अचानक बेकाबू हो सकता है कोरोना संक्रमण

20-06-2020 10:49:26
By :
Notice: Trying to get property 'fName' of non-object in /home/newobserverdawn/public_html/module/Application/view/application/index/news.phtml on line 23

Notice: Trying to get property 'lName' of non-object in /home/newobserverdawn/public_html/module/Application/view/application/index/news.phtml on line 23

where's the next big Coronavirus problem going to hit? Look out ...

अचानक बेकाबू हो सकता है कोरोना संक्रमण

 

भारत में अचानक बेकाबू हो सकता है 'कोरोना संक्रमण, WHO एक्सपर्ट ने दी चेतावनी आम जन जीवन से कोरोना का डर जिस तरह छूमंतर हुआ है वह स्वाभाविक है मगर कई संशयों को भी जन्म देता है। डर का गायब होना स्वाभाविक इसलिये कि जितना हो हल्ला मचा उस हिसाब से भारत में इस महामारी से अब तक लाशों का अम्बार नहीं लगा। यह थोड़ा हैरत में डालता है। क्योंकि पश्चिमी देशों और अमेरिका में इसी वायरस सार्स सीओवी - 2 ने मौतों का जो मंजर दिखाया है उसके हम सब दर्शक रहे हैं। विशेषज्ञ और अनुसंधानरत विज्ञानी अभी भी चेतावनी दे रहे हैं कि इस महामारी को हल्के में न लिया जाय। भले ही यह अब तक भारत में अपने भयावह रुप में नहीं आयी है मगर अपनी पकड़ दिनोदिन मजबूत करती जा रही है और फिर अचानक ही विस्फोट कर सकती है। कोरोना विस्फोट। मतलब अचानक ही यह महामारी अनियंत्रित होकर लाशों का ढ़ेर लगा सकती है जिसके लिए यह कुख्यात है। अभी भी इससे संक्रमितों की संख्या निरंतर बढ़ ही रही है। गनीमत यही है कि उसके अनुपात में मौतों पर नियंत्रण है। मगर विगत छह जून को यकायक साढ़े नौ हजार संक्रमितों के आंकड़ों का बढ़ना अच्छे संकेत नहीं है। मौतें भी अचानक चार हजार से साढे छह हजार तक केवल कुछ दिनों में जा पहुंची है। इसलिये अभी सभी को सावधान रहना है। मास्क, सैनिटाईजर /साबुन से हाथ साफ रखने और सोशल डिस्टैंसिंग मेन्टेन रखने का सबक याद रखना है। जब सब कुछ मंदिर मस्जिद, माल होटेल खुल ही रहे हैं तो जाहिर है कि सोशल डिस्टैंसिंग के फासले कम से कमतर होंगे और संक्रमितों की संख्या में अचानक इजाफा होगा। अभी स्कूल कालेज अगस्त तक बन्द रहें तभी बेहतर होगा। क्योंकि बच्चों से कोरोना संक्रमण घर घर पहुंच जायेगा। डर घर के ज्यादा उम्रदराज और लम्बे समय से बीमार सदस्यों को लेकर है। जब स्कूली छात्रों के कारण घर घर कोरोना का प्रसार होगा तो ये नाजुक लोग चपेट में आ जायेंगे और तब मौतों की संख्या अचानक बेकाबू हो जायेगी जो अभी तक आश्चर्यजनक रुप से थमी हुई है। इसलिए स्कूल कालेज खोलने के मामले में सरकारों को बहुत गंभीरता से विचार करना होगा। हमें यह कटु सच्चाई जितना शीघ्र समझ में आ जाय उतना ही ठीक कि अब जीवन पहले के ढ़र्रे पर कतई नहीं आने वाला। कम से कम कुछेक वर्षों तक। इसलिये बहुत विवेक से  दैनिक जीवन को संयमित करना है। सरकारों और निजी सेक्टर के नियोक्ताओं को भी इस बिन्दु पर बुद्धिमता दिखानी होगी न कि आर्थिक दबावों के आगे विवेकहीनता का परिचय देना है। घर से काम करने की संस्कृति को बढ़ावा सार्वजनिक और निजी सेक्टर दोनों को देना चाहिये। