कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफओ) बोर्ड ने कर्मचारियों के भविष्य निधि खातों में जमा राशि पर 2021-22 के लिए ब्याज दर घटाकर 8.1 प्रतिशत करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। यह दर डेढ़ दशक की सबसे न्यूनतम दर है।
केन्द्रीय श्रम मंत्री भूपेन्द्र यादव की अध्यक्षता में ईपीएफओ के केन्द्रीय न्यासी मंडल की गुवाहटी में शनिवार को बैठक के बाद बोर्ड के एक सदस्य ने यूनीवार्ता से फोन पर कहा, “बोर्ड ने ईपीएफ पर ब्याज इस बार 8.1 प्रतिशत रखने का फैसला किया है।”
पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में ईपीएफ पर ब्याज दर 8.5 प्रतिशत थी। भविष्य निधि कोष पर ब्याज दर कम होने से इस योजना से जुड़े छह करोड़ से अधिक अंशधारकों के हित प्रभावित होंगे। ईपीएफओ 2019-20 से इस योजना में ब्याज दर 8.5 प्रतिशत रखे हुए था। वर्ष 2015-16 में ब्याज दर 8.8 प्रतिशत थी, उसे 2016-17 में 8.65 प्रतिशत, 2017-18 में 8.55 प्रतिशत, 2018-19 में 8.65 प्रतिशत रखा गया था। बोर्ड के सदस्य ने कहा कि ईपीएफ अंशधारकों के लिए पेंशन योजना से जुड़े मुद्दों को एक उच्चस्तरीय समिति के समक्ष रखे जाने का फैसला लिया गया है। सदस्य ने कहा, “मंत्री (केन्द्रीय श्रममंत्री) ने कहा कि पेंशन के मुद्दे पर अभी और गहराई से विचार करने की जरूरत है लिहाजा इससे अधिक बड़ी कमेटी के सामने रखना ठीक होगा”।
ईपीएफओ के अंदर एक पेंशन योजना-ईपीएस-95 चल रही है। ईपीएफओ 15,000 रुपये से अधिक मूल वेतन वाले कर्मचारियों के लिए एक नई पेंशन योजना लाने पर विचार कर रहा है। ईपीएस-95 में वे कर्मचारी अनिवार्य रूप से नहीं आते हैं, जिनका मूल वेतन 15,000 से ऊपर है। ईपीएस-95 में वेतन का 85.33 प्रतिशत पेंशन खाते में जाता है। पेंशन के लिए यह अंशदान नियोक्ता द्वारा ईपीएफ में किए जाने वाले 12 प्रतिशत के अंशदान से काटा जाता है। वर्तमान में ईपीएस-95 में न्यूनतम पेंशन 1000 रुपए है। ईपीएफओ के केन्द्रीय न्यासी मंडल ने पेंशन के मुद्दों पर नवंबर 2021 को एक समिति गठित की थी।