कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि खेती-किसानी को मुनाफे में लाने पर सरकार पूरा जोर दे रही है इसके लिए नयी योजनाओं का सृजन किया है जिनका लाभ किसानों को मिल रहा है।
तोमर ने गुरुवार को राष्ट्रीय कृषि कार्यबल, दि इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एकाउंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) द्वारा ‘’कृषि लागत प्रबंधन’’ पर आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार में कहा कि कृषि और गांव, दोनों की अर्थव्यवस्थाएं देश की रीढ़ है। यदि ये सुरक्षित है तो किसी भी परिस्थिति से पार पाना आसान हो जाता है। कोविड-19 के दौर में देश की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हुई। पूर्व में भी ऐसी स्थितियां झेली है, दुनिया मंदी के दौर से गुजरी है। ऐसे में भी हमारे गांवों की अर्थव्यवस्था ने अपने आप को मजबूती से खड़े रखा है। कोविड के बावजूद किसानों ने परिश्रमपूर्वक पहले से अधिक उपज पैदा की और अधिक उपार्जन हुआ।
उन्होंने कहा कि कोरोना के दूसरे दौर में भी देश में अच्छे से खेती हुई, उत्पादन व खरीद भी प्रभावित नहीं हुई, खेती सीना तानकर इस प्रतिकूल परिस्थिति में भी खड़ी रही है। ऐसे में गांवों व कृषि को परिमार्जित करके और सशक्त बना दिया जाएं तो हिंदुस्तान की बुनियाद ज्यादा मजबूत हो सकती है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच कृषि क्षेत्र को मुनाफे में लाने की रही है। किसानों की आय बढ़े, इसके लिए नई योजनाओं का सृजन करते रहते हैं, जिसका लाभ किसानों व कृषि क्षेत्र को मिल रहा है। खेती के प्रति नई पीढ़ी की भी रूचि बढ़ना आवश्यक है। हमारी खेती और सशक्त होने पर दुनिया में भी भारत का योगदान बढ़ सकता है। भारत आज अनेक कृषि उपज के मामले में विश्व में नंबर एक या दो पर है। पहले कृषि का उत्पादन बढ़ाना समय की मांग थी। सरकार की कृषि हितैषी नीतियों व किसानों के परिश्रम ने आज खाद्यान्न की समस्या को समाप्त कर दिया, अब हमारा ध्यान उत्पादकता बढ़ाने पर है। इस दिशा में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय तथा कृषि वैज्ञानिक भी सतत काम कर रहे हैं।
कृषि मंत्री ने कहा कि बीज से लेकर नई टेक्नालाजी तक, सारे साधन किसानों को उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा हैं। कम रकबे में अच्छी फसलें, प्रोसेसिंग व भंडारण सुविधाएं, किसान उत्पादक संगठन ( एफपीओ ) , फार्मिंग कैपेसिटी बढ़ाने, आदान की उपलब्धता, इन सबके लिए केंद्र सरकार ने अनेक ठोस कदम उठाए हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 10 हजार नए एफपीओ 6865 करोड़ रूपए खर्च कर बनाए जा रहे हैं, इन्हें दो करोड़ रूपएतक का ऋण दिया जा रहा है, ब्याज में भी छूट प्रदान की जा रही है। कृषि और सम्बद्ध क्षेत्रों में डेढ़ लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का फंड सरकार ने निर्धारित किया है। लगभग चार हजार करोड़ रूपए का ऋण वितरित हो चुका है। इनका फायदा निश्चित रूप से निचले स्तर तक मिलेगा। वेयर हाऊस का उपयोग सीधे किसानों के लिए हो सकें, इसके लिए खेतों के पास निर्माण की नीति सरकार ने बनाई है, जिस पर काम प्रारंभ हो चुका है, ताकि वे उचित समय पर अच्छे भाव पर उपज बेच सकें।
तोमर ने कहा कि कांट्रेक्ट फार्मिंग के लिए भी प्रावधान किया गया है। फसल बीमा योजना भी है। छोटे किसानों के लिए ये नई व्यवस्थाएं बहुत फायदेमंद साबित होगी, उनकी ताकत बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि अब किसानों की आय बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। प्रधानमंत्री ने आव्हान किया है कि किसानों की आय दोगुनी होना चाहिए। स्वयं किसान भी इस दिशा में सोच रहे हैं यह प्रसन्नता की बात है । इससे विश्वास है कि आने वाले कल में किसानों की आय को बढ़ाने में निश्चित रूप से मददगार होंगे। खेती-किसानी की लागत में कमी लाने की दिशा में कई संस्था काम कर रही हैं, यह शुभ संकेत है। कृषि लागत प्रबंधन भी निश्चित होगा और संयुक्त प्रयासों से, सारी दुनिया में, हिंदुस्तान की खेती के क्षेत्र में साख बढ़ाने का मनोरथ सार्थक होगा।