सेना ने लद्दाख से लगती सीमा पर चीन के साथ समझौतों के टूटने और दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़पों की रिपोर्ट से संबंधित लेख को गलत तथ्यों पर आधारित और भ्रमित करने वाला करार देते हुए इसका खंडन किया है।
सेना ने आज एक वक्तव्य जारी कर कहा कि उसने एक अंग्रेजी दैनिक में बुधवार को छपे इस लेख, “भारत-चीन के बीच दोबारा भिड़ंत पूर्वी लद्दाख में पीएलए की वापसी” का संज्ञान लिया है। सेना ने कहा है कि यह लेख गलतियों और भ्रामक जानकारी से भरा है। सेना ने दोहराया कि चीन के साथ समझौतों के टूटने की खबर झूठी तथा आधारहीन है। सेना ने कहा है कि इस वर्ष फरवरी में जब से सैनिकों के पीछे हटने का समझौता हुआ है दोनों ही पक्षों ने खाली किए गए क्षेत्रों पर दोबारा कब्जा करने की कोशिश नहीं की है। गलवान घाटी या किसी अन्य क्षेत्र में सैनिकों के बीच झड़प नहीं हुई है जैसा कि इस लेख में रिपोर्ट किया गया है। पत्रकार की मंशा गलत है और उसका लेख सच्चाई पर आधारित नहीं है।
सेना की ओर से इस वक्तव्य में कहा गया है कि दोनों पक्ष बाकी बचे मुद्दों के समाधान के लिए बातचीत जारी रखे हुए हैं और अपने-अपने क्षेत्रों में नियमित रूप से गश्त कर रहे हैं। जमीनी स्तर पर स्थिति पहले जैसी ही है और भारतीय सेना चीन के सैनिकों की सभी गतिविधियों पर निरंतर नजर रखे हुए हैं। सेना ने कहा है कि यह लेख सही तथ्यों पर आधारित नहीं है और वह इसका जोरदार शब्दों में खंडन करती है।
रिपोर्टों के अनुसार मीडिया में छपे एक लेख में दावा किया गया है कि चीन की सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कुछ जगहों से घुसपैठ की है और कम से कम एक जगह पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प भी हुई है।