सौ से ज्यादा बीमारियों का लगाया जा सकेगा पता, बीएचयू के विज्ञान संस्थान के जूलॉजी विभाग ने की है इस दिशा में पहल
गंगोत्री से गंगासागर तक गंगा किनारे बसने वालों के डीएनए की जांच चिप के जरिये की जाएगी। इससे सौ से ज्यादा बीमारियों का पता लगाया जा सकेगा। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) स्थित विज्ञान संस्थान के जन्तु विज्ञान विभाग ने इस दिशा में पहल की है। इसके लिए एक प्रस्ताव केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान को भेज दिया गया है।
जन्तु विज्ञान विभाग के प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि डीएनए जांच के लिए एक चिप तैयार की जायेगी। इस चिप से सौ से ज्यादा आनुवांशिक बीमारियों का पता लगाया जा सकेगा। इसके अलावा गंगा के मैदानी क्षेत्र में रहने वालों का एक जीन बैंक भी बनाया जायेगा। प्रो. चौबे ने बताया कि लगभग छह महीने पहले आईसीएमआर को डीएनए डेटा बैंक स्थापित करने का प्रस्ताव भेजा गया है। डीएनए डाटा बैंक परियोजना के तहत 50 हजार लोगों का डीएनए चिप एकत्र किया जाएगा। विभाग के वैज्ञानिक इसके बाद चिह्नित बीमारियों के लिए जिम्मेदार जीन का विश्लेषण करेंगे। इसमें खासकर मांसपेशियों की विकृति, न्यूरोलॉजिकल समस्या तथा हृदय संबंधी बीमारी शामिल होंगी। डीएनए संग्रहण के बाद विभाग के जीनोम सेंटर में इनकी जांच की जाएगी। इससे आने वाले दिनों में मरीजों को काफी लाभ होगा। जीनोम सेंटर में जैसे ही कोई मरीज आएगा, उसका डीएनए सैंपल लिया जाएगा। बीमारी जिम्मेदार जीन के साथ मिलान किया जाएगा। चिप में मौजूद डीएनए से मिलान करबीमारी का निर्धारण कर दिया जाएगा। इस प्रकार कुछ ही घंटों में रोग का सही निदान संभव होगा।
इस अभियान के तहत जन्तु विज्ञान विभाग के दो शोध छात्रों को जीनोम की ट्रेनिंग लेने के लिए यूरोप भेजने की तैयारी है। इन विद्यार्थियों को यूरोपीय संघ की क्षेत्रीय फेलोशिप के लिए चुना गया है। ये तीन महीने तक एस्टोनियाई जीनोम केंद्र में आनुवांशिक तकनीक सीखेंगे और डेटाबैंक का निर्माण की बारीकियां समझेंगे।