मध्यप्रदेश में अब पंचायत चुनाव टलने के आसार

24-12-2021 12:27:26
By : Sanjeev Singh

 


मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामलों में अचानक वृद्धि संबंधी आकड़े सामने आने और पंचायत चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण को लेकर चल रही राजनैतिक गहमागहमी के बीच अब माना जा रहा है कि राज्य में पंचायत चुनाव टल सकते हैं।

पंचायत चुनावों को लेकर चल रही राजनीति के बीच ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर गुरुवार को सदन में एक संकल्प सर्वसम्मति से पारित किया गया कि पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के बगैर नहीं होना चाहिए। संयोगवश इसके बाद चौहान ने कल देर शाम राज्य की जनता को संबोधित करते हुए कोरोना के मामलों में अचानक वृद्धि का हवाला देते हुए रात्रिकालीन कर्फ्यू लगाने की घोषणा की। चौहान ने अपने संदेश में कहा कि राज्य में अभी कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन के मामले सामने नहीं आए हैं। लेकिन देश के 16 राज्यों में नए वेरिएंट के मामले प्रकाश में आ चुके हैं। वहीं मध्यप्रदेश में कोविड 19 संक्रमण के कल 30 और आज 32 नए मामले प्रकाश में आए और सक्रिय मामले भी बढ़कर 200 से अधिक हो गए हैं। जबकि एक माह तक कोरोना के सक्रिय मामले 70 के आसपास थे।

इस बीच गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने आज यहां मीडिया से कहा कि लोगों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना आवश्यक है। चुनाव से ज्यादा आवश्यक आम लोगों के स्वास्थ्य की चिंता करना जरूरी है। हालांकि साथ ही उन्होंने इसे अपनी निजी राय बतायी।

मिश्रा के इस बयान के बाद से इन अटकलों को बल मिला है कि राज्य में अब पंचायत चुनाव टल सकते हैं। राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा पंचायत चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गयी है। लेकिन कुछ लोग इस मामले को लेकर पहले उच्च न्यायालय और फिर उच्चतम न्यायालय पहुंच गए। उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में पंचायत चुनावों में ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी है। इसके बाद से ही भाजपा और कांग्रेस के नेता ओबीसी आरक्षण हटने के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

मुख्यमंत्री चौहान ने आज शाम यहां भाजपा विधायक दल की बैठक भी बुलायी है। माना जा रहा है कि इस बैठक में ओबीसी आरक्षण को लेकर चर्चा हो सकती है। इसके अलावा चौहान ने कोरोना संबंधी मामलों में चर्चा के लिए दिन में मंत्रियों, वरिष्ठ अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण बैठक बुलायी है। इन सब स्थितियों के बीच माना जा रहा है कि पंचायत चुनावों को लेकर शीघ्र ही कुछ बड़ा फैसला आ सकता है। हालांकि पंचायत चुनाव स्वतंत्र मानी जाने वाली संवैधानिक संस्था राज्य निर्वाचन आयोग कराती है।



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