निर्माण मजदूर अधिकार अभियान ने निर्माण मजदूरों के लिए कल्याणकारी योजनाओं की राशि सीधे मजदूरों के बैंक खातों में देने के केंद्र सरकार के निर्देश का स्वागत किया है और कहा है कि इससे भ्रष्टाचार पर रोक लगाने में मदद मिलेगी।
निर्माण मजदूर अधिकार अभियान के संयोजक थानेश्वर दयाल आदिगौड़ ने शुक्रवार को यहां केंद्र सरकार के फैसले की सराहना करते हुए कहा कि यह फैसला बहुत उचित है। निर्माण मजदूरों के 1996 के केन्द्रीय कानूनों एवं नियमों में स्पष्ट कहा गया है कि उपकर (सेस) से प्राप्त धनराशि का इस्तेमाल किसी भी प्रकार के ढांचागत या सामग्री के रूप में खर्च नहीं किया जा सकता है। यह राशि केवल मजदूरों के लिये बनाई गई विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च की जा सकती है। निर्माण मजदूर बोर्ड के प्रशासनिक कार्यों पर भी पांच प्रतिशत की सीमा है।
उन्होने कहा, “सभी योजनाओं के तहत मजदूरों के बैंक खाते में ही सीधे धनराशि जानी चाहिये। यह सही तरीका है। भ्रष्टाचार पर भी इससे अंकुश लगता है। मशीन, साईकिल, अन्य समान वितरण करने की प्रक्रिया में गड़बड़ी की भी आशंका रहती है। हमने दिल्ली में बोर्ड द्वारा इस प्रकार के पूर्व में किये गये कई निर्णयों का विरोध करके इस पर रोक भी लगवाई है।”
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने राज्यों के कल्याण बोर्ड (एसडब्ल्यूबी) को भवन निर्माण श्रमिकों को वस्तुएं और घरेलू सामान वितरित नहीं करने और उसके बदले में सीधे श्रमिकों के बैंक खातों में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से वित्तीय सहायता देने के निर्देश दिए हैं।