उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि भगोड़ा शराब कारोबारी विजय माल्या पर अदालत की अवमानना मामले की सजा पर वह मंगलवार को ही सुनवाई करेगा।
न्यायमूर्ति यू. यू. ललित की अध्यक्षता वाली पीठ संबंधित पक्षों को अपनी दलीलें रखने का प्रस्ताव पेश करते हुए सॉलिसिटर जनरल को अपना पक्ष रखने के लिए भोजन अवकाश के बाद दो बजे का समय दिया है। पीठ ने साफ तौर पर कहा है कि विजय माल्या के ब्रिटेन से प्रत्यर्पण की अड़चनों से अवमानना की सजा मामले की सुनवाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि माल्या के वकील अदालत में पेश होते रहे हैं।
शीर्ष न्यायालय ने माल्या को 2017 में अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया था। शीर्ष न्यायालय के आदेश के बावजूद माल्या ने अपने बच्चों के खातों में चार करोड़ डालर के हस्तांतरण का खुलासा नहीं किया था। माल्या ने ये रकम 26 और 29 फरवरी 2016 को हस्तांतरित किया था, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद उसने इसका खुलासा नहीं किया था। इसी मामले में उसे 2017 में दोषी ठहराया गया था।
माल्या ने इसके खिलाफ अगस्त 2020 में रिव्यू पिटिशन दाखिल की थी जिसे खारिज दिया गया था। शीर्ष अदालत ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को आदेश दिया था कि वह माल्या को अवमानना के इस मामले में अदालत में पेश करे, लेकिन सरकार की ओर से यह कहा गया था कि ब्रिटेन की कुछ कानूनी जटिलताओं के कारण उसके प्रत्यर्पण में बाधा आ रही है।
गौरतलब है कि विजय माल्या पर भारत के प्रमुख बैंकों के 9000 करोड रुपए कर्ज लेकर उन्हें नहीं चुकाने समेत कई आरोप हैं। 65 वर्षीय कारोबारी फिलहाल लंदन में रह रहा है। वहां की अदालत ने उसे जमानत दे दी थी। ब्रिटेन के उच्चतम न्यायालय ने भगोड़ा कारोबारी के प्रत्यर्पण का आदेश दिया था। पिछली सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि विदेश मंत्रालय ने ब्रिटेन के समक्ष प्रत्यर्पण का मामला उठाया था लेकिन ब्रिटेन में शराब कारोबारी के खिलाफ गोपनीय कार्रवाई चलने का हवाला देते हुए उसके प्रत्यर्पण की कार्रवाई पर अमल नहीं किया जा सका।