सुरक्षा के आधार पर स्थानांतरण रोकने के लिये मानवाधिकार समूहों के आह्वान के बावजूद बांग्लादेश की ओर से रोहिंग्या शरणार्थियों के दूसरे समूह को मंगलवार को बंगाल की खाड़ी में एक निचले स्तर के द्वीप पर भेज दिया जायेगा।
इस संबंध में दो अधिकारियों ने यहां सोमवार को कहा कि म्यांमार भागने वाले एक हजार से अधिक रोहिंग्या शरणार्थियों और मुस्लिम अल्पसंख्यकों को म्यांमार सीमा के पास शरणार्थी शिविर से भशान चार द्वीप ले जाया जायेगा। इस महीने की शुरुआत में 1600 से अधिक रोहिंग्या शरणार्थियों वाले पहले बैच को यहां भेजा गया है।
अधिकारियों के मुताबिक बसें और ट्रक उनके सामान को चटगांव बंदरगाह पर ले जाने के लिए तैयार हैं। आज रात वे यहीं रहेंगे और कल उन्हें नौसेना के जहाज़ों द्वारा द्वीप पर ले जाया जायेगा।
अधिकारियों ने इस मुद्दे को सार्वजनिक न करने से इनकार कर दिया है। मानवाधिकार संगठनों ने इस स्थानांतरण की आलोचना करते हुये कहा कि महाद्वीप से काफी दूरी पर स्थित इस द्वीप पर बाढ़ का खतरा है। यह लगातार चक्रवातों की चपेट में है और यह एक उच्च ज्वार के दौरान पूरी तरह से जलमग्न हो सकता है।
बांग्लादेश के शरणार्थी विभाग के प्रभारी मोहम्मद शमसूद डौजा ने कहा कि एक लाख लोगों के लिये आवास के साथ-साथ द्वीप को बाढ़ से बचाने के लिये 12 किमी लंबा बांध बनाया गया है और स्थानांतरण स्वैच्छिक है। किसी को वहां जाने के लिये मजबूर नहीं किया गया। लोग स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा तक अधिक पहुंच के साथ वहां बेहतर जीवन जी सकते हैं, लेकिन शरणार्थियों और मानवाधिकार संरक्षण कार्यकर्ताओं का कहना है कि कुछ रोहिंग्याओं को द्वीप पर जाने के लिये मजबूर किया गया है, जो 20 साल पहले समुद्र से निकले थे और कभी नहीं बसे।