भारतीय सैन्यबलों की शक्ति हैं 'अचूक' और 'मारक' हथियार
भारतीय सेना के तीनों अंगों यानी थल (पैदल), नभ (वायु) और जल (नौ) सेना के पास अपनी सीमा और दूसरे देशों के आक्रमण से बचने के लिए तमाम तरह के अचूक और 'मारक' हथियार व साजो-सामाना मौजूद हैं। जिसमें इलेक्ट्रॉनिक इंटेलीजेंस उपग्रह एमिसैट, सीमा पर उपग्रह से निगरानी, लॉन्ग डिस्टेंस रेंज आर्टिलरी गन, टैंक, मिसाइल, हेलिकॉप्टर और लड़ाकू विमान शामिल हैं। इसके साथ ही भारत ने भविष्य के युद्ध यानी स्पेस वार की तैयारियों की तरफ भी कदम बढ़ा दिए हैं। एंटी सैटेलाइट मिसाइल वेपन के परीक्षण के बाद स्पेस वार से निपटने को 'इन्डस्पेसएक्स' युद्धाभ्यास इन्हीं तैयारियों का हिस्सा था।
सैन्यबलों संग डीआरडीओ इसरो और एचएएल की रही है महत्वपूर्ण भूमिका
भारत की सैन्य क्षमता को मजबूत करने में विभिन्न सरकारों के रक्षा संबंधी फैसलों और नीतियों के साथ ही सेना के तीनों अंगों के अलावा रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड जैसे संगठनों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
हमला करने की ताकत में की जा रही है बढ़ोत्तरी
सरकार द्वारा दी गई आपातकालीन वित्तीय शक्तियों के तहत यह खरीद की जा रही है। दरअसल गलवान घाटी में 15 जून को 20 भारतीय सैनिकों की शहादत के बाद चीन से तनाव बढ़ने पर केंद्र सरकार ने तीनों सेनाओं के लिए 500 करोड़ रुपए का इमरेंजसी फंड जारी किया था। इसी फंड से सेनाओं की सर्विलांस क्षमता बढ़ाने के साथ ही हमला करने की ताकत में बढ़ोत्तरी की जा रही है। इस क्रम में अमेरिका से 72 हजार असॉल्ट राइफल खरीदने के साथ ही अब हेरॉन ड्रोन के आर्म्ड वर्जन और स्पाइक एंटी गाइडेड मिसाइल भारतीय सैन्य बलों के जंगी बेड़े में शामिल करने पर काम शुरू कर दिया गया है। भारत के तीनों सैन्य दल यानी थल, जल और वायु सेना में पहले से ही मानवरहित हेरोन ड्रोन (हेरोन यूएवी) से लैस हैं। कई इलाकों में इनका इस्तेमाल भी किया जा रहा है।
सीमा पर चीन संग विवाद के बीच ताकत बढ़ाने में जुटी है भारतीय सेना
सीमा पर चीन संग विवाद के बीच भारतीय सेना अपनी ताकत में इजाफा करने में जुटी है। एलएसी पर तनाव के चलते सेना ने स्पाइस-2000 बम, असॉल्ट राइफल, गोला-बारूद और मिसाइल खरीदने की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी गई है। पहले अमेरिका से 1.42 लाख सिग-716 असॉल्ट राइफलों की खरीद के बाद अब इजरायल से एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल स्पाइक और हेरॉन ड्रोन खरीदने की तैयारी है। इसके साथ ही एयरफोर्स के प्रोजेक्ट चीता के तहत मौजूदा बेड़े को लड़ाकू यूएवी में अपग्रेड करने का काम चल रहा है।
डीआरडीओ की पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल
डीआरडीओ भी स्वदेशी पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल विकसित कर रहा है। जिससे कि 50 हजार मिसाइलों की जरूरतों को पूरा किया जा सके। पिछले साल बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद इजरायल से स्पाइक एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल की एक खेप भारत को मिली थी। अब एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल के अपने जखीरे को और बढ़ाने की तैयारी है। डीआरडीओ की यह पोर्टेबल मिसाइलें कंधे पर रखकर आसानी से कहीं भी ले जाई जा सकती हैं।
दुश्मन की हरकतों पर 10 किमी की ऊंचाई से नजर रख सकता है इजरायली ड्रोन 'हेरॉन'
तीनों सेनाएं पहले से ही लद्दाख सेक्टर में सर्विलांस के लिए हेरॉन अनमैन्ड एरियल व्हीकल (यूएवी) यानी मानवरहित ड्रोन का इस्तेमाल कर रही है। हेरॉन ड्रोन 10 किमी की ऊंचाई से दुश्मन की हरकतों पर नजर रख सकता है। यह एक बार में दो दिन तक लगातार उड़ सकता है। मौजूदा हालात को देखते हुए हेरॉन ड्रोन की संख्या बढ़ाए जाने की कवायद शुरू कर दी गई है। इसके साथ ही भारतीय सेना अब हेरॉन ड्रोन के आर्म्ड वर्जन को अपने बेड़े में शामिल करने की दिशा में काम रही है। भारतीय वायुसेना एयरफोर्स हेरॉन ड्रोन के आर्म्ड वर्जन पर काम कर रही है।
इजरायली मिसाइल 'स्पाइक'
चीन से तनाव बढ़ने के बाद भारतीय सेना दुश्मन की आर्म्ड रेजिमेंट के खतरे से निपटने के लिए बड़ी संख्या में स्पाइक मिसाइल लेने की तैयारी में है। सेना ने पिछले साल 12 लांचर और 200 स्पाइक मिसाइलें खरीदी थीं, अब सीमा पर तनाव से युद्ध की आहट के चलते इस संख्या को बढ़ाने पर काम किया जा रहा है।