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक बड़े एक्सपर्ट ने कहा है कि भारत में अभी कोरोना का विस्फोट नहीं हुआ है, लेकिन ऐसा होने का खतरा बरकरार है। मार्च में लागू किए लॉकडाउन को खत्म किया जा रहा है और ऐसे में कोरोना केसों की संख्या तेजी से बढ़ सकती है। रेयान ने जेनेवा में कहा, ''दक्षिण एशिया में केवल भारत नहीं बल्कि बांग्लादेश और पाकिस्तान सहित अधिक जनसंख्या घनत्व वाले दूसरे देशों में कोरोना का विस्फोट नहीं हुआ है, लेकिन इसका खतरा बना हुआ है।'' उन्होंने जोर देकर कहा कि यह बीमारी पहले समुदायों में पैर जमाती है और फिर इसमें कभी भी तेजी आ सकती है। रेयान ने कहा कि भारत में लॉकडाउन की वजह से संक्रमण की दर को धीमे रखने में मदद मिली, लेकिन देश के अनलॉक होने की वजह से संक्रमण में तेजी का जोखिम बढ़ गया है। उन्होंने कहा, ''भारत में उठाए गए कदमों से निश्चित तौर पर संक्रमण के प्रसार में सुस्ती रही, लेकिन प्रतिबंधों को हटाने और लोगों के बाहर निकले के साथ बीमारी के तेजी से फैलने का जोखिम रहता है।'' उन्होंने कहा कि भारत में कई अहम मुद्दे हैं। बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर हैं और शहरों में जनसंख्या का घनत्व बहुत अधिक है। श्रमिकों को के पास घर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहा। भारत अब दुनिया का सबसे संक्रमित छठा देश हो गया है  WHO हेल्थ इमर्जेंसी प्रोग्राम के एग्जीक्युटिव डायरेक्टर माइकल रेयान ने कहा कि इस समय भारत में डबलिंग रेट करीब 3 सप्ताह है। उन्होंने कहा, ''इसलिए महामारी की दिशा अभी घातकीय नहीं है, लेकिन यह बढ़ रही है।'' साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भारत में महामारी का असर देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग दिख रहे हैं तथा शहरी और ग्रामीण इलाकों में भी हालात अलग-अलग हैं दिल्ली में क्यों होने वाला है कोरोना का विस्फोट, लाखों की संख्या में होंगे बीमार, रोकना हो जाएगा मुश्किल देश में कोरोना के 2 लाख 67 हजार से ज्यादा केस सामने आए हैं, लेकिन खतरे की बात यह है कि 31 जुलाई तक दिल्ली में इससे ज्यादा केस होने का डर है। दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के कथना अनुसार 15 जून तक 44,000 मामले के अनुमान थे और 6,600 बेड की जरूरत बताई गई। 30 जून तक 1 लाख तक मामले पहुंच जाएंगे और 15,000 बेड की जरूरत होगी। 15 जुलाई तक 2.25 लाख मामले होंगे और 33,000 बेड की जरूरत होगी। 31 जुलाई तक, 5.5 लाख मामलों की उम्मीद है और 80,000 बेड  की जरूरत होगी। दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) के साथ एक बैठक के बाद मनीष सिसोदिया ने कहा, दिल्ली में जुलाई अंत तक 80,000 बिस्तरों की जरूरत पड़ेगी। बैठक की अध्यक्षता उप राज्यपाल अनिल बैजल कर रहे थे जो कि दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष भी हैं। मनीष सिसोदिया ने कहा कि 31 जुलाई तक 5.5 लाख लोग संक्रमित हो सकते हैं। 9 जून तक दिल्ली में कोरोना के 29 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हैं। 52 दिन बाद यानी 31 जुलाई तक राजधानी में में कोरोना के करीब 5 लाख केस बढ़ जाएंगे। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि राजधानी में कोरोना का कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो गया है। सत्येंद्र जैन ने कहा कि दिल्ली में कोरोना का खतरा बढ़ता जा रहा है। इसके पीछे वजह है कि संक्रमण का का सोर्स ही पता नहीं चल रहा है। इसे ही कम्युनिटी ट्रांसमिशन कहते हैं। हालांकि अभी केंद्र सरकार ने साफ किया है कि अभी कम्युनिटी ट्रांसमिशन नहीं हुआ है। इस बात का जवाब दिल्ली सरकार की तैयारियों से मिल सकता है। 