एक्टिवस्ट ने दर्शकों संग साझा किए अपने अनुभव
नई दिल्ली। श्री राम लीला कमेटी,शाहदरा(दिल्ली) ने रामलीला मंचन से पूर्व शिक्षा, चिकित्सा व स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर जानकारी देने के लिए कार्यक्रम आयोजित किया। जिसमें शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रही फ़ेडरेशन ऑफ पेरेन्ट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष शिवानी जैन व ऑल स्कूल पेरेन्ट्स एसोसिएशन के महासचिव सचिन सोनी को विशेषज्ञ के तौर पर बुलाया गया। इस मौके पर समाज मे उत्कृष्ट कार्य करने के लिए शिवानी जैन व सचिन सोनी को श्री राम लीला कमेटी व आद्रिका एनजीओ द्वारा सम्मानित भी किया गया।
अपने संबोधन में शिवानी जैन ने कहा कि देश के करीब-करीब सभी राज्यों में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी के ख़िलाफ़ अभिभावक लड़ रहे है। सभी की समस्या एक ही है, इसके बाद भी किसी भी राज्य में, पेरेन्ट्स को न्याय नही मिल रहा है। कोई भी सरकार, जनप्रतिनिधि, पेरेन्ट्स की समस्या के प्रति गम्भीर नहीं है। इसी लिए देश भर के विभिन्न राज्यों के पेरेन्ट्स द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर एक फ़ेडरेशन का गठन किया गया, जिससे कि हम आसानी से अपनी बात सरकार और संबंधित विभागों तक पहुंचा सकें। उन्होंने बताया कि वर्तमान में 'कोटपा एक्ट' है, जिसके तहत स्कूल आस-पास कोई पान, बीड़ी, सिगरेट या शराब की दुकान नहीं होनी चाहिए। (पॉस्को) एक्ट बच्चियों के साथ कोई घटना ना होने पाए, अनिवार्य शिक्षा 2009, स्कूल बैग के वजन का निर्धारण व सभी क्लास के लिए एनसीईआरटी किताबें पाठ्यक्रम में लगाना जैसे कई ऐसे कानून हैं, जिनकी जानकारी पेरेन्ट्स को नहीं होने का लाभ स्कूल संचालक उठाते हैं।
ऑल स्कूल पेरेन्ट्स एसोसिएशन के महासचिव सचिन सोनी ने बताया कि वर्ष 2009-10 में पेरेन्ट्स का अभियान शुरू हुआ था। जब करीब-करीब सभी स्कूलों ने बेतहाशा फ़ीस व्रद्धि कर दी थी। जिसकी शिकायत स्कूल में करने पर स्कूल प्रबंधन का सीधा सा कहना होता था कि हम जो सुविधा दे रहे हैं, उसी के अनुसार फ़ीस ले रहे हैं, अगर आप एफोर्ड नहीं कर सकते तो अपने बच्चे का अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार किसी ओर स्कूल मे दाखिला करा लो। स्कूल प्रबंधन के इस व्यवहार की शिकायत प्रशासन जनप्रतिनिधियों, राजनेताओं से किए जाने पर सभी का ये तो कहना होता था कि स्कूलो ने लूट मचा रखी है, लेकिन इसके खिलाफ किया क्या जा सकता है। ऐसे में सवाल यही था कि आखिर कोई भी संस्था ऐसी कैसे हो सकती है, जिस पर कि किसी का अधिकार ही ना हो, यही सोच कर कुछ स्कूलों के पेरेन्ट्स ने मिलकर काम करना शुरू किया। पेरेन्ट्स की किसी से जाती दुश्मनी तो थी नहीं, लेकिन कोई किसी तरह का आरोप ना लगाने लगे इसलिए पेरेन्ट्स ने मिलकर ऑल स्कूल पेरेन्ट्स एसोसिएशन के नाम से एसोसिएशन बनायी जोकि शुरुआत में तो गाजियाबाद के पेरेन्ट्स, बच्चों की मदद के लिए कार्य करती थी, लेकिन आज इस एसोसिएशन से कई राज्यों के पेरेन्ट्स जुड़े हैं। इस अभियान के शुरू होने पर जब पेरेन्ट्स ने अपने आप से खोजबीन शुरू की तो जानकारी मिली कि भले ही स्कूल प्राइवेट हो, लेकिन वो जिस जमीन पर संचालित है, वह सरकार द्वारा सस्ती दर पर दी गयी है। जिसका मुख्य कारण शिक्षा का प्रचार प्रसार करना है। सस्ती दर पर जमीन का आवंटन सशर्त किया जाता है, जिसके तहत गरीब बच्चों को सस्ती फ़ीस पर पढ़ाना अनिवार्य होता है। सीबीएसई नियामवली के अनुसार बोर्ड तभी सम्बद्धता प्रदान करेगा, जबकि उसे प्रदेश सरकार अनपत्ति प्रमाण पत्र जारी करेगी जो कि शर्तो पर आधारित होता है। इसी तरह ट्रांसपोर्ट विभाग में स्कूली वाहनों पर कोई टैक्स नहीं लगाया जाता, उसका भी सीधा-सीधा उद्देश्य स्कूली बच्चों को सस्ती ट्रांसपोर्ट सुविधा उपलब्ध कराना है। किसी भी स्कूली भवन के बेसमेंट को बच्चों के उपयोग में नही लाया जा सकता। साथ ही टीचर व अन्य स्टाफ को प्रदेश सरकार से निर्धारित नियमों मुताबिक वेतन दिया जाना अनिवार्य है। निजी संस्था से संचालित होने के बाद भी प्रॉइवेट स्कूलों पर सरकार के बहुत से नियम लागू होते हैं, लेकिन अफ़सोस की बात ये है कि ऐसी तमाम जरूरी जानकारियां सरकारी विभागों और स्कूल की फाइलों में ही दबी रह जाती हैं, पेरेन्ट्स तक नहीं पहुच पातीं। श्री सोनी ने बताया कि ऑल स्कूल पेरेन्ट्स एसोसिएशन अभियान चलाकर पेरेन्ट्स को जागरूक करती रहती है।