अपहरण, रंगदारी तथा धमकी देने के आरोपी पूर्व सांसद धनंजय सिंह व उनके सहयोगी संतोष विक्रम का माफीनामा अपर सत्र न्यायाधीश शरद त्रिपाठी ने निरस्त कर दिया। दोनों के खिलाफ आरोप बनाने के लिए कोर्ट ने 2 अप्रैल तिथि नियत की है। शासकीय अधिवक्ता अरुण पांडेय व सतीश रघुवंशी ने आरोप माफी प्रार्थना पत्र का विरोध किया।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार मुजफ्फरनगर निवासी व नमामि गंगे प्रोजेक्ट के अभिनव सिघंल ने 10 मई को लाइन बाजार थाने में अपहरण, रंगदारी व अन्य धाराओं में धनंजय व उनके साथी विक्रम पर प्राथमिकी दर्ज कराया था। आरोप था कि संतोष विक्रम दो साथियों के साथ वादी का अपहरण कर पूर्व सांसद के आवास पर ले गए वहां धनंजय सिंह पिस्टल लेकर आए और गालियां देते हुए वादी को कम गुणवत्ता वाली सामग्री की आपूर्ति करने के लिए दबाव बनाया। इन्कार करने पर धमकी देते हुए रंगदारी मांगा। एफआइआर दर्ज हुई। पूर्व सांसद गिरफ्तार हुए। बाद में जमानत हुई।
पिछली तारीख पर धनंजय व संतोष विक्रम ने प्रार्थना पत्र दिया कि वादी पर दबाव डालकर एफआइआर दर्ज कराई गई। पुलिस ने विवेचना कर क्लीन चिट भी दिया। बाद में क्षेत्राधिकारी ने पुन: विवेचना का आदेश पारित किया और उच्च अधिकारियों के दबाव में बिना किसी पक्ष के आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया गया। वादी ने पुलिस को दिए गए बयान तथा धारा 164 के बयान में घटना का समर्थन नहीं किया। आरोपितों ने साक्ष्य के अभाव में खुद को आरोप माफी किए जाने की कोर्ट से मांग की।
शासकीय अधिवक्ता अरुण पांडेय व सतीश रघुवंशी ने लिखित आपत्ति दाखिल किया कि वादी की लिखित तहरीर पर एफआईआर दर्ज हुई। सीसीटीवी फुटेज, सीडीआर,वाट्सएप मैसेज,गवाहों के बयान व अन्य परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर आरोपियों के खिलाफ अपहरण, रंगदारी व अन्य धाराओं का अपराध साबित हैं। आरोपितों ने कई बार वादी को फोन किया। अज्ञात लोगों द्वारा दबाव डलवा कर मुकदमा वापस लेने का दबाव बनाया गया। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद आरोपितों का प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया।