पुलिस हिरासत में कैदियों की प्रताड़नाो रोकने के लिये उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देशों का पालन करते हुये उत्तर प्रदेश के हर थाने को अब सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में रखा जायेगा।
उत्तर प्रदेश सरकार ने इसके तहत हर पुलिस थाने में कैमरे लगाने के लिए 300 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में गुरुवार को हुयी मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया।
पिछले दिनों शीर्ष अदालत ने गिरफ्तार करने और पूछताछ करने के लिये कानूनी तौर पर अधिकृत पुलिस एवं अन्य जांच एजेंसियों के कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे लगने का आदेश दिया था। इसके बाद उत्तर प्रदेश के हर पुलिस थाने में 12 से 16 सीसीटीवी कैमरे लगवाने का निर्णय लिया गया है अदालत ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने को कहा था कि प्रत्येक थाने के मुख्य प्रवेश द्वार, प्रवेश और निकास स्थान, स्वागत कक्ष , हवालात, सभी गलियारों और लॉबी को सीसीटीवी कैमरे से लैस किया जाये। साथ ही सीसीटीवी प्रणाली में नाइट विजन सुविधा के साथ ही ऑडियो और वीडियो की फुटेज रिकॉर्ड करने की व्यवस्था करने का आदेश अदालत ने दिया था।
मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉक्टर आलोक चांटिया ने यूनीवार्ता को बताया कि, “आये दिन हिरासत में कैदियों के शोषण की बात सामने आती थी। पुलिस हिरासत में प्रताड़ना की बातें आम हो गयी थीं। ऐसे में इस निर्णय के बाद उम्मीद है कि हिरासत के दौरान पुलिस प्रताड़ना नहीं हो सकेगी।
गौरतलब है कि हाल ही के दिनों में उत्तर प्रदेश के चार अलग -अलग जिलों में हिरासत में मौत के मामले सामने आने पर विपक्षी दल इसका जमकर विरोध कर रहे हैं। पुलिस और न्यायिक हिरासत में मौत के बारे में संसद के ग्रीष्मकालीन सत्र में लोकसभा में पूछे गये सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने 27 जुलाई को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के आंकड़े पेश किये थे। इनके मुताबिक, पुलिस हिरासत में मौत के मामलों में उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर है।
उत्तर प्रदेश में पिछले तीन साल में 1,318 लोगों की पुलिस और न्यायिक हिरासत में मौत हुई है। आयोग के आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में 2018-19 में पुलिस हिरासत में 12 और न्यायिक हिरासत में 452 लोगों की मौत हुई। इसी तरह 2019-20 में पुलिस हिरासत में तीन और न्यायिक हिरासत में 400 एवं 2020-21 में पुलिस हिरासत में आठ और न्यायिक हिरासत में 443 लोगों की मौत हुई।
इस मामले पर उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी महेश चंद्र द्विवेदी ने यूनीवर्ता को बताया कि पुलिस थानों में प्रताड़ना रोकने के लिये थानों को सीसीटीवी कैमरों से लैस करने का निर्णय अच्छा है। उन्होंने कहा कि इससे पुलिस पर प्रताड़ना के आरोपों में कमी आएगी और पुलिस भी मानवीय आधार पर कानून के हिसाब से काम करेगी।
हालांकि उन्होंने माना कि कभी-कभी हालात ऐसे बन जाते हैं, जैसे किसी आतंकवादी या जघन्य अपराध करने वाले कैदियों से सामान्य पूछताछ करना कठिन होता है क्योंकि वह सटीक जवाब नहीं देता है। ऐसे में कड़ाई से पेश आना पड़ता है। उन्होंने कहा कि पुलिस हिरासत में लिये गये हर व्यक्ति के साथ सख्ती से पेश नहीं आती है।