कोविड-19 संकट से उबर कर फर्राटा भरने से पहले ही कोरोना-2.0 ने आ घेरा
भारत अपने समुचित प्रयासों के बूते ड्रैगनजन्य कोरोना वायरस महामारी की पहली लहर के प्रकोप से उबर कर आर्थिक विकास के पथ पर पुन: अग्रसर होने को ही था, कोविड-19 की दूसरी लहर यानी कोरोना - 2.0 ने पांव पसार लिए। कोरोना - 2.0 पहली लहर के मुकाबले कहीं अधिक विकराल और घातक रूप में आया। कोविड-19 संक्रमण महामारी के कारण करीब सालभर से बेपटरी कारोबारी व्यवस्था ने अभी पटरी पर वापस पहुंचकर फिर से फरार्टा भरना शुरू भी नहीं किया और कोरोना विषाणु प्रकोप की दूसरी लहर ने आ घेरा।
दरअसल भारतीय अर्थव्यवस्था संकट से उबर कर सामान्य होने की ओर अग्रसर हो रही थी। बीते फरवरी-मार्च में विभिन्न अर्थ स्तर निर्धारक संस्थाओं फिच, मूडीज आदि के अनुमानों भी कमोबेश ऐसा ही इशारा किया गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से सुधरने की तरफ बढ़ रही है। वैश्विक स्तर निर्धारक संस्था (ग्लोबल रेटिंग एजेंसी) फिच ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि वित्त वर्ष 2022 में देश की सकल घरेलू उत्पाद (ग्रोस डोमेस्टिक प्रोडक्ट) यानी जीडीपी 12.8 प्रतिशत की प्रगति रहेगी। इससे पहले रेटिंग एजेंसी ने इसमें 11 प्रतिशत की प्रगति कहें कि विकास होने का अनुमान जताया था। देश में तेजी से बढ़ती आर्थिक गतिविधियों और कोरोना वैक्सीनेशन अभियान में तेजी के कारण फिच ने भारतीय जीडीपी के विकास दर के अनुमान में सुधार किया। फिच ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि 2021 की शुरूआत में ही भारत की अर्थव्यवस्था के सभी संकेतकों में मजबूती दिखाई दी।
ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने रेटिंग एजेंसी मूडीज की रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय जीडीपी में 12 प्रतिशत की प्रगति होने का अनुमान जताया गया। अगले वित्त वर्ष में देश की जीडीपी में 13.7 प्रतिशत के विकास का अनुमान जताया। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत की अर्थव्यवस्था में अगले साल 11.5 प्रतिशत की प्रगति होने की बात कही। आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन अर्थात ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) ने कोविड-19 टीकाकरण के चलते देश की वास्तविक जीडीपी ग्रोथ 12.6 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया। विश्व वैंक की हालिया रिपोर्ट में भी भारतीय अर्थव्यवस्था के सशक्त होने की उम्मीद जताई गई थी। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में 2021-22 में देश की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दर 7.5 से 12.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया।
उपरोक्त विभिन्न वैश्विक रिपोर्ट बताती हैं कि चीनजन्य कोरोना विषाणु पर विजय प्राप्त करके भारत त्वरित गति से प्रगति पथ पर फर्राटा भरने को तैयार था, लेकिन कोरोना-2.0 ने आ घेरा। नतीजतन देश एक बार फिर कामकाजी बंदिश के जाल में फंस गया है। कोरोना संक्रमण के दूसरे दौर की गंभीरता के साथ ही तीसरी लहर के पूर्वानुमानों को दृष्टिगत रखते हुए देश में कामकाजी बंदिश (लॉकडाउन) यदि लम्बा खिंचा तो स्पष्ट है कि ऐसी स्थिति में बड़ा आर्थिक नुकसान होना लाजिमी है। परिणाम स्वरूप भारत की प्रगति अवरुद्ध होगी और फायदा चीन जैसे देश उठाएंगे।
विश्व के विकसित देशों के मुकाबले अब भी सबसे सुरक्षित है भारत
अमेरिका के जान हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के शोधार्थियों द्वारा कोरोना से वैश्विक स्तर पर हुई मौतों को लेकर किए गए एक अध्ययन के बाद अमेरिका, फ्रांस,जापान, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, इटली और स्वीडन आदि विश्व के विकसित देशों के मुकाबले भारत को सबसे सुरक्षित माना है।
जान हॉपकिन्स विश्वविद्यालय ने हाल ही में अपने इस अध्ययन को लेकर जुटाए गए आंकड़ों की निष्कर्ष रिपोर्ट जारी करते हुए बताया कि कोरोना प्रकोप के लिहाज से भारत आज भी दुनिया का सबसे सुरक्षित देश है। अमेरिकी विश्वविद्यालय हॉपकिन्स के अध्ययन के अनुसार अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, ब्रिटेन, जापान, स्वीडन और इटली आदि विकसित देशों में कोरोना महामारी के प्रकोप से मरने वालों का आंकड़ा प्रति लाख 170 से 300 तक है, जबकि भारत में यह संख्या प्रति लाख कुल 18 ही है। कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या के मुकाबले इस महामारी से होने वाली मृत्यु दर का आंकड़ा भी विश्व में सबसे कम1.09 प्रतिशत है। इस अध्ययन का निष्कर्ष है कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के चलते देश में आज बेशक हाहाकार मचा हो, लेकिन मृत्यु के प्रति लाख आंकड़ों के हिसाब से विश्व के विकसित देशों के मुकाबले भारत अब भी सबसे सुरक्षित है।
टीकाकरण को लेकर विश्व में सर्वाधिक है भारत की गति
टीकाकरण के लिहाज से देखा जाए तो इस मामले में भी भारत की गति विश्व में सर्वाधिक है। बेशक बीते कुछ समय से विभिन्न राज्यों में वैक्सीनेशन की आपूर्ति को लेकर कई अड़चनें आई हैं, लेकिन तमाम तरह के दुष्प्रचार और विरोध के चलते पनपे भारी भ्रम के बावजूद देश मे अभी तक 18 करोड़ से अधिक टीके लगाए जा चुके हैं। भारत में कोरोनारोधी टीकाकरण की शुरूआत इस साल 16 जनवरी को हुई थी। पहले चरण में तीन करोड़ कोरोना योद्धाओं को टीके लगाने का लक्ष्य रखा गया। इसके बाद दूसरे चरण में 50 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के कुल 27 करोड़ नागरिकों को अगस्त महीने तक टीके लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। हालांकि अब सरकार ने 18 वर्ष तक के नागिरकों का टीकाकरण भी शुरू कर दिया है, जबकि उससे कम आयु वर्ग के लिए वैक्सीन ट्रॉयल को मंजूरी दे दी गई है।