31 जुलाई तक दिल्ली में 5.5 लाख कोरोना के मरीज होंगे। उनके इलाज के लिए 80 हजार बेड की जरूरत होगी। दिल्ली में कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए अभी 8575 बेड हैं। इसमें सरकारी अस्पतालों में 5678 और प्राइवेट अस्पतालों में 2887 बेड हैं। इसमें सरकारी अस्पतालों में 2463 बेडों पर मरीज हैं और 3215 बेड खाली हैं। वहीं प्राइवेट अस्पतालों में 1950 बेडों पर मरीज हैं और 937 बेड खाली हैं। दिल्ली में अभी तक 4413 बेडों पर मरीज हैं और 4162 बेड खाली हैं। दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली सरकार के उस फैसले को बदल दिया था, जिसमें कहा गया... गया था कि दिल्ली के अस्पतालों में केवल दिल्लीवालों का ही इलाज होगा। उन्होंने कहा कि अधिकारी इस बात को सुनिश्चित करें कि किसी भी मरीज को स्वास्थ्य सेवाएं देने से इस आधार पर मना नहीं किया जा सकत... क्योंकि वो दिल्ली के निवासी नहीं हैं। कम्युनिटी ट्रांसमिशन कोरोना वायरस की थर्ड स्टेज होती है। यह स्टेज तब आती है जब किसी एक बड़े इलाके के लोग वायरस से संक्रमित पाए जाते हैं। वहां की स्थि‍तियां कोरोना से बीमार लोगों की संख्या के खतरनाक स्तर पर पहुंच जाती है। कम्युनिटी ट्रांसमिशन में कोई ऐसा व्यक्ति भी संक्रमित हो सकता है जो न तो कोरोनवायरस से प्रभावित देश से लौटा है और न ही वह किसी दूसरे कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आया हो। कई देशों में तो अध्ययन में ये भी बताया गया कि कम्युनिटी स्प्रेड होने पर इससे बचाव काफी मुश्कि‍ल हो जाता है। इस स्टेज में यह पता नहीं चलता कि कोई व्यक्ति कहां से संक्रमित हो रहा है। भारत कोविड-19 महामारी के मामले में छठा प्रभावित देश बन गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार शनिवार को देश में संक्रमण के एक दिन में सर्वाधिक मामले आए जिनकी संख्या 9,887 रही, वहीं 294 लोगों की मौत हो गयी। इसके बाद देश में अब तक संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 2,36,657 हो गयी है तथा मरने वालों का आंकड़ा 6,642 पर पहुंच गया है। डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि 130 करोड़ से अधिक की आबादी वाले देश में कोरोना वायरस के दो लाख से अधिक मामले ज्यादा लगते हैं, लेकिन इतने बड़े देश के लिए यह संख्या अब भी बहुत अधिक नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत एक विशाल देश है जहां बहुत घनी आबादी वाले शहर हैं, वहीं कुछ ग्रामीण इलाकों में कम सघन बसावट है और इसके अतिरिक्त विभिन्न राज्यों में स्वास्थ्य प्रणालियों में भी विविधता है तथा इन सबकी वजह से कोविड-19 को नियंत्रित करने में चुनौतियां सामने आ रही हैं। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में आगामी दिनों में कोरोना विस्फोट हो सकता है। इसके मद्देनजर मुंबई के सेंट जार्ज और गुरुतेगबहादुर (जीटी) अस्पताल को एहतियातन कोरोना अस्पताल में रूपांतरित कर दिया गया है। इससे पहले राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने भी मुंबई-पुणे में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ने की संभावना जताई थी। लेकिन, मुख्यमंत्री कार्यालय का कहना है कि केंद्रीय टीम ने इस संबंध में हमें कोई ऐसा डाटा उपलब्ध नहीं कराया है। जबकि अंदरखाने अधिकारी भी यह मान रहे हैं कि मुंबई की झुग्गी झोपड़ियों में जिस तरह से कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ रहा है उसे देखते हुए केंद्रीय टीम के अनुमान के आधार पर तैयारी की जरूरत है।

सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी मेयर बंगले पर आयोजित बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे केंद्रीय टीम के अनुमान का संज्ञान लें। भले ही यह आंकड़ा हमारे अनुमान से अधिक है, लेकिन उसके तहत काम करें। वहीं, एक अधिकारी ने कहा कि हम केंद्रीय टीम के अनुमान को खारिज नहीं कर रहे हैं। लेकिन यदि झुग्गी बस्तियों में यदि दूरी बनाने के नियम का पालन किया गया तो अनुमानित आंकड़ों को नियंत्रित किया जा सकता है। प्रमुख सचिव मनीष म्हैसकर ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर जीटी और सेंट जॉर्ज हॉस्पिटल को कोविड अस्पताल बनाया गया है। विशेषज्ञ और अनुसंधानरत विज्ञानी अभी भी चेतावनी दे रहे हैं कि इस महामारी को हल्के में न लिया जाय। भले ही यह अब तक भारत में अपने भयावह रुप में नहीं आयी है मगर अपनी पकड़ दिनोदिन मजबूत करती जा रही है और फिर अचानक ही विस्फोट कर सकती है। कोरोना विस्फोट। मतलब अचानक ही यह महामारी अनियंत्रित होकर लाशों का ढ़ेर लगा सकती है जिसके लिए यह कुख्यात है। अभी भी इससे संक्रमितों की संख्या निरंतर बढ़ ही रही है। गनीमत यही है कि उसके अनुपात में मौतों पर नियंत्रण रहा है। मगर विगत छह जून को यकायक साढ़े नौ हजार संक्रमितों के आंकड़ों का बढ़ना अच्छे संकेत नहीं है। मौतें भी अचानक चार हजार से साढे छह हजार तक केवल कुछ दिनों में जा पहुंची है। इसलिये अभी सभी को सावधान रहना है। मास्क, सैनिटाईजर /साबुन से हाथ साफ रखने और सोशल डिस्टैंसिंग मेन्टेन रखने का सबक याद रखना है। जब सब कुछ मंदिर मस्जिद, माल होटेल खुल ही रहे हैं तो जाहिर है कि सोशल डिस्टैंसिंग के फासले कम से कमतर होंगे और संक्रमितों की संख्या में अचानक इजाफा होगा। अभी स्कूल कालेज अगस्त तक बन्द रहें तभी बेहतर होगा। क्योंकि बच्चों से कोरोना संक्रमण घर घर पहुंच जायेगा। डर घर के ज्यादा उम्रदराज और लम्बे समय से बीमार सदस्यों को लेकर है। जब स्कूली छात्रों के कारण घर घर कोरोना का प्रसार होगा तो ये नाजुक लोग चपेट में आ जायेंगे और तब मौतों की संख्या अचानक बेकाबू हो जायेगी जो अभी तक आश्चर्यजनक रुप से थमी हुई है। इसलिए स्कूल कालेज खोलने के मामले में सरकारों को बहुत गंभीरता से विचार करना होगा। हमें यह कटु सच्चाई जितना शीघ्र समझ में आ जाय उतना ही ठीक कि अब जीवन पहले के ढ़र्रे पर कतई नहीं आने वाला। कम से कम कुछेक वर्षों तक। इसलिये बहुत