रिलायंस जियो यूनीकॉर्न्स कंपनियों के लिये ‘गेम चेंजर’: बैंक ऑफ अमेरिका

15-01-2021 15:11:35
By : Sanjeev Singh


बैंक ऑफ अमेरिका ने कहा है कि मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो के दूरसंचार क्षेत्र में प्रवेश के बाद इसने देश में यूनीकॉर्न कंपनियों के जनक के रूप में पहचान बनाई है और ऐसी कंपनियों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है।


बैंक ऑफ अमेरिका की ग्लोबल रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में 11 नई भारतीय कंपनियों ने यूनीकॉर्न का तमगा हासिल किया। एक अरब डॉलर से अधिक के बाजार मूल्यांकन वाली स्टार्टअप कंपनियों को यूनीकॉर्न कंपनी कहा जाता है। अब तक कुल 37 भारतीय स्टार्टअप कंपनियां यूनीकॉर्न बन चुकी हैं और इनमें से ज्यादातर कंपनियां जियो के लॉन्च के बाद ही अस्तित्व में आई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 2025 तक इन कंपनियों की संख्या 100 के करीब पहुंच सकती है।


रिपोर्ट के अनुसार जियो 4जी का आना भारत के इंटरनेट क्षेत्र के लिए बाजी पलटने (गेम चेंजर) वाला साबित हुआ है। इसने किफायती दामों पर ग्राहकों को इंटरनेट मुहैया कराया जिससे बड़े पैमाने पर डेटा उपयोग को बढ़ावा मिला। देश में अब करीब 65 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं जो औसतन 12 जीबी डेटा प्रतिमाह इस्तेमाल करते हैं। जियो की सफलता का सबसे बड़ा कारण यह है कि “भारत एक आपूर्ति-बाधित बाजार है और मांग आधारित बाजार नहीं।” जियो ने सस्ती कीमतों पर डेटा और सेवाएं प्रदान करके बाजार के आकार को बढ़ाया है। यूनीकॉर्न कंपनियों को इसका भरपूर फायदा मिला है और अब रिलायंस अपनी ‘मेड इन इंडिया’ 5जी तकनीक को भारतीय बाजार के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजारों में उतारना चाहती हैं।


मुकेश अंबानी ने कुछ समय पहले जब “डेटा इज़ न्यू ऑयल” की बात कही थी तब किसी को भी यह कल्पना नहीं थी कि भारत में 4जी डेटा पर सवार हो कर भारतीय स्टार्टअप्स, यूनीकॉर्न कंपनियों में तब्दील हो जाएंगे। इन कंपनियों का आकार कितना बड़ा है इसका अंदाजा, इनफोसिस और विप्रो जैसी दिग्गज मार्किट कंपनियों के बाजार पूंजीकरण से लगेगा। जहां भारतीय यूनीकॉर्न कंपनियों का संयुक्त मार्केट वैल्यूएशन 128.9 अरब डॉलर पहुंच चुका है वहीं इंफोसिस का मार्केट वैल्यूएशन 79 अरब डॉलर और विप्रो का 35 बिलियन डॉलर है। ई-कॉमर्स, फूड, शिक्षा, गेमिंग जैसे कारोबार से जुड़ी कुछ भारतीय कंपनियां अगले कुछ सालों में आईपीओ का रास्ता पकड़ कर अपना विस्तार कर सकती हैं।


यूनीकॉर्न्स कंपनियों के बीच सबसे अधिक मूल्यांकन ई-कॉमर्स और प्रौद्योगिकी से जुड़ी कंपनियों को मिला है। कुल मूल्यांकन का आधा इन्हीं कंपनियों के खाते में जाता है। ई-कॉमर्स कंपनियों ने यहां बाजी मार ली है। पांच ई- कॉमर्स कंपनियों का मूल्यांकन संयुक्त यूनीकॉर्न कंपनियों के मूल्यांकन का 25 प्रतिशत बैठता है। फ्लिपकार्ट अव्वल है अकेले फ्लिपकार्ट का ही बाजार मूल्यांकन 25 अरब डॉलर है। डिजिटल पेमेंट कंपनी पेटीएम 16 अरब डॉलर और शिक्षा से जुड़ी बायजूस 11.1 अरब डॉलर की बाजार मूल्यांकन के साथ दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं।


यूनीकॉर्न कंपनियों की संख्या के मामले में देश ने दुनिया के कई विकसित देशों को भी पीछे छोड़ दिया है। देश में 2019 में 26 यूनीकॉर्न कंपनियां थी जो 2020 में 37 हो गईं, जबकि ब्रिटेन में यह 2019 में 21 के मुकाबले 24 ही हो पाई। समान अवधि में जर्मनी में यूनीकॉर्न की संख्या 11 से बढ़कर 12 हो गई। यूनीकॉर्न की कुल संख्या और रैंकिंग के मामले में भी देश दुनिया के कई देशों जैसे दक्षिण कोरिया, फ्रांस, इजराइल, स्विजरलैंड से कहीं आगे नजर आता है।


रिपोर्ट के मुताबिक भारत पचास खरब डालर अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ रहा है और परिपक्व डिजिटल इको-सिस्टम इसे तेजी से और मजूबती से आगे बढ़ने में मदद करेगा। उच्च प्रतिस्पर्धा और मूल्य संवेदनशील ग्राहकों की वजह से भारत सबसे कठिन बाजारों में से एक है। भारतीय बाजारों से सीख लेकर देशी कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजारों की और रुख कर रही हैं। भारतीय कंपनियां मेड-इन-इंडिया के तहत अंतरराष्ट्रीय बाजारों के लिए भी उत्पाद तैयार कर रही हैं। बैंक ऑफ अमेरिका ग्लोबल रिसर्च का मानना है कि ओला और ओयो के अलावा बायजूस, जूमैटो, मेशो, रेबेल फूड्स आदि कंपनियां अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार को तैयार हैं।



Comments

Note : Your comments will be first reviewed by our moderators and then will be available to public.

Get it on Google Play