कश्मीर के कारगिल में रहने वाला ताशि नामग्याल नाम का एक चरवाह अपनी भेड़ो को ढूढता हुआ जब पहाडि़यों पर पहुंचा तो उसने देखा कि पाकिस्तान के कुछ सैनिक पहाड़ो के पत्थरों को हटाकर उसमे छिपने की कोशिश कर रहे है. ये देखकर ताशि के होश उड़ गये. उसने फौरन इसकी सूचना पहाड़ो से नीचे उतरकर पास की एक चौकी पर तैनात जवानों को दी. भारतीय आर्मी के जवान ये सूचना सुनकर पहा़ड़ो के ऊपर पहुचे. जैसे ही भारत के ये जवान पाकिस्तानी घुसपैठियो के कुछ नजदीक पहंचे वैसे ही इन पाक सैनिकों ने भारतीय सैनिकों के ऊपर अधांधुध गोलियां चलानी शुरू कर दी. दुश्मनों की ओर से आई इस गोलाबारी में हिन्दुस्तान के पांच सैनिक शहीद हो गये.
इस हमले के बाद ये साफ हो गया कि इंडियन आर्मी जो सोच रही थी हालात उससे कही ज्यादा खतरनाक थे. तमाम खूफिया जानकारियों और लोकल लोगों से बातचीत करने के बाद इंडियन आर्मी को जो जानकारी मिली वो काफी ज्यादा खतरनाक थी.
इस जानकारी के अनुसार कारगिल के ऊचें पहाड़ो पाक की आर्मी के तकरीबन 5000 सैनिकों पर अपना कब्जा कर रखा था. ये वो पहाडि़या थी जिसे भारत की आर्मी सर्दी के मौसम में ज्यादा ठ़ंड पड़ जाने की वजह से खाली कर दिया करती थी.
भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल में इंडियन आर्मी के सामने कई गम्भीर चुनौतियें थी. दुश्मन पहाडो के ऊपर से भारतीय सेना पर हमला कर रही थी. उस वक्त कारगिल में ठ़ंड की वजह से इतना कोहरा था कि जवानों का पहाड़ो के ऊपर देखना भी काफी मुश्किल था. इंडियन आर्मी की लड़ाई पाक के सैनिको से ज्यादा उन पहाड़ो से थी जो इतने सीधें थे कि जिनकर चढ़कर दुश्मन को खदेड़ना काफी मुश्किल था. इंडियन आर्मी पहली बार कोई लड़ाई पहाड़ों के ऊपर लड़ रही थी इसलिए उसके पास इस तरह की लड़ाई का कोई अनुभव भी नही था.
दूसरी तरफ पाक की आर्मी कारगिल की पहाडि़यो पर पूरी तैयारी के साथ आई थी. पाकिस्तान का मकसद एकदम साफ था. कारगिल पर कब्जा करके भारत और सियाचीन को जोड़ने वाले एनएचडी को अपने कट्रोल में ले लेना. एनएचडी को कट्रोल में लेने का मकसद था भारत से सियाचीन का अलग हो जाना. फिलहाल 3 मई 1999 को अधिकारिक रूप से इन दो पड़ोसी मुल्को के बीच जंग का ऐलान हो गया. इस जंग का दायरा 100 किलोमीटर में था. ऊपर पाक के जवान छिपे हुए थे जिनके ऊपर इंडियन आर्मी के जवान बोफार्स की तोपों की मदद से बारूद बरसा रहेे थी. इस जंग की शुरूआत में पाकिस्तान की आर्मी इंडिया की आर्मी पर भारी पड़ रही थी. जंग के पहले दो हफ्तो तक इंडियन आर्मी पाक की आर्मी के सामने सघर्ष कर रही थी. पाक के सैनिक को नीचे से बिना देखे सिर्फ एक अन्दाजें के बिना पर मार गिराना भारतीय आर्मी के लिए काफी मुश्किल था.
इससे पहले पाक की आर्मी कारगिल की इस लड़ाई में इंडियन आर्मी पर भारी पड़ती तभी इंट्री होती है भारतीय वायू सेना की. पूरी तैयारीी और प्लान बनाकर आई भारतीय वायू सेना ने इस लडाई में धमाकेदार इट्री करते हुए आसमान से पहाड़ो की ऊचाई पर डेरा डाले पाकिस्तानी कैंम्पों पर इतनी आग बरसाई कि कारगिल की चोटियों पर कोहरे के साथ आग की लपटे भी दिखाई देने लगी. भारतीय वायूसना ने मिग 29 और मिग 19 की मदद से भारी सख्ंया में कारगिल की पहाडियों पर उन जगहों पर बारूद गिराया जहां पाक की आर्मी कब्जा करके बैठी हुई थी. नीचे से थल सेना बोफार्स की तोपों में बारूद भरके पहाड़ो के ऊपर फेक रही थी तो आसमान से मिंग 29 पाक की आर्मी पर बारूदों की बारिश कर रहा था. ऐसे में पाक की सेना के जवान लड़ना तो दूर अपनी जान भी नही बचा पा रहे थे. लगभग 6 महीनें चली इस लड़ाई में लगभग 500 से अधिक भारतीय सैनिक शहीद हुए थे.
इस लड़ाई के बाद भी दोनों देशो के बीच कश्मीर को लेकर कोई समझौता नही हो पाया. कश्मीर की समस्या आज भी जस की तस बनी हुई है. कारगिल के बाद भारत और पाकिस्तान की सीमा के 50 हजार से ज्यादा लोग मरे और इससे कही ज्यादा बेधर हो गये. जान माल के इतना नुकसान होने के बावजूद पाक ने हिन्दुस्तान में अपनी घुसपैठ को नही रोका. पाकिस्तान के जवान आज ही हिन्दुस्तान की सीमा के अन्दर आकर भारत के ऊपर जंग थोपने की कोशिश करते रहते हैंं.
Web Title: Kargil, A fight fought on the hills
feature Image: Kargil (pic:dnaindia)