विवेक से दैनिक जीवन को संयमित करना है। सरकारों और निजी सेक्टर के नियोक्ताओं को भी इस बिन्दु पर बुद्धिमता दिखानी होगी न कि आर्थिक दबावों के आगे विवेकहीनता का परिचय देना है। घर से काम करने की संस्कृति को बढ़ावा सार्वजनिक और निजी सेक्टर दोनों को देना चाहिये। खतरा उस अस्सी पचासी फीसदी जनसंख्या को नहीं है जिन पर वायरस का कोई प्रभाव नहीं है मगर घर घर के उम्रदराज सदस्यों को है, बीमार लोगों को है। जो आप पर इस कोरोना काल में पूर्णतया आश्रित हैं।  बिगड़ैल बोस और कर्कश सास भले ही आलोचना और हंसी मजाक के किस्सों के पात्र बनते हों, कार्यालय कर्मियों और आधुनिक बहुओं को उनके प्रति भी मानवीय दृष्टि रखनी है। उनमें सुधार तो शायद संभव नहीं मगर उनके सानिध्य में रहने वालों से बुद्धिमानी अपेक्षित है। सतत सजगता ही हमें इस महामारी से दूर रखेगी। सावधानी हटी दुर्घटना घटी। कोरोना ; सावधान, किसी भी वक्त हो सकता कोरोना वायरस का विस्फोट! किसी भी वक्त हो सकता कोरोना वायरस का विस्फोट! जी हां, कोरोना को काबू करने वाले इंतजामों के बीच चौंकाने वाली खबर यह है कि केरल में कोरोना संदिग्धों की संख्या लगभग 1 लाख बीस हजार तक पहुंच गई है। इन सभी को निगरानी में रखा गया है। ऐसा समझा जाता है कि केरल में कोरोना संक्रमित संदिग्धों की संख्या और भी बढ़ सकती है। केरल में एकाएक कोरोना संक्रमित संदिग्धों की संख्या बढ़ने से देश भर में भूचाल आ गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य और गृह मंत्रालय ने राज्यों की इकाई से संपर्क कर तत्काल सभी संभव कदम उठाने को कहा है। केरल में अभी तक 176 लोगों कोरोना से संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। हालांकि अच्छी बात यह भी है कि कुछ लोग ठीक होकर घर वापस जा चुके हैं। केरल में कोरोना वायरस के संदिग्धों की जानकारी मुख्यमंत्री पी. विजयन ने स्वंय दी है। मुख्यमंत्री पी. विजयन की इस जानकारी के बाद आशंका व्यक्त की जाने लगी है कि कोरना वायरस के पीड़ितों की संख्या का अचानक विस्फोट हो सकता है। हालांकि निश्चित ही महामारी की इस भयावह स्थिति से निपटने के लिए इंतजाम शुरु कर दिये गये हैं। केरल के बाद महाराष्ट्र ऐसा प्रदेश है जहां कोरोना पीड़ितों की संख्या देश में सबसे ज्यादा है। इन दोनों राज्यों के अलावा बाकी प्रदेशों में भी कोरोना वायरस के संक्रमितों की संख्या को रोकने लिए लॉकडाउन को सख्ती से लागू किया गया था।

