन, फॉरेकास्टिंग ऐंड असेसमेंट काउंसिल कर रहा है, जो मूलतः मेक इन इंडिया पहल को मजबूत करने, देसी तकनीक का वाणिज्यिकरण, तकनीक आधारित पारदर्शी जनवितरण प्रणाली विकसित करना, ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य व्यवस्था को सक्षम करना तथा आयात कम करने पर केंद्रित होगा। यह थिंकटैंक आर्टिफिशल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग तथा डेटा ऐनालिटिक्स जैसी उभरती तकनीकों को अपनाने के तरीके बताएगा। TIFAC के कार्यकारी निदेशक प्रदीप श्रीवास्तव ने कहा है कि पेपर प्रधानमंत्री कार्यालय, नीति आयोग और विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विभाग के समक्ष पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी विकसित तथा विकासशील दोनों तरह के देशों में मानव जीवन पर असर डाल रहा है और यह प्रभाव लगभग सभी क्षेत्रों जैसे मैन्युफैक्चरिंग से ट्रेड, ट्रांसपोर्ट, टूरिज्म एजुकेशन तथा हेल्थकेयर पर पड़ा है। कोरोना वायरस की वजह से चीन के कृषि उत्पादों का निर्यात भी छूट सकता है. इसको देखते हुआ, यह माना जा रहा है कि अब जल्द ही भारतीय कृषि उत्पादों की मांग बढ़ने वाली है.भारतीय कृषि उत्पादों की मांग अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में बढ़ सकती है. इसकी तैयारी में किसान कल्याण मंत्रालय जुट गया है. वह अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से निकलने वाली निर्यात की मांग को देख रहा है और उसने करीब 21 वस्तुओं को चिन्हित भी कर लिया है इनमें आलू, प्याज, मूंगफली, शहद और सोयाबीन प्रमुख हैं यह अवसर भारतीय कृषि निर्यातकों को बहुत फायदा देने वाला है. माना जा रहा है कि दुनियाभर में चीन के कृषि उत्पादों को प्रतिबंधित किया जा सकता है. बाजार के जानकारों की मानें तो चीन के कृषि उत्पादों पर टैरिफ लाइन द्वारा रोक लगाई जा सकती है. अब कृषि मंत्रालय अपनी तैयारियों का एक प्रस्ताव तैयार कर रहा है. अनुमान लगाया जाए तो कोरोना वायरस के कहर ने जनवरी और फरवरी में ही चीन के कृषि उत्पाद के निर्यात में लगभग 17 प्रतिशत तक की कमी ला दी थी. वैसे भी भारत असीमित संभावनाओं की धरती है. इस बात पर भी जोर दिया कि सभी हितधारकों को हकीकत और विचार के बीच की खाई पाटने के लिए काम करना होगा तथा  हम सभी को मिलकर काम करना चाहिए और एक राष्ट्र की तरह सोचना शुरू करना चाहिए.सूत्रों के मुताबिक , बैठक में शामिल विशेषज्ञों ने सरकार से कर्ज वृद्धि, निर्यात वृद्धि , सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के संचालन , उपभोग और रोजगार बढ़ाने पर ध्यान देने का आग्रह किया.तथा  बैठक में विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों के साथ चर्चा में उन्हें भरोसा दिया कि वह उन सुझावों पर काम करेंगे , जिन्हें जल्द लागू किए जाने की जरूरत है. साथ ही दीर्घकालिक अवधि में लागू होने वाले सुझावों पर भी विचार किया जाएगा क्योंकि यह बुनियादी सुधारों के लिए जरूरी है. उन्होंने ये भी कहा, "स्वदेशी के विचार को व्यक्तिगत स्तर से लेकर परिवार तक आंतरिक रूप से अपनाना होगा  भारत के लिए "शासन, प्रशासन और समाज" के सहयोग से आत्मनिर्भरता और स्वदेशी ज़रूरी है. आत्मनिर्भरता पर जिस क़दर उनका ज़ोर था उससे उनके इरादे का अंदाज़ा लगाया जा सकता  है.कि कोरोना संकट के बाद वाली व्यवस्था कैसी होना चाहिए आत्मनिर्भरता मामूली नहीं बल्कि बहुत ही अर्थपूर्ण शब्द है. उन्होंने आगे कहा, "भारत में ये विचार सदियों से रहा है लेकिन आज बदलती परिस्थितियों ने हमें फिर से याद दिलाया है कि आत्मनिर्भर बनो, आत्मनिर्भर बनो, आत्मनिर्भर बनो."हमें इस बात पर निर्भर नहीं होना चाहिए कि हमारे पास विदेश से क्या आता है, और यदि हम ऐसा करते हैं तो हमें अपनी शर्तों पर करना चाहिए. हम अपने माल का उत्पादन ख़ुद करें और उनका उपयोग ख़ुद करें."महामारी के शुरू के दिनों में अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को साकार करने के लिए घरेलू उद्दोग को अधिक आत्मनिर्भर बनाने और राष्ट्रवाद की भावना को आत्मसात करने का आह्वान किया था."उद्योग को राष्ट्रवाद और आत्मनिर्भरता बढ़ाने की भावना के साथ काम करना चाहिए."कई आर्थिक विशेषज्ञ ये मानते हैं कि महामारी के बाद की दुनिया में सभी बड़े देश घरेलू उत्पादन को मज़बूत करने पर ध्यान देंगे और ग्लोबलाइज़ेशन की जगह अंदरूनी मार्केट को बढ़ावा देंगे. इसके अलावा बड़े देश अपनी कंपनियों को बाहर की कंपनियों के मुकाबले संरक्षण देंगे. कोरोना वायरस महामारी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था स्वदेशी की तरफ़ जाएगी सत्ता के गलियारों में इस बात पर पुनर्विचार हो रहा है कि आत्मनिर्भरता और स्वदेशी की तरफ़ लौटें महामहारी खत्म होने के बाद स्वदेशी पर जोर रहेगा | मेड इन इंडिया और मेक इन इंडिया कार्यक्रम रफ्तार पकड़ेंगे , खासकर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर काफी जोर रहेगा । इन सेक्टर्स में ढेरों भारतीयों के लिए नौकरियां आ सकती हैं। कृषि तकनीक पर विशेष जोर दिया जाएगा | देश में कृषि संबंधी तकनीक पर काफी ध्यान दिए जाने की संभावना है और इससे काफी नौकरियां आएंगी। कोरोना संकट ने हमारा ध्यान कृषि क्षेत्र की ओर खींचा है।

 
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