चीन की हाइपरसोनिक मिसाइल आर्सनल पर अपनी चिंताओं को जाहीर करते हुए भारतीय सुरक्षा विश्लेषक प्रवीण साहनी ने कहा कि भारत को ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल कार्यक्रम के माध्यम से मिसाइलों को विकसित करने में रूस के साथ सहयोग करने की ज़रूरत है.
भारतीय सुरक्षा विश्लेषक प्रवीण साहनी ने एक दैनिक इंटरव्यू में कहा है कि ब्रह्मोस हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलों को विकसित करना भारत और रूस के सबसे अधिक उत्पादक और लाभकारी संयुक्त उद्यम रक्षा कार्यक्रम के रूप में है. इसी के साथ दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए यह प्रोजेक्ट काफी अहम हो सकता है.
हाइपरसोनिक मिसाइलों में एक क्रूज मिसाइल की क्षमता एवं एक बैलिस्टिक मिसाइल की गति शामिल होती है. इस तरह के हथियारों की गति 5 मैक (7000 किमी प्रति घंटे) की होती है.
प्रवीण साहनी ने हाल ही में चीन द्वारा हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल के परिक्षण के बाद भारतीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से इसे ध्यान देने योग्य बताया है. उन्होंने कहा “इस सदी में हाइपरसोनिक मिसाइलें बेहद ही उच्च तकनीक से लैस होती है जिसके बाद भारत और चीन के बीच परमाणु प्रतिस्पर्धा से अलग हटकर अब गैर-परमाणु हथियारों में हाइपरसोनिक मिसाइल भी प्रतिस्पर्धी रूप से शामिल हो गई है.
हाल ही में चीन के अलावा केवल दो अन्य देशों - अमेरिका और रूस ने इस तकनीक को बनाने, खरीदने, दोहन करने में महत्वपूर्ण प्रगति हासिल की है, अब यह मिसाइलें पारंपरिक युद्ध-लड़ने के नियमों को फिर से बनाएंगी और भूराजनीति को भी रूपांतरित करेगी.