कोरोना को हल्के में लेते हुए लॉक डाऊन में बाहर निकलने वालों का हश्र . . .

1 - एक दिन अचानक बुख़ार आता है  2 - गले में दर्द होता है ! 3 - साँस लेने में कष्ट होता है !

Covid टेस्ट की जाती है.. 1 दिन तनाव में बीतता हैं... अब टेस्ट + ve आने पर रिपोर्ट नगर पालिका जाती है !

4 - रिपोर्ट से हॉस्पिटल तय होता है ! 5 - फिर एम्बुलेंस कॉलोनी में आती है ! 6 - कॉलोनीवासी खिड़की से झाँक कर तुम्हें देखते हैं ! 7 - कुछ लोग आपके लिए टिप्पणियां करते है ! 8 - कुछ मन ही मन हँस रहे होते हैं !

9 - एम्बुलेंस वाले उपयोग के कपड़े रखने का कहते हैं ! 10 - बेचारे घरवाले तुम्हें जी भर कर देखते हैं...टेंशन में आ जाते है और सोचने लगते है कि अब किसका नम्बर है !

तुम्हारी आँखों से आँसू बोल रहे होते हैं... तभी प्रशासन बोलता है... चलो जल्दी बैठो.. आवाज़ दी जाती है ...

11 - एम्बुलेंस का दरवाजा बन्द . . सायरन बजाते रवानगी ! 12 - फिर कॉलोनी वाले बाहर निकलते है ..

13 - फिर कॉलोनी सील कर दी जाती है ! 14 - 14 दिन पेट के बल सोने को कहा जाता है . . .! 15 - दो वक्त का जीवन योग्य खाना मिलता है ! 16 -Tv, Mobile सब अदृश्य हो जाते हैं ! 17 - सामने की खाली दीवार पर अतीत और भविष्य के दृश्य दिखने लगते.. ओर वहा पर बुरे बुरे सपने आने लगते है..!

अब आप ठीक हो गए तो ठीक . . .वो भी जब 3 टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आ जाएँ तो घर वापसी !

लेकिन इलाज के दौरान यदि आपके साथ कोई अनहोनी हो गई तो . . .?

18 - तो आपके शरीर को प्लास्टिक के कवर में पैक कर सीधे शवदाहगृह . . 19 - शायद अपनों को अंतिमदर्शन भी नसीब नहीं ! 20 - कोई अंत्येष्टि क्रिया भी नहीं! 21 - सिर्फ परिजनों को एक डेथ सर्टिफिकेट..

वो भी इसलिए कि वसीयत का नामांतरण करवाने के लिए.. और खेल खत्म... बेचारा चला गया अच्छा था..

इसीलिए बेवजह बाहर मत निकलिए घर में सुरक्षित रहिए बाह्य जगत का मोह और हर बात को हल्के में लेने की आदतें त्यागिए 2020 काम धंधे का, कमाई करने का नहीं है पिछले वर्षों में कमाया उसे खर्च करिये मार्च 20 से दिसम्बर 20 तक 10 माह कमाने का वर्ष नही है.. जीवन बचाने का वर्ष है ..

जीवन अनमोल है ....कड़वा है किंतु यही सत्य है ! लॉक डाउन में छूट सरकार ने दी है, कोरोना ने नही...

सरकार ने तो लॉकडाउन खोल दिया लेकिन आप सावधान रहिये, क्योंकि आप अपने परिवार के लिये ही पूरी दुनिया हैं ! आपका जीवन अनमोल है ! इन दिनों दिल्ली में श्मशान घाटों पर कोरोना से मरने वालों के शवों का ढेर लग रहा है। श्मशान घाटों के हालात भयावह हैं। दिल्ली में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। सरकारी आंकड़े जहां 984 मौतों की बात करते हैं तो एमसीडी का कहना है कि दो हजार से ज्यादा मौतें हुईं हैं। बहरहाल, इन दिनों दिल्ली में श्मशान घाटों पर कोरोना से मरने वालों के शवों का ढेर लग रहा। श्मशान घाटों के हालात भयावह हैं। कोविड मरीजों के लिए रिजर्व साउथ एमसीडी के पंजाबी बाग श्मशान घाट रोजाना शवों से भर जाता है। जिससे शवों के अंतिम संस्कार के लिए परिवार वालों को घंटों इंतजार करना पड़ता है। गुरुवार को पंजाबी बाग श्मशान घाट में दर्जनों शवों के एक साथ अंतिम संस्कार का वीडियो भी वायरल हुआ। दिल्ली में कोरोना (Corona) से होने वाली मौत के आंकड़ों पर ही सियासत शुरु हो गई है. दिल्ली सरकार (Delhi Government) के आंकड़ों को झुठलाते हुए एमसीडी (MCD) चेयरमैन जय प्रकाश 2098 से ज़्यादा मौत होने का दावा कर रहे हैं. दावे की सच्चाई के लिए श्मशान घाट (cremation ground) और कब्रिस्तान की आंकड़ों को पेश कर रहे हैं. वहीं मौत के बढ़ते हुए आंकड़े को देखकर दिल्ली में श्मशान घाट और कब्रिस्तान (cemetery) की संख्या बढ़ा दी गई है. 9 श्मशान घाट और 2 कब्रिस्तान की संख्या तो दो दिन पहले ही बढ़ाई गई है. अब दिल्ली में कोविड 19 (Covid 19) से होने वाली मौत के बाद शवों का दिल्ली के 13 श्मशान घाट और 5 कब्रिस्तान में दाह संस्कार हो सकेगा जानकारों की मानें तो पंजाबी बाग श्मशान घाट पर सबसे ज़्यादा शवों का दाह संस्कार हो रहा है. एक हफ्ते पहले तक घाट का प्रबंधन दिनभर के इंतज़ार के बाद भी शाम को कुछ शवों को लौटा रहा था. इसके पीछे प्रबंधन का भी अपना तर्क था कि हम तय घंटों के हिसाब से भी ज़्यादा काम कर रहे हैं. सीएनजी की भट्टी भी ठीक से काम नहीं कर रही हैं. शवों की संख्या ओवर हो रही थी. इसी को देखते हुए अब प्रबंधन ने बुकिंग करते हुए समय देना शुरु कर दिया है दिल्ली में स्थिति कितनी ख़राब हैं. इसी तरह की भयावह स्थिति की बात ख़ुद दिल्ली सरकार ने की है. 9 जून 2020 को एक बयान में मनीष सिसोदिया, उप-मुख्यमंत्री, दिल्ली सरकार ने कहा की दिल्ली में जुलाई के अंत तक  कोरोना के साढ़े पाँच लाख केस  हो जाएंगे. इस बयान को सुनने के बाद से ही दिल्ली एनसीआर में डर का माहौल पैदा हो गया है. अभी इस बयान के डर और सदमे से लोग उबर भी नहीं पाए थे कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का इससे भी बड़ा बयान आ गया. अगर बाहर वालों का इलाज दिल्ली में करना पड़ा तो दिल्ली में दोगुने बेड्स की ज़रूरत पड़ेगी. यानी जुलाई के अंत तक डेढ़ लाख बेड्स की ज़रूरत पड़ेगी. 10 जून 2020 को अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री, दिल्ली सरकार से इस सवाल पर कि क्या दिल्ली में बढ़ते मामलों को देखते हुए दोबारा लॉकडाउन लगाने की ज़रूरत पड़ेगी? इस पर शुक्रवार 12 जून 2020  को सत्येंन्द्र जैन,स्वास्थ्य मंत्री, दिल्ली सरकार ने बयान देकर सभी अटकलों को शांत कर दिया.उनका कहना है कि दिल्ली में लॉकडाउन अब और नहीं बढ़ेगा.ऐसे में सवाल उठता है कि 68 दिन के लॉकडाउन में आख़िर दिल्ली की सरकार ने क्या तैयारी की? कहां कमी रह गई? केजरीवाल से कहां चूक हुई? सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस के मरीज़ों को लेकर शुक्रवार को स्वतः सज्ञान लेते हुए चार राज्यों से जवाब माँगा है. उनमें से महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के साथ साथ दिल्ली भी है. जस्टिस कॉल ने दिल्ली को लेकर कहा कि यहाँ टेस्ट बहुत कम हो रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट में अस्पतालों में शवों की जो हालत है वो भयावह है. इस बेंच ने कहा कि वेटिंग एरिया में शवों को रखा गया है. ये बताता है कि दिल्ली में स्थिति कितनी ख़राब हैं.

     
Comments

Note : Your comments will be first reviewed by our moderators and then will be available to public.

Get it on